जीवन बीमा परिषद (लाइफ इंश्योरेंस काउन्सिल) ने जीवन बीमा के प्रति भारतीय दर्शकों की धारणा को समझने के लिए हाल ही में 40 शहरों में बारह हजार से अधिक लोगों के साथ एक सर्वेक्षण किया। यह सर्वेक्षण लाइफ इंश्योरेंस काउन्सिल के नए जन जागरूकता अभियान 'सबसे पहले जीवन बीमा' की तर्ज पर है, जो जीवन बीमा को परिवार के धन अर्जित करने वाले सदस्यों के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। यह अभियान 24 भारतीय जीवन बीमा कंपनियों के संयुक्त प्रयासों का प्रतिनिधित्व करता है, जो देश में जीवन बीमा जागरूकता बढ़ाने के एक सामान्य लक्ष्य की दिशा में काम कर रही हैं, जो कि दुनिया में सबसे कम बीमित आबादी में से एक है।
सर्वेक्षण के निष्कर्षों ने उच्च जागरूकता का संकेत दिया, जिससे यह बात स्पष्ट हुई कि सम्पूर्ण भारत में सभी आयु वर्ग के लोग जीवन बीमा को एक महत्वपूर्ण वित्तीय साधन मानते हैं। अधिकांश उत्तरदाताओं ने निम्नलिखित कारणों पर प्रकाश डाला कि वे क्यों मानते हैं कि जीवन बीमा खरीदना आवश्यक है, उनके अनुसार जीवन बीमा एक अप्रत्याशित घटना में सुरक्षा प्रदान करता है, और साथ ही भविष्य के लिए वित्तीय सुरक्षा और परिवार के सामूहिक वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करता है। कुल उत्तरदाताओं में से 70% जीवन बीमा खरीदने के इच्छुक थे। वास्तव में, कोविड-19 महामारी के कारण, जीवन बीमा का चयन करने वाले लोगों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। हालाँकि, अभी-भी कुछ कमी है और लोगों के लिए जीवन बीमा खरीदने और इसके महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने की काफी जरूरत है। जबकि 91% लोग इसे एक आवश्यकता मानते हैं, फिर भी केवल 70% ही इसमें निवेश करने को तैयार हैं।
पूर्वी क्षेत्र सम्पूर्ण भारत में जीवन बीमा के लिए सबसे अधिक जागरूकता का दावा करता है। 99% लोग दावा करते हैं कि वे जीवन बीमा के बारे में जानते हैं, जिनमें से 68% इसका स्वामित्व लेते हैं। यह आँकड़ा पूरे देश में सबसे अधिक है। जीवन बीमा की सिफारिश के मामले में पूर्व का स्थान बहुत ऊँचा है और 76% उत्तरदाताओं द्वारा अपने मित्रों और परिवार को जीवन बीमा की सिफारिश करने की संभावना देखी जाती है। चूँकि पूर्व में जागरूकता इतनी अधिक है, यह इस बात को भलीभाँति दर्शाता है कि कितने लोग सोचते हैं कि जीवन बीमा एक आवश्यक वित्तीय उपकरण है, जिसमें 94% लोग जीवन बीमा को एक आवश्यकता मानते हैं, जबकि देशभर में यह आँकड़ा 91% है। पूर्व के शहरों ने सोशल मीडिया का भी कम उपयोग किया है, जिसमें 22% लोग किसी भी प्रकार के सोशल मीडिया चैनल का उपयोग नहीं करते हैं।
जीवन बीमा परिषद के महासचिव, एस.एन. भट्टाचार्य कहते हैं, "हमने यह सर्वेक्षण मुख्य रूप से भारतीय दर्शकों के बीच जीवन बीमा के बारे में धारणा, जागरूकता और परिचितता को समझने के उद्देश्य से किया था। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय परिवार का प्रत्येक धन अर्जित करने वाला सदस्य अपने परिवार के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुरक्षित करने के लिए जीवन बीमा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। हम समझते हैं कि देखभाल और जिम्मेदारी एक साथ चलते हैं, और हम इस मानसिकता की रक्षा करना चाहते हैं, इसके साथ ही भारतीयों को शिक्षित करना चाहते हैं, ताकि हम सर्वोत्तम जीवन बीमा समाधान पेश कर सकें।"
इसके अतिरिक्त, निष्कर्षों से कई दिलचस्प रुझान सामने आए हैं, जो यह दर्शाते हैं कि लोग जीवन बीमा के महत्व के बारे में कितने अधिक जागरूक हैं:
सर्वेक्षण से यह भी ज्ञात हुआ कि जीवन बीमा निवेश की प्रकृति, लंबी अवधि के साथ-साथ एक महँगी धारणा है, इन्हें अपनाने के लिए ये ही दो प्रमुख बाधाएँ हैं। इस सर्वेक्षण के साथ जीवन बीमा परिषद और इसके 'सबसे पहले जीवन बीमा' अभियान का उद्देश्य न केवल लोगों को जीवन बीमा के महत्व के बारे में शिक्षित करना है, बल्कि उन कदाचारों को भी मिटाना है, जो लोगों को श्रेणी और उत्पादों के बारे में गुमराह करते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि लोग अपने और अपने परिवार के सुरक्षित, बेहतर भविष्य के लिए जीवन बीमा को सही दृष्टि से देखें।
सर्वेक्षण के बारे में
जीवन बीमा परिषद के बारे में
जीवन बीमा परिषद का गठन बीमा अधिनियम 1938 की धारा 64सी के तहत किया गया है, यह जीवन बीमा उद्योग का चेहरा है, जो उद्योग के विभिन्न हितधारकों को जोड़ता है। यह उद्योग के विकास की दिशा में कई उप-समितियों के माध्यम से सभी जीवन बीमाकर्ताओं की भागीदारी के साथ मिलकर कार्य करता है। जीवन बीमा परिषद नियामक (IRDAI), भारत सरकार और अन्य सभी वैधानिक निकायों के समक्ष उद्योग की ओर से वकालत के प्रयास का नेतृत्व करती है। जीवन बीमा के बारे में अधिक जानकारी के लिए विज़िट करें sabsepehlelifeins.com
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