बापू की फिल्म में सिनेमा के 'बाबूजी' को मिला था रोल, फीस सुन चकरा गए थे

एक नाटक में आलोकनाथको उस दौर में 60 रुपए मिलते थे लेकिन जब उन्हें अपनी हॉलीवुड फिल्म में फीस मिली तो वे हैरत में पड़ गए थे.

Advertisement
फिल्म गांधी के दृश्य में बेन किंगस्ले और आलोक नाथ फिल्म गांधी के दृश्य में बेन किंगस्ले और आलोक नाथ

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 7:42 AM IST

फिल्मों में बाबूजी नाम से मशहूर आलोकनाथ ने अपने करियर की शुरुआत ही महान फिल्ममेकर रिचर्ड एटनबर्ग की गांधी से की थी. इस फिल्म को कई अवॉर्ड्स मिले थे और वे मुंबई जाने से पहले ही हॉलीवुड फिल्म करने वाले थे.

रिचर्ड एटनबर्ग की महान फिल्म गांधी में आलोक ने कुछ मिनटों का रोल किया था.  इस फिल्म में अमरीश पुरी उनके पिता बने थे. आलोक ने कहा कि 'जब मैंने दिल्ली में हिंदू कॉलेज जॉइन किया उस समय मैं कॉलेज थियेटर  में काफी एक्टिव था. कॉलेज के बाद मैंने एनएसडी नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा को जॉइन किया. मैंने वहां तीन साल बिताए और अपने खाली वक्त या छुट्टियों में भी मैं प्रोफेशनल थियेटर और टीवी करता था. 1980 में जब एनएसडी में मेरा आखिरी साल था, उस दौरान बंबई से डॉली ठाकोर हमारे संस्थान आई थी.'

Advertisement

उन्होंने आगे कहा कि वे रिचर्ड एटनबर्ग की फिल्म ‘गांधी’ के लिए कुछ कैरेक्टर रोल्स की तलाश में थी. हमें कहा गया था कि हम नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं इसलिए हम अच्छे से बन के ऑडिशन के लिए पहुंच गए. रिचर्ड एटनबर्ग ने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा, मानो वो कोई घोड़ा खरीदने आए हों. उनकी आंखें मेरी आत्मा तक पहुंच चुकी थी और मैं वहां खड़ा-खड़ा अंदर ही अंदर मरा जा रहा था क्योंकि मुझे उनकी तरफ से कोई ऐसी प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी, जिससे मुझे अंदाज़ा हो सके कि वो मुझे पसंद करते हैं या नहीं. इसके बाद उन्होंने कहा कि ‘डॉली ये ठीक है.’

डॉली ने कहा कि ‘तुम्हें साइन कर लिया गया है आलोक और तुम्हारे कैरेक्टर का नाम तैयब मोहम्मद होगा. तुम गांधी के एक सहायक होगे और आप कितना चार्ज करेंगे’ तो मैं उस समय सोचने लगा. दरअसल उस ज़माने में किसी प्ले के लिए 10 दिन रिहर्सल करने पर आपको 60 रुपए मिलते थे. कोई मुझसे कभी चार्ज के बारे में पूछता नहीं था, बस पैसे थमा दिए जाते थे. 

Advertisement

फीस सुनकर उड़ गए थे होश

मुझे समझ नहीं आया कि मैं कैसे उन्हें कहूं कि मैंने कोई फिल्म पहले नहीं की है और मुझे सिर्फ 60 रुपए मिलते हैं तो आप कुछ 100 के आसपास रुपए दे देना. जाहिर है, मैं चुप रहा. मुझे शांत देखकर आखिरकार डॉली ने ही कहा – चलो ठीक है, 20 फाइनल करते हैं, ओके ? मैं एकदम सकते में आ गया. थियेटर में 60 रुपए और हॉलीवुड फिल्म के लिए महज 20 रुपए? मैं हैरान रह गया.

लेकिन फिर उन्होंने जो कहा तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए. उन्होंने कहा तो ठीक है, 20 हज़ार में हम डील पक्की समझें? ये रहा आपका एडवांस और आप इस फिल्म में काम कर रहे हैं.’ मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. महज कुछ मिनट के रोल के लिए मुझे 20 हजार की रकम मिल रही थी. मुझे जो एडवांस मिला, मैं उन नोटों को ध्यान से देख रहा था कि कहीं ये नकली तो नहीं है? मैं काफी समय बाद बस की जगह ऑटो रिक्शा से यात्रा कर रहा था.

मैंने उन पैसों को अपने घरवालों को दे दिया. मेरे घरवाले हैरान थे. मेरी मां ने कहा अच्छा हुआ तू अपने पिता की तरह डॉक्टर नहीं बना क्योंकि इन्हें तो एक साल में भी 10 हज़ार रुपए नहीं मिलते. मेरे लिए वो काफी हैरानगी भरा समय था.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement