World Constipation Month: आपको भी रहती है कब्ज की दिक्कत तो इन 7 बातों को जरूर जानें

World Constipation Month 2024: कब्ज कोई छोटी परेशानी नहीं है. अगर आपको लगातार कब्ज रहता है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत है क्योंकि कब्ज इस बात का संकेत है कि आपके पाचन-तंत्र में सब कुछ ठीक नहीं है.

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कब्ज से जुड़े कुछ मिथक कब्ज से जुड़े कुछ मिथक

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:53 PM IST

बदलते लाइफस्टाइल और अनहेल्दी डाइट के कारण आज कब्ज की समस्या आम हो गई है. सर्दियों में इसकी समस्या थोड़ी और बढ़ जाती है. कब्ज की तेजी से बढ़ती समस्याओं के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल दिसंबर माह को 'कांस्टिपेशन अवेयरनेस मंथ' के रूप में मनाया जाता है.

कब्ज एक ऐसी समस्या है जिसे ज्यादातर लोग नजरअंदाज करते हैं. यहां तक कि 90% लोगों को तो पता ही नहीं होता कि उनके शरीर में कुछ गड़बड़ है. जबकि लगातार कब्ज का होना बताता है कि आपका पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं कर पा रहा है.

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चलिए जानते हैं कब्ज से जुड़े मिथक के बारे में:

मिथक 1: एक दिन में एक बार वॉशरूम जाना जरूरी है

यह एक आम धारणा है कि एक दिन में एक बार वॉशरूम जाना या मलत्याग करना जरूरी है. पर ऐसा नहीं है. यह हर किसी के लिए अलग-अलग है. कुछ लोग ऐसे होते हैं जो दिन में तीन बार शौच के लिए जाते हैं, जबकि कुछ लोग सप्ताह में तीन बार जाते हैं. एक दिन में एक बार वॉशरूम जाना आम है. पर किसी कारण से आपको प्रेशर नहीं आ रहा तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. लेकिन अगर आप एक सप्ताह में तीन बार से भी कम शौच के लिए जाते हैं, तो इसका मतलब है कि आपको कब्ज है. अगर आप सप्ताह में एक या एक से कम जाते हैं तो आपको डॉक्टर से तुरंत दिखाने की जरूरत है.

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मिथक 2: कब्ज सिर्फ बुजुर्गों को होता है

लोगों के बीच एक गलत धारणा है कि कब्ज तो सिर्फ बुजुर्गों को होता है. उम्र पाचन तंत्र के लिए मायने जरूर रखता है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कब्ज बच्चों या यंग लोगों को नहीं होगा. कब्ज स्ट्रेस, डाइट, फिजिकल एक्टिविटी की कमी और कुछ दवाओं पर भी निर्भर करता है.

मिथक 3: लैक्सेटिव से कब्ज दूर हो जाएगा

लैक्सेटिव (कब्ज दूर करने वाली दवाएं) कभी-कभी तो मदद कर सकती है, पर यह परमानेंट सॉल्यूशन नहीं है. बल्कि कई बार तो इसकी आदत भी लग जाती है. कब्ज से छुटकारा पाने का सबसे बेहतर तरीका है लाइफस्टाइल में बदलाव लाना. जिसमें आप ज्यादा से ज्यादा पानी, फाइबर वाली डाइट, और फिजिकल एक्टिविटी को शामिल कर सकते हैं. साथ ही जितना हो सके, तनाव से दूर रहें. अगर फिर भी कब्ज है तो डॉक्टर से बात करें.

मिथक 4: तनाव से कब्ज पर असर नहीं होता

तनाव को आमतौर पर मेंटल हेल्थ से जोड़ कर देखा जाता है, लेकिन इसका असर हमारे पाचन तंत्र पर भी पड़ता है. जब हम तनाव लेते हैं तो इसका असर हमारे मेटाबॉलिज्म पर पड़ता है. जिसके कारण कब्ज या दस्त हो सकते हैं. तनाव से बचने के लिए मेडिटेशन कर सकते हैं या ब्रेक लेकर छुट्टी पर जा सकते हैं.

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मिथक 5: ज्यादा फाइबर लेने से कब्ज अपने आप दूर हो जाएगा

एक्सपर्ट का कहना है कि यह बिल्कुल सही है कि फाइबर से कब्ज दूर होता है. पर फाइबर का उपयोग भी बहुत ज्यादा नहीं किया जा सकता. क्योंकि यह कोई कब्ज की दवा नहीं है. ऐसे में फाइबर के साथ-साथ ज्यादा से ज्यादा पानी भी पिएं. 

मिथक 6: ज्यादा मांस खाने से पाचन तंत्र बेहतर होगा

कुछ लोगों का यह मानना है कि ज्यादा मांस खाने से उनका पाचन तंत्र बेहतर होगा. लेकिन वास्तव में होता इसका उल्टा है. मांस खाने से कब्ज और बढ़ जाता है. पाचन तंत्र को बेहतर बनाने के लिए फाइबर वाली डाइट, साबुत अनाज, फल, सब्जियों और दालों को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए.

मिथक 7: कब्ज का मतलब है कि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है

हालांकि, कब्ज को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों या कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जोड़ा जा सकता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपको कब्ज है तो कोई दुर्लभ बीमारी भी है. ज्यादातर कब्ज के मामले लाइफस्टाइल और डाइट से जुड़े होते हैं.

कब्ज कोई छोटी परेशानी नहीं है. अगर आपको लगातार कब्ज रहता है. तो आपको डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत है. क्योंकि कब्ज इस बात का संकेत है कि आपके पाचन-तंत्र सब कुछ ठीक नहीं है.

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