मुंशी प्रेमचंद की कहानी पर बनी थी ये फिल्म, खुद किया था कैमियो रोल

साल 1942 में रिलीज हुई इस फिल्म का नाम मिल (मजदूर) था. इस फिल्म की कहानी को प्रेमचंद ने लिखा था. खास बात ये है कि उन्होंने इस फिल्म में छोटी सी भूमिका भी निभाई थी.

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मुंशी प्रेमचंद मुंशी प्रेमचंद

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 10:47 AM IST

हिंदी के महान कहानीकार मुंशी प्रेमचंद की किताबों और कहानियों से हमारा बचपन से ही सामना होता रहा है. उनकी कहानियों ने लाखों-करोड़ों लोगों के दिमाग पर अमिट छाप छोड़ी है और आज भी उन्हें भारत के सबसे महत्वपूर्ण लेखक के तौर पर शुमार किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कलम के जादूगर प्रेमचंद सिर्फ कहानियां ही नहीं लिखते थे बल्कि वे एक फिल्म की स्क्रिप्ट भी लिख चुके हैं.

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साल 1934 में रिलीज हुई इस फिल्म का नाम मिल (मजदूर) था. इस फिल्म को मोहन भवनानी ने डायरेक्ट किया था और इस ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म को मुंबई की अंजता सिनेटोन ने प्रोड्यूस किया था. इस फिल्म की कहानी को प्रेमचंद ने लिखा था. खास बात ये है कि उन्होंने इस फिल्म में छोटी सी भूमिका भी निभाई थी. ये फिल्म दरअसल एक मील के मालिक के बारे में है. ये इंसान काफी उदार और दयालु होता है लेकिन उसका बेटा उसके उलट निकलता है. वो काफी पैसे उड़ाने वाला होता है और मील के कर्मचारियों के साथ गलत ढंग से पेश भी आता है. हालांकि अपने भाई के इस व्यवहार से उसकी बहन काफी परेशान हो जाती है और अपने भाई की हरकतों को देखते हुए वो खुद अपने पिता की विरासत को संभालने के लिए दृढ़ निश्चयी हो जाती है.

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फिल्म के एक सीन को लेकर हुआ था जबरदस्त विवाद

इस फिल्म के एक सीन को लेकर तो जबरदस्त विवाद हुआ था. इस सीन में दिखाया गया था कि ये महिला मील के कर्मचारियों को अपने ही सनकी भाई के खिलाफ हड़ताल करने के लिए उकसाती है. इस सीन को लेकर पूरे देश में विवाद हुआ था खासकर मुंबई में, जो उस समय टेक्सटाइल मील्स का हब हुआ करता था और इस फिल्म को थियेटर्स से हटा लिया गया था.

कई मामलों में काफी जोर-जबरदस्ती करने के बाद इस फिल्म को सिनेमाहॉल्स से हटाया गया था. हालांकि ये फिल्म आज भी उस दौर में दिखाई गई फैक्ट्री, इंड्रस्टियल लाइफ और गरीब मजदूरों और वर्कर्स के कठिन हालातों को सही तरीके से दिखाने के लिए जानी जाती है. विडंबना ये भी है कि इस फिल्म को देखने के बाद बनारस में प्रेमचंद की खुद की प्रेस के लोग पेमेंट ना होने के चलते उनके खिलाफ हड़ताल करने के लिए मोटिवेट हुए थे.

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