देश में तेजी से बढ़ रही कोरोना महामारी से त्राहिमाम मचा हुआ है. अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी जानलेवा साबित हो रही है. इसी बीच सोशल मीडिया पर सांस रोककर ऑक्सीजन लेवल चेक करने का एक फार्मूला वायरल हो रहा है. दावा किया जा रहा है कि इस फार्मूले की मदद से आप जान सकते हैं कि आपको कोरोना संक्रमण है या नहीं.
कई फेसबुक यूजर 26 सेकेंड का एक वीडियो शेयर कर रहे हैं जिसमें लोगों से 20 सेकेंड तक सांस रोकने के लिए कहा जा रहा है. वीडियो में दावा किया जा रहा है कि अगर इतने लंबे समय तक अपनी सांस रोक लेते हैं तो आप कोरोना से मुक्त हो सकते हैं.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वीडियो में किया जा रहा दावा भ्रामक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, बिना किसी परेशानी के 10 सेकेंड या इससे ज्यादा देर तक सांस रोक लेने का मतलब ये नहीं है कि आप कोरोना या किसी दूसरी फेफड़े की बीमारी से मुक्त हैं.
ऐसी ही कुछ पोस्ट के आर्काइव यहां , यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
AFWA की पड़ताल
पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान भी सोशल मीडिया पर ऐसा ही दावा किया जा रहा था. उस समय लोगों से 10 सेकेंड सांस रोककर झटपट कोरोना टेस्ट करने के लिए कहा जा रहा था. हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने इसका खंडन करते हुए कहा था कि किसी व्यक्ति में कोरोना संक्रमण या कोई दूसरी फेफड़े की बीमारी है या नहीं, उसे इस तरह सांस रोककर चेक करने का कोई क्लिनिकल पैरामीटर नहीं है.
FACT: Being able to hold your breath for 10 seconds or more without coughing or feeling discomfort DOES NOT mean you are free from the coronavirus disease or any other lung disease.
Posted by World Health Organization (WHO) on Sunday, 29 March 2020इंडिया टुडे ने जाने-माने पल्मोनोलॉजिस्ट और वसंतकुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल के निदेशक डॉ जेसी सूरी से बात की. उनके मुताबिक, “सांस रोकने वाले इस टेस्ट को कोरोना वायरस से जोड़ना लोगों को गुमराह करना है, क्योंकि कोरोना के बिना लक्षण वाले मरीज भी इतने लंबे समय तक सांस रोक सकते हैं.” इसलिए इस तरह सांस रोककर ये पता नहीं लगाया जा सकता कि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं.
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड में वाइस प्रेसीडेंट और संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख डॉ फहीम यूनुस की भी इस दावे के बारे में यही राय है. पिछले साल उन्होंने ट्वीट किया था, “कोरोना वायरस से संक्रमित युवा पेशेंट 10 सेकेंड से ज्यादा सांस रोक सकते हैं जबकि कई उम्रदराज लोग जो संक्रमित नहीं हैं, वे नहीं रोक सकते.”
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, कोविड-19 संक्रमण के लिए मौजूदा वक्त में तीन तरह के टेस्ट हो रहे हैं. पहला आरटीपीसीआर टेस्ट जिसमें नाक और मुंह से स्वैब लिए जाते हैं. दूसरा एंटीजन टेस्ट जिसमें वायरस के आउटर प्रोटीन का पता लगाया जाता है. तीसरे प्रकार के टेस्ट में ये पता लगाया जाता है कि इंसान के शरीर में एंटीबॉडी डेवलप हुए हैं या नहीं.
पड़ताल से ये निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि सांस रोककर कोरोना संक्रमण के बारे में पता नहीं लगाया जा सकता. फेसबुक पर वायरल हो रहा ये दावा गुमराह करने वाला है.
चयन कुंडू