धर्मशाला के कैफे में वेटर का काम कर चुका ये शख्स इंटरनेशनल एक्टर है

धर्मशाला के कैफे में एक 28 साल के शख्स ने काफी समय तक वेटर का काम किया है. खास बात ये है कि ये कोई साधारण शख़्स नहीं बल्कि कई अंतराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स में अवॉर्ड्स जीत चुकी एक फिल्म का एक्टर है.

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शावो डोर्जी शावो डोर्जी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 जून 2019,
  • अपडेटेड 5:53 PM IST

उत्तर भारत में पड़ती चिलचिलाती धूप से बचने के लिए अक्सर लोग पहाड़ों का रूख करते हैं. हिमाचल प्रदेश का धर्मशाला इस मामले में लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है. यहां मौजूद इलिटैराटी कैफे सोशल मीडिया पर एक्टिव लोगों के लिए खास जगह बन चुका है. इस कैफे की बालकनी से दिखते खूबसूरत पहाड़, इंस्टाग्राम जनरेशन के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है और शहरों की आपाधापी से दूर इस कैफे में आकर सुकून के कुछ पल बिताए जा सकते हैं.

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हालांकि ये कैफे सिर्फ अपनी पॉजिटिव वाइब्स के लिए ही मशहूर नहीं है, बल्कि एक और मायने में खास है. इस कैफे में एक 28 साल के शख्स ने काफी समय तक वेटर का काम किया है. खास बात ये है कि ये कोई साधारण शख़्स नहीं बल्कि कई अंतराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स में अवॉर्ड्स जीत चुकी एक फिल्म का एक्टर है.   

शावो डोर्जी नाम के इस शख़्स ने फिल्म पावो में काम किया था. ये कहानी जाम्फेल येशी के बारे में है. येशी ने आज से छह साल पहले चीन के तिब्बत में शासन के खिलाफ दिल्ली में प्रतिरोध दिखाते हुए आत्मदाह कर लिया था. उसी दौरान चीन के राष्ट्रपति जू हिंताओ भारत की यात्रा करने पहुंचे थे.   गौरतलब है कि दोर्जी उस प्रोटेस्ट में शामिल थे. उन्होंने बताया मैं उस दौरान कॉलेज में था और येशी ने जंतर मंतर पर खुद को आग लगाते हुए आत्मदाह किया था. ये सभी तिब्बत वासियों के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण इवेंट है. जब मुझे ये फिल्म ऑफर हुई तो मुझे समझ नहीं आया कि मैं येशी के किरदार को कैसे निभा पाऊंगा लेकिन फिर मुझे एहसास हुआ कि मेरी जिंदगी भी कुछ इसी तरह की रही है. मैं तिब्बत से भारत आया. यहां पला बढ़ा. मेरे दिमाग में चीजों को लेकर काफी कंफ्यूजन रहा. मैंने भी काफी कुछ झेला है लेकिन मैं येशी की तरह आत्मदाह नहीं करूंगा.

गौरतलब है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए दोर्जी ने काफी थियेटर किया था और उन्होंने चायवाला, एंग्लो इंडियन जैसे कई किरदार निभाए थे. दोर्जी मानते हैं कि जहां बॉलीवुड में सफल एक्टर के तौर पर स्थापित होना ज्यादातर भारतीयों के लिए एक सपना ही है वहीं किसी तिब्बत एक्टर के लिए ये और भी ज्यादा मुश्किल है.  तिब्बत के हालातों पर बात करते हुए वे कहते हैं कि तिब्बत सिस्टम का शिकार हो चुका है. हम सीरिया की तरह युद्ध नहीं झेल रहे हैं. लेकिन हम कहीं बीच में फंसे हैं. ना तो हमें पूरा अटेंशन मिल रहा है और ना ही हम खतरनाक हालातों में हैं.

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दोर्जी ने फिल्म पावो में येशी का किरदार निभाया था.  इस फिल्म को मार्विन लितवाक और सोनम सेतेन ने डायरेक्ट किया है. इस फिल्म को कई फिल्म फेस्टिवल्स में नॉमिनेशन्स और अवॉर्ड्स भी मिल चुके हैं. इस फिल्म को अमेरिका में टॉप इंडी फिल्म फेस्टिवल मे अव़ॉर्ड मिला था.  दोर्जी ने ये भी कहा कि वे बॉलीवुड की एक मसाला फिल्म करना चाहते हैं ताकि इंडस्ट्री में तिब्बत के एक्टर्स से जुड़े स्टीरियोटाइप्स को चुनौती दी जा सके. उन्होंने कहा कि मैं साबित करना चाहता हूं कि तिब्बत का रहने वाला एक शॉर्ट और स्वीट इंसान भी दबंग टाइप के किरदार निभा सकता है.

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