शराब, त्रासदी और मौत: जानिए गुरुदत्त की आखिरी रात की पूरी कहानी

बीते दौर का वो संवेदनशील और जीनियस फिल्मेमकर जो दुनिया के कई महान आर्टिस्ट्स की तरह ही नशे के जरिए इस दुनिया को अलविदा कह गया. जानिए उस रात की कहानी.

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गुरुदत्त गुरुदत्त

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 11:08 AM IST

बीते दौर का वो संवेदनशील और जीनियस फिल्मेमकर जो दुनिया के कई महान आर्टिस्ट्स की तरह ही नशे के जरिए इस दुनिया को अलविदा कह गया. महान निर्देशक गुरुदत्त 10 अक्टूबर 1964 में मुंबई में अपने बिस्तर में रहस्यमय स्थिति में मृत पाये गए थे. कहा जाता है, शराब की लत से लंबे समय तक जूझने के बाद 1964 में उन्होंने आत्महत्या कर ली. जानिए उस रात की कहानी...

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क्या है कहानी?

गुरु दत्त के भाई देवी दत्त का मानना है कि ये आत्महत्या नहीं थी. उन्हें लगता है कि ये ड्रग ओवरडोज की वजह से हुआ ऑक्सिडेंट था. उन्होंने बताया कि कैसे वे गुरु दत्त के साथ फिल्म बहारें फिर भी आएगी के सेट पर थे और गुरु उस वक्त एकदम ठीक और स्वस्थ लग रहे थे. हालांकि, बाद में एक लीड स्टार ने शूट को कैंसिल कर दिया और गुरु दत्त नाराज हो गए. उन्हें इसकी वजह से अपना अगले दिन का प्लान बदलना पड़ा था.

देवी और गुरु दत्त साथ मिलकर कोलाबा में शॉपिंग करने गए, जहां उन्होंने गुरु के बेटों-तरुण और अरुण के लिए चीजें खरीदीं. इसके बाद दोनों पेडेर रोड पर स्थित गुरु दत्त के अपार्टमेंट में वापस आए (शाम 7 बजे), जहां गुरु अपने परिवार के बिना रहते थे. उनका सहायक रतन उनके साथ रहता था. गुरु अपने बच्चों के साथ समय बिताना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने रात 10 बजे अपनी पत्नी गीता दत्त को कॉल किया और बच्चों को भेजने के लिए कहा. दोनों की शादी टूटने की कगार पर थी. गीता ने उन्हें मना कर दिया क्योंकि रात बहुत हो चुकी थी. इससे गुरु दत्त परेशान हो गए. उन्होंने गुस्से में पत्नी से कहा था बेटी को भेज दो वर्ना मेरा मरा मुंह देखोगी.

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रात 12 बजे वो खाने की तैयारी करने लगे. खाते-खाते 1 बज गया. बाद में गुरु दत्त ने भाई देवी दत्त को जाने के लिए कहा क्योंकि उनके साथ आईडिया डिस्कस करने के लिए राइटर/डायरेक्टर अबरार अल्वी आने वाले थे. दोनों का साथ में शराब पीते हुए काम करने का इरादा था. इसके बाद देवी दत्त भाई गुरु दत्त को अपार्टमेंट छोड़ चले गए. उन्होंने ये नहीं सोचा था कि इसके ठीक 24 घंटों बाद वे अपने भाई गुरु दत्त से कभी बात नहीं कर पाएंगे.रात 3 बजे गुरुदत्त अपने कमरे से बाहर आए और शराब मांगने लगे. जब रतन ने शराब देने से मना किया तो उन्होंने खुद बोतल उठाई और कमरे में चले गए. इसके बाद क्या हुआ कोई नहीं जानता. 10 अक्टूबर को गुरु दत्त कमरे में मृत पाए गए.

बता दें कि गुरु दत्त पहले ऐसे निर्देशक थे, जिन्होंने दर्शकों को फिल्मों की बारीकियों से रूबरू करवाया. गुरुदत्त की स्टोरी टेलिंग की क्षमता अद्वितीय थी. उनकी तारीफ में फिल्मकार अनवर जमाल ने कहा था- क्राइम थ्रिलर फिल्मों के निर्माण में गुरुदत्त ने मानक तय किया था. उनकी फिल्मों में कहानी की कई तहें दिखाई देती हैं. वो सामाजिक राजनीतिक परिदृश्य को समझकर फिल्म बनाने वालों में से थे. उनकी फिल्मों में कोई चीज बेवजह नहीं मिलती थी.

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पर्सनल लाइफ की बात करें तो गुरुदत्त के पिता का नाम शिवशंकर राव पादुकोण था. मां वसंती पादुकोण की नजर में गुरुदत्त बचपन से ही बहुत नटखट और जिद्दी थे. सवाल पूछते रहना उसका स्वभाव था. कभी-कभी उनके सवालों का जवाब देते-देते मां परेशान हो जाती थीं.

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