ब्लैक विडो नॉर्थ अमेरिका में पाई जाने वाली एक ज़हरीली मकड़ी का नाम है. मकड़ी की ये प्रजाति अक्सर अपने पार्टनर को ही जान से मार कर खा जाती है. ZEE5 की नई सीरीज़ 'ब्लैक विडोज़' का नाम इसी मकड़ी से प्रेरित हो कर रखा गया है. ये कहानी है तीन दोस्तों की जिनकी शादीशुदा ज़िंदगियां नर्क बन चुकी हैं और जिन्होंने अपने पतियों को जान से मारने की ठान ली है. इस काम को अंजाम देने के लिए वो एक ऐसा प्लान बनाती हैं जिससे वो अपने पतियों से हमेशा के लिए पीछा भी छुड़ा लेंगी और किसी को उन पर शक भी नहीं होगा. लेकिन ज़िन्दगी में सब कुछ प्लान के मुताबिक़ नहीं होता. जब हालात तीनों के कंट्रोल से बाहर निकल जाते हैं, तब शुरू होता है चूहे-बिल्ली का एक ऐसा खेल जिसमें हर मोड़ पर एक नया ट्विस्ट है.
'ब्लैक विडोज़' एक डार्क कॉमेडी है जो कि इसी नाम की फिन्निश सीरीज़ की रीमेक है. 2014 में रिलीज़ हुई इस सीरीज़ को पूरी दुनिया में काफी पसंद किया गया था. इसकी शोहरत का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि ZEE5 की 'ब्लैक विडोज़' इस शो का आठवां इंटरनेशनल रीमेक है. ओरिजिनल सीरीज़ की ही तरह इसके भारतीय वर्जन में भी भी सस्पेंस, चालबाज़ी और ह्यूमर कूट-कूट कर भरा हुआ है.
क्या है 'ब्लैक विडोज़' की कहानी?
जयति (स्वस्तिका मुख़र्जी) का पति ललित (मोहन कपूर) उसे अक्सर बेरहमी से मारता-पीटता है. यही नहीं, उसे जयति को अपने दोस्तों के सामने डराने-धमकाने और ज़लील करने में मज़ा आता है. कविता (शमिता शेट्टी) का पति नीलेश (विपुल रॉय) सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के लिए कितना भी नीचे गिर सकता है. अपनी बीवी के भोलेपन का फायदा उठा कर वो उसे गैर मर्दों के साथ संबंध बनाने पर मजबूर करता है. वहीं वीरा (मोना सिंह) का पति जतिन (शरद केलकर) एक गुसैल प्रवृति का आदमी है जो संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त है. वीरा जतिन से अलग होना चाहती है लेकिन अपनी बेटी से अलग हो जाने के डर से वो चुप-चाप उसका गुस्सा सहती है.
मगर एक दिन बीवियों के सब्र का बाँध टूट जाता है. एक वेकेशन के दौरान वो अपने पतियों की नाव में टाइम बम लगा देती हैं. बीवियों को लगता है कि नाव के परखच्चों के साथ-साथ उनकी परेशानियां भी उड़न-छू हो जाएंगी. मगर ये तो उनकी परेशानियों की सिर्फ शुरुआत है. ब्लास्ट की तहकीकात कर रहे पुलिस अफसरों इंस्पेक्टर पंकज मिश्रा (परमब्रता चटर्जी) और इंस्पेक्टर रिंकू (श्रुति व्यास) को ये समझने में ज़्यादा देर नहीं लगती कि ये दुर्घटना नहीं, बल्कि किसी की सोची समझी साज़िश है, और शक की सुई सीधे तीनों बीवियों पर आ कर टिक जाती है. बहुत ढूंढने के बाद भी पुलिस को जतिन की लाश बरामद नहीं हो पाती और उसका बिज़नेस पार्टनर वीरा को पैसों के लिए डराना-धमकाना शुरू कर देता है. क्या जतिन ज़िंदा है? क्या तीनों दोस्त खुद को बेगुनाह साबित कर पाएंगी? इन सवालों के जवाब तो आपको सीज़न देख कर ही मिलेंगे.
शानदार कास्ट, बेहतरीन अभिनय
सीरीज़ की कास्टिंग काफी मज़बूत है. मोना सिंह स्वस्तिका मुखर्जी और शमिता शेट्टी, तीनों ने ही अपने किरदारों को बखूबी निभाया है. शरद केलकर अपने दमदार अभिनय के लिए जाने जाते हैं और यहां भी उन्होंने बिलकुल निराश नहीं किया है. परमब्रता चटर्जी हमेशा की तरह फुल फॉर्म में नज़र आये हैं और श्रुति व्यास भी एक मस्तमौला पुलिस अफसर के रोल में खूब जंची हैं. दोनों के बीच की केमिस्ट्री देखने लायक है.
आमिर अली ने एक सिंगल पिता का किरदार निभाया है जो कि वीरा को पसंद करने लगता है. उनका किरदार कहानी में चल रहे छल-कपट, ब्लैकमेल और खून-खराबे से बिलकुल परे है, जिसे उन्होंने बेहद सादगी से निभाया है. एक शातिर फार्मा एग्जीक्यूटिव के किरदार में राइमा सेन ने भी काफी अच्छा अभिनय किया है. सीरीज़ में फैसल मालिक, निखिल भांबरी और अनुभवी अभिनेता सब्यसाची मुखर्जी भी ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं.
निर्देशन, स्क्रीनप्ले और एडिटिंग
सीरीज़ का निर्देशन किया है जाने माने बंगाली फिल्मकार बिरसा दासगुप्ता ने. सीरीज़ की कहानी और किरदारों पर उनकी पकड़ काफी अच्छी मालूम पड़ती है. 'ब्लैक विडोज़' के क्रिएटिव प्रोडूसर हैं नमित शर्मा और स्कोर दिया है आदित्य पुष्करणा ने. वहीं बात करें स्क्रिप्ट की तो लेखक राधिका आनंद ने कहानी को नए आयाम देने की बेहतरीन कोशिश की है, और जिसमें वो कामयाब भी हुई हैं. सुमित चौधरी सीरीज़ के एडिटर हैं और DOP शुभंकर भर ने कैमरा के पीछे ज़बरदस्त काम किया है.
ब्लैक विडोज़ के सभी 12 एपिसोड अब ZEE5 पर स्ट्रीम हो रहे हैं बिंज-वॉच करने के लिए यहां क्लिक करें
aajtak.in