AI Cancer Test: एआई से होगी कैंसर की जांच! खून की एक बूंद से पता चलेगा इस जानलेवा बीमारी का

AI Cancer Test: फ्रैगल (Fragle) नामक नए और स्मार्ट AI टूल की मदद से अब कैंसर की जांच सिर्फ खून की एक बूंद से मुमकिन है. इसे सिंगापुर के वैज्ञानिकों ने बनाया है. यह टूल खून में छिपे कैंसर के संकेतों को ढूंढने में मदद करता है. खास बात यह है कि फ्रैगल काम बहुत ही जल्दी और सस्ते में करता है.

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AI से आसान हुई कैंसर की जांच AI से आसान हुई कैंसर की जांच

आजतक लाइफस्टाइल डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 17 जून 2025,
  • अपडेटेड 5:19 PM IST

AI Cancer Test: कैंसर एक जानलेवा बीमारी है जिसके मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. कैंसर का पता लगते ही लोगों को अपनी जान का खतरा सताने लगता है. इस घातक बीमारी का ना केवल इलाज कराना बल्कि उसकी टेस्टिंग भी उतनी ही महंगी होती है. अब एक ऐसी खबर आई है जो कैंसर की टेस्टिंग की राह को आसान बनाएगी. अगर हम कहें कि खून की बस एक छोटी सी बूंद से कैंसर का पता चल सकता है, तो क्या आप यकीन करेंगे?

अगर नहीं, तो बता दें कि फ्रैगल (Fragle) नामक नए और स्मार्ट AI टूल की मदद से अब ये मुमकिन है. इसे सिंगापुर के वैज्ञानिकों ने बनाया है. यह टूल खून में छिपे कैंसर के संकेतों को ढूंढने में मदद करता है. खास बात यह है कि फ्रैगल काम बहुत ही जल्दी और सस्ते में करता है.

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कैसे काम करता है फ्रैगल?
आपके खून में डीएनए (DNA) के छोटे टुकड़े रहते हैं. अगर किसी को कैंसर है, तो ट्यूमर की वजह से DNA के ctDNA नामक कुछ टुकड़े खून में आ जाते हैं. फ्रैगल इनकी लंबाई को देखता है और पहचानता है कि कहीं इनमें कैंसर वाला DNA तो नहीं है. यह बिलकुल वैसा ही है जैसे वैज्ञानिक पानी में वायरस ढूंढकर कोविड का पता लगाते थे. उसी तरह, फ्रैगल खून में कैंसर की मौजूदगी की जांच करता है.

क्यों खास है ये टेस्ट?
कैंसर के बाकी सभी टेस्ट्स के मुकाबले ये टेस्ट बहुत ही सस्ता है. इस टेस्ट को कराने के लिए लगभग 3000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं, जबकि पुराने टेस्ट्स के लिए  60,000 रुपये तक का खर्चा करना पड़ता था. इस टेस्ट को करने के लिए सिर्फ थोड़ा से खून की ही जरूरत होती है. इसका इस्तेमाल बार-बार किया जा सकता है, जिससे डॉक्टर जल्दी समझ सकते हैं कि जो इलाज वह मरीज पर कर रहे हैं वह काम भी कर रहा है या नहीं. 

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मरीजों की मदद कैसे करता है?
फ्रैगल मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि इससे पता लगता है कि इलाज असरदार है या नहीं. इसके साथ ही ये भी आसानी से देखा जा सकता है कि कहीं कैंसर वापस तो नहीं आ रहा. बिना ज्यादा खर्च और दर्द के मरीज की नियमित जांच हो सकती है और पैसे भी ज्यादा खर्च नहीं करने पड़ते.

शुरू हो गया इसका इस्तेमाल?
अभी सिंगापुर में इसका का इस्तेमाल चल रहा है. रिपोर्ट्स की मानें तो सिंगापुर में 100 से ज्यादा कैंसर मरीजों पर हर दो महीने में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. डॉक्टर अभी इन टेस्ट्स को एग्जामिन कर रहे हैं कि ctDNA में कैसे बदलाव आ रहा है और इलाज पर मरीजों की बॉडी किस तरह से रिएक्ट कर रही है.

क्या है फ्यूचर प्लानिंग?
रिसर्चर्स चाहते हैं कि आने वाले समय में इस AI टूल का इस्तेमाल सभी अस्पतालों में इस्तेमाल हो और इससे मरीजों की देखभाल और भी अच्छे से की जा सके. इस प्रोजेक्ट के हेड डॉ. वान यू का कहना है कि 'हम फ्रैगल को लेकर बहुत एक्साइटेड हैं. इससे इलाज सस्ता और आसान होगा और ये पूरी दुनिया में कैंसर मरीजों की मदद कर सकता है.

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