एक दौर था जब रेडियो, ऑडियो कैसेट्स, दूरदर्शन और सिंगल स्क्रीन थिएटर लोगों के लिए मनोरंजन के मुख्य माध्यम हुआ करते थे. आज के दौर में मामला बिलकुल अलग है. सिनेमाघरों में मनोरंजन की क्वालिटी इंप्रूव हुई है वहीं इसका खर्च भी बढ़ा है. सिंगल स्क्रीन थिएटर्स के मुकाबले आज मल्टीप्लेक्स में फिल्म देखना कहीं महंगा है.
4 लोगों के पूरे परिवार के साथ यदि आपको फिल्म देखने जाना है तो 350 रुपये प्रति टिकट के हिसाब से औसतन आपको 1400 रुपये के आसपास खर्च करने पड़ते हैं. इतना ही नहीं अब क्योंकि बात सिर्फ आपके टाटा स्काई तक सीमित नहीं रह गई है तो आपको अपने मोबाइल फोन पर इंस्टॉल एप्लीकेशन्स का भी खर्च उठाना है.
हॉटस्टार का एक साल का सब्सक्रिप्शन 999 रुपये है. इसी तरह जी5 और अमेजन प्राइम भी एक साल का 999 रुपये चार्ज करते हैं. इस तरह 2700 रुपये का बिल तो यूं ही तैयार हो जाता है. इसके अलावा यदि आपको नेटफ्लिक्स की क्लासिक और यूनिक वेब सीरीज मिस नहीं करनी हैं तो उसके लिए आपको एक साल का 9600 रुपये अलग से देना होगा.
इस तरह आपका एक साल का वेब स्ट्रीमिंग एप्लीकेशन्स का खर्च ही 12 हजार 300 रुपये के करीब हो जाता है. इसके अलावा आपके डी2एच कनेक्शन और मल्टीप्लेक्स में फिल्में देखने जाने का बिल अलग रहा. टाटा स्काई का महीने का 350 का रीचार्ज साल का 4200 हो जाता है. और मल्टीप्लेक्स में यदि आप साल में 10 बार भी परिवार के साथ फिल्म देखने गए तो बिल हुआ 16 हजार 800 रुपये.
इस तरह देखा जाए तो आप एक साल में अपने मनोरंजन के लिए तकरीबन 30,000 खर्च कर देते हैं. बात बस यहीं तक सीमित नहीं रह जाती है. पिछले कुछ सालों में बजट में सरकार भी जनता पर कुछ ज्यादा मेहरबान नहीं है. अतः मनोरंजन टैक्स लगातार बढ़ रहा है. देखना होगा कि इस साल क्या जनता को सरकार के कुछ खास तोहफा मिलता है.
aajtak.in