प्रणति नायक, 26 वर्ष
खेल: आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक (वॉल्ट)
कैसे क्वालिफाइ किया: 2019 में सीनियर आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक एशियन चैंपियनशिप के वॉल्ट में कांस्य पदक जीतकर
उपलब्धि: वे तीसरी भारतीय जिम्नास्ट हैं जिन्होंने किसी बड़े वॉल्ट मुकाबले में मेडल जीता
प्रणति नायक के लिए पिछले कई महीनों की अनिश्चितता आखिरकार मई में समाप्त हो गई जब तोक्यो ओलंपिक के लिए उनकी जगह पक्की हो गई. पिछले साल महामारी के कारण लगे लॉकडाउन के कारण कोलकाता के भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआइ) में चलने वाला उनका सामान्य प्रशिक्षण बंद हो गया था. चूंकि अभी तक यह भी पक्का नहीं था कि वे ओलंपिक के लिए जा रही हैं या नहीं, इसलिए बहुत कुछ लक्ष्यहीन भी लगता था.
फिर भी, नायक ने जो भी संसाधन उपलब्ध थे, उन्हीं के साथ प्रशिक्षण जारी रखा. फिटनेस और नियमित दिनचर्या बनाए रखने की कोशिश में वे दिसंबर और मार्च के बीच कोलकाता के आसपास के जिमनास्टिक क्लबों में से अधिकांश में गईं. नायक कहती हैं, ''लगभग 15 महीनों तक, अच्छे स्तर पर काम करना संभव नहीं था. मैं अपने सामान्य स्तर के लगभग 25 प्रतिशत पर प्रशिक्षण ले रही थी और मात्र चंद बुनियादी अभ्यास कर पा रही थी. लेकिन यह भी बहुत मददगार रहा क्योंकि इसकी मदद से एसएआइ में लौटने के बाद मैं इष्टतम स्तर पर फिर से काम करना शुरू कर सकती थी.''
पिछले महीने एक फोन कॉल ने उनकी कड़ी मेहनत को सार्थक बना दिया. चीन के हांग्जू में होने वाली सीनियर एशियाई चैंपियनशिप रद्द कर दी गई. नायक ने 2019 में इस चैंपियनशिप में कांस्य जीता था और इसी के आधार पर महाद्वीपीय कोटे से उनके लिए ओलंपिक में जगह बन गई.
कोच लखन शर्मा ने उन्हें कठोर प्रशिक्षण दिनचर्या में लगाने के बजाए उनकी पीठ को कुछ आराम देने का फैसला किया. दोनों ने कुछ नया प्रयोग करने के बजाए, एक ऐसी दिनचर्या के साथ रहने का फैसला किया जिसमें वे पहले से माहिर थीं. वे ओलंपियन दीपा कर्मकार से भी जुड़ीं, जिन्होंने 2016 में रियो खेलों में वॉल्ट फाइनल में जगह बनाई थी. कर्मकार की तरह, नायक वॉल्टिंग टेबल को पसंदीदा उपकरण और पदक जीतने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दाव मानती हैं. हालांकि वे कर्मकार की तरह चुनौतीपूर्ण प्रोडुनोवा अभ्यास को नहीं अपना रही हैं. नायक त्सुकहारा बैक 720 का अभ्यास कर रही हैं, जिसमें ट्विस्ट के साथ ढाई बार चक्कर लगता है. अंतरराष्ट्रीय जिम्नास्टिक फेडरेशन की ओर से निर्धारित अंक प्रक्रिया में इस वॉल्ट को चौथी सर्वाधिक रेटिंग दी जाती है.
नायक खेल के मानसिक पहलू पर भी उतना ही ध्यान दे रही हैं और मनोवैज्ञानिक के साथ भी काफी समय बिता रही हैं. छुट्टी का समय प्रेरक फिल्में देखने में व्यतीत करती हैं—कुंग फू पांडा उनकी पसंदीदा फिल्म है. माता-पिता से बात करना भी उन्हें मानसिक रूप से मजबूती देता है; उनके पिता सेवानिवृत्त बस चालक हैं और माता-पिता बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले के करकई गांव में रहते हैं. नायक दंपति को अब बेटी से दूर रहने की आदत हो चुकी है. वे बताती हैं, ''मैं पहली बार कोलकाता में प्रशिक्षण के लिए तब आई थी जब आठ साल की थी और तब से लेकर पिछले साल लॉकडाउन लगने तक, मैंने घर में कभी भी 20 दिनों से अधिक समय नहीं बिताया था.''
एक जिमनास्ट के रूप में नायक की क्षमता को पहली बार एसएआइ कोलकाता की कोच मीनारा बेगम ने पहचाना था जिन्होंने उन्हें शुरुआती वर्षों में प्रशिक्षित भी किया था. उनके सामने बाधाओं का अंबार लगा हुआ है, लेकिन दाहिने टखने पर बना एक टैटू उन्हें जीवन के उन लक्ष्यों का लगातार स्मरण कराता रहता है जिन्हें वे हासिल करना चाहती हैं. नायक कहती हैं, ''मैंने एक परी बनवाने का फैसला किया क्योंकि मैं एक जिमनास्ट हूं. समय आने पर मैं वॉल्ट पर ऊंची उड़ान भरना चाहती हूं.''
— शैल देसाई
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