Shri Krishna 27 May Episode: गोकुल में कृष्णा का तुला दान, इंद्र को क्यों आया क्रोध?

इंद्र देवताओं के राजा थे, उन्हें लगता था की सारें लोग उनकी ही पूजा करें तब कृष्णा ने ये निश्चय किया की इंद्र के इस अहंकार को तोड़ना चाहिए. गोकुल के सभी लोग इंद्र की पूजा के तैयारी में व्यस्त हैं.

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स्वप्नील जोशी स्वप्नील जोशी

विशाल शर्मा

  • मुंबई,
  • 28 मई 2020,
  • अपडेटेड 1:35 PM IST

रामानंद सागर की रामायण ने जिस तरह पूरे विश्व में सबसे लोकप्रिय धारावाहिक बना उसी के तर्ज पर अब डी डी नेशनल पर रोजना रात 9 बजे से 10 बजे तक कृष्णा का प्रसारण हो रहा है. लेकिन अगर आप से लेटेस्ट एपिसोड छूट हुआ हो तो कोई चिंता मत कीजिए. आइए हम आप को बताते है कि बुधवार के एपिसोड में क्या-क्या हुआ.

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गोकुल में कृष्णा का तुलादान, धरती पर कृष्णा की पहली हार

राधा के पिताजी अपने घर में बताते हैं कि गोकुल से न्योता आया है, पूरी बिरादरी का भोज है. उसी दिन कृष्णा और बलराम का तुला दान है. कृष्णा अपनी बांसुरी बजा रहे हैं. तभी राधा आती हैं और कहती हैं कि देखो इस बार में नहीं आ रही लेकिन तुम्हारी मैया ने बुलाया है. कृष्णा कहते हैं मैया के न्योता के साथ हमारा भी न्योता है, आना जरूर... गोकुल में बड़े ही धूमधाम और मंत्रों के साथ कृष्णा का तुला दान हो रहा है.

कृष्णा ने अपनी लीला यहां पर भी दिखाई कृष्णा जब तुला पर बैठते हैं तब उनका पलडा भारी होता है, नंदबाबा मोती और हीरो की थाल पर थाल रखते हैं लेकिन कृष्णा फिर भी भारी होते हैं. यशोदा अपने गहने उतार कर तराजू पर रखती हैं लेकिन कुछ नहीं होता तभी दाऊ राधा के पास जाते हैं. राधा दाऊ को अपने बालों के गजरे की कुछ कली देती हैं और जैसे ही दाऊ उस कली की तराजू पर रखती हैं कृष्णा का पलडा उठ जाता है और सभी इस चमत्कार को देख हैरान हो जाते है. राधा और कृष्णा बात कर रहे होते हैं तभी राधा कृष्णा से कहती है कि आज आप ने मेरे प्रेम की लज्जा रख ली लेकिन कृष्णा कहते है कि नहीं राधा इस धरती पर हमारी यह पहली हार है.

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जब कृष्णा ने तोड़ा इंद्र के अहंकार को

इंद्र देवताओं के राजा थे उन्हें लगता था की सारें लोग उनकी ही पूजा करें तब कृष्णा ने ये निश्चय किया की इंद्र के इस अहंकार को तोड़ना चाहिए. गोकुल के सभी लोग इंद्र की पूजा के तैयारी में व्यस्त हैं. कृष्णा आते है नंदबाबा से पूछते है कि यह किस उत्सव की तैयारी हो रही है. नंदबाबा बताते है कि हम इंद्र की पूजा करने जा रहे हैं. कृष्णा कहते है कि ये इंद्र हमारा क्या करते है कि हम उनकी पूजा करते हैं.

कृष्णा कहते है कि इंद्र एक विलासी देवता हैं जो मौज-मस्ती में डूबा रहता है. नंदबाबा कृष्णा को बताते है कि इंद्र देवताओं के राजा हैं वो मेघ के भी राजा हैं, मेघ की वजह से वर्षा होती है. उसी से अन्न होता है.

