भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एजेंडा आजतक के मंच पर 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर बातचीत के दौरान और भी कई मसलों पर अपने विचार साझा किए. इस बिल की उपयोगिता बताने के साथ-साथ उन्होंने इसे बनाने में लगने वाले वक्त की भी जानकारी दी. साथ ही किस तरह इस रिपोर्ट को बनाने में मेहनत की गई है इस बारें में भी उन्होंने बताया.
'वन नेशन, वन इलेक्शन' रिपोर्ट कैसे हुआ तैयार
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बताया कि इस रिपोर्ट को बनाने में मोटे तौर पर 6 महीने लगे. 3 महीने तो इनविटेशन में लग गए. फिर हमने इंटेरेक्शन शुरू किया. 2 महीने डे टू डे बेसिस पर इंटेरेक्शन किया. यह रिपोर्ट 18 हजार से ज्यादा पेजेस की है. मुझे जानकारी दी गई कि इतनी बड़ी रिपोर्ट आजतक भारत सरकार की किसी कमिटी ने नहीं सब्मिट किया. ये रिपोर्ट 21 वाल्यूम्स में बना हुआ है. हमने इसके लिए पब्लिक से सजेशन मांगे. इसके लिए 100 से अधिक विज्ञापन 16 भाषाओं में दिया. 21000 लोगों ने इसपर प्रतिक्रिया दी. 80 प्रतिशत लोग इसके पक्ष में थे. इसके अलावा हमने हमने पूर्व चीफ इलेक्शन कमिशनर को भी बुलाया. फिक्की,आईसीसी, बार काउंसिल के प्रतिनिधियों को भी बुलाया.
रिटायर्ट चीफ जस्टिस को भी इस कमिटी में शामिल किया गया
राम नाथ कोविंद ने आगे कहा कि 'वन नेशन, वन इलेक्शन' की कमेटी में हमने रिटायर्ड चीफ जस्टिस को भी शामिल किया. किसी राज्य की रिपोर्ट आई कि स्टेट के पास चुनाव करवाने के पास पैसे नहीं हैं. जजों ने कहा है कि 'वन नेशन, वन इलेक्शन' फेडरलिज्म को मजबूत बनाएगा.
भारत के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है ये बिल
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बताया कि भारत में चुनाव कराने में 5 से साढ़े 5 लाख करोड़ रुपये लग जाते हैं. अगर ये बिल लागू हो जाएगा को एक साथ चुनाव कराने में सिर्फ 50 हजार करोड़ रुपये ही लगेंगे. इससे काफी बचत होगा. बचा पैसा इंडस्ट्रियल ग्रोथ में लगेगा. कुल मिलाकर इस बिल के प्रभावी होने के बाद देश की जीडीपी तकरीबन एक से डेढ़ प्रतिशत जीडीपी बढ़ने की संभावना है. ऐसे में ये वन नेशन, वन इलेक्शन भारत के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है.
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