कृष्णा कहते है कि अगर उनकी पूजा ना हो तो... नंदबाबा कहते है कि वो क्रोध में आ जाएंगे और वर्षा नहीं होगी. वो भगवान हैं हमारे. कृष्णा कहते है कि भगवान तो वो हैं जो सभी भक्तों की भूल को क्षमा कर देते हैं. इंद्र की पूजा करो तो वो वर्षा करेंगे नहीं तो वो बादल हटा लेंगे. ये भगवान के नहीं बल्कि व्यापारी के लक्षण हैं. मेरी मानो तो ऐसे भगवान की पूजा करो जिसकी दृष्टि में सभी एक हों उनकी करुणा के बादल एक समान बरसते हैं उनकी पूजा करो.

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नंदबाबा कहते है कि इंद्र को क्रोध आ गया तो वो अपने व्रज के प्रहार से सभी को मृत्यु दंड देंगे. तभी कृष्णा नंदबाबा को समझाते है कि ये झूठ-भय है. गुरु देव ने कहा था अपने-अपने क्रमों के अनुसार ही प्राणी को मृत्यु का समय निश्चय है. इंद्र में ऐसी कोई ताकत नहीं है कि वो किसी की मृत्यु निश्चित करे. इसलिए उनसे डरना व्यर्थ है.

जब गोकुल में शुरुआत हुई गोवर्धन पूजा की.

तभी गुरु देव कहते है कि कृष्णा सही कह रहे हैं. लेकिन भगवान के ऊपर ईष्ट देवता होते हैं तो अपने -अपने भौतिक कार्य करने की अनुमति शास्त्र भी देता है. कृष्णा गुरु देव की बातों को सही बताते हैं और वो उनसे कहते है कि ईष्ट देव किसे माना जाए.

गुरु देव बताते है कि ईष्ट देव उसे माना जाए, जिसके कारण हमारी जीविका चलती है. तो कृष्णा कहते है कि हम सभी की जीविका चलाने वाली तो गाय हैं हमारी ईष्ट देवी तो गो माता ही होनी चाहिए. क्योंकि की हम गोपालों की एक मात्र जीविका गोपालन है. हमारी गो माता का भरण पोषण घास और जल अपने फल के द्वारा करते हैं. वहीं गिरिराज गोवर्धन हमारे ईष्ट देव हैं.

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अगर आज से हमें अपनी ईष्ट देव की पूजा करनी है तो गिरिराज और गो माता की करनी चाहिए. क्योंकी उनके शरीर में देवी देवताओं और चरणों में तीनो लोक का वास है. गुरु देव भी कृष्णा के बातों को सही बताते हैं और नंदबाबा से कहते है कि आपका पुत्र जरुर कोई सिद्ध बालक है. इतनी छोटी सी उम्र में इतना ज्ञान होना कोई आम बात नहीं है. गुरु देव नंदबाबा से कहते है कि ये सभी सामग्री गोवर्धन के पास के चलिए.

वहीं पर हम पूजा करेंगे सभी गोकुलवाशी गोवर्धन के पर्वत पर जा कर उनकी पूजा करते हैं तभी गोवर्धन भगवान पूजा से प्रसन्न हो कर खुद प्रकट होते हैं और जो भी फल और प्रसाद है वो खुद ही ग्रहण कर लेते हैं. तभी गोकुल के लोगों को गोवर्धन में कृष्णा की छवि दिखाई देती है. गोवर्धन भगवान गोकुल के लोगों को कहते है कि जहां तक हमारा पर्वत दिखाई देगा वहां तक की भूमि हरी भरी रहेगी.

इंद्र ने मेघ के साथ मिलकर गोकुल में मचाई तबाही

तभी इंद्र देव को सूचना मिलती है कि धरती पर अब उनकी पूजा नहीं होगी. इस बार गोकुल वालों ने इंद्र की पूजा नहीं की. इससे इंद्र बहुत क्रोधित होते हैं. कहते है कि मेघों के नायक को यहां पर जल्द उपस्थित करो. गोकुल निवासियों को इसका भयंकर दंड भुगतना होगा. इंद्र, मेघ को कहते है कि तुम मेघ प्रलय से गोकुल के लोगों का सर्वनाश कर दो .तभी पूरे गोकुल में मेघ और इंद्र देव तबाही ही तबाही मचा देते हैं. तेज हवा और तूफ़ान से गोकुल वाले परेशान यहां वहां भाग रहे हैं.

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