Review: 15 अगस्त का बेहतरीन तोहफा है मिशन मंगल, अक्षय पर भारी हैं विद्या बालन

कभी सोचा है कि आपके देखे बड़े-बड़े सपने सच हो जाए तो क्या होगा? इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन) के साइंटिस्ट्स ने भी ऐसा ही सपना देखा था जब उन्होंने मंगलयान मिशन की शुरुआत की थी. अक्षय कुमार और विद्या बालन की फिल्म मिशन मंगल इन्हीं सपनों के सच होने की कहानी है.

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मिशन मंगल का पोस्टर मिशन मंगल का पोस्टर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 4:11 PM IST
फिल्म:मिशन मंगल
3/5
  • कलाकार :
  • निर्देशक :जगन शक्‍त‍ि

कभी सोचा है कि आपके देखे बड़े-बड़े सपने सच हो जाए तो क्या होगा? इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन) के साइंटिस्ट्स ने भी ऐसा ही सपना देखा था जब उन्होंने मंगलयान मिशन की शुरुआत की थी. अक्षय कुमार और विद्या बालन की फिल्म मिशन मंगल इन्हीं सपनों के सच होने की कहानी है.

फिल्म की शुरुआत होती है साल 2010 से जहां इसरो राकेश (अक्षय कुमार) की लीडरशिप में GSLV फैट बॉय राकेट को स्पेस में भेजा जा रहा है. राकेट में गड़बड़ी होने की वजह से मिशन को अबोर्ट करना पड़ता है और ये मिशन फेल हो जाता है. मिशन पर प्रोजेक्ट डायरेक्टर तारा (विद्या बालन) की नजरें होती हैं और उसकी ही गलती के कारण मिशन फेल हुआ होता है, लेकिन राकेश सारे इल्जाम अपने सिर ले लेता है.

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सजा के तौर पर राकेश को मंगल मिशन पर काम करने के लिए कहा जाता है. मंगलयान मिशन के डिपार्टमेंट में जाकर राकेश को पता चलता है कि ना तो वहां कोई साइंटिस्ट हैं और ना ही उस मिशन से किसी को उम्मीद है. ऐसे में तारा उसे भरोसा दिलाती है कि कैसे वो लोग सही में मंगल ग्रह तक पहुंच सकते हैं. फिर शुरू होता है मिशन मंगल का सफर.

फिल्म मिशन मंगल की स्टारकास्ट काफी स्ट्रांग है. जहां अक्षय कुमार बहुत जुनूनी टीम लीडर हैं, तो वहीं तापसी पन्नू, सोनाक्षी सिन्हा, नित्या मेनन, कीर्ति कुल्हारी, शरमन जोशी और सीनियर एक्टर एच जी दात्तात्रेय उनकी टीम को पूरा करते हैं. वहीं विद्या बालन इस टीम में गोंद का काम करती हैं. वो ना सिर्फ सभी को लाइन पर लाती हैं बल्कि ये भी याद दिलाती हैं कि इन साइंटिस्ट्स ने आखिर साइंटिस्ट बनने के बारे में कब सोचा था और क्यों सोचा था.

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अक्षय कुमार का काम बढ़िया है. विद्या बालन बहुत सी जगहों पर उन्हें पीछे छोड़ देती हैं. विद्या का काम और उनकी कही कुछ बातें आपके दिमाग में जरूर बस जाएंगी. फिल्म की बाकी स्टार कास्ट ने अपने काम को बखूबी निभाया.

निर्देशक जगन शक्ति का काम बेहतरीन भले ना हो, लेकिन अच्छा जरूर है. उन्होंने साइंस, टेक्नोलॉजी और स्पेस जैसी चीजों को बहुत सरल भाषा में जनता के सामने प्रस्तुत किया है. इस फिल्म से बेहतर आपको शायद ही कोई MOM (मार्स ऑर्बिटर मिशन) यानी मंगलयान मिशन को इतने अच्च्से से समझा सकता है. फिल्म में बहुत से इमोशनल पल हैं और क्लाइमेक्स आपको अपने से ऐसा जोड़ता है कि आप खुद पर गर्व करने लगते हैं.

फिल्म में दो गाने हैं और दोनों अच्छे हैं. एडिटिंग, सिनेमाटोग्राफी और ग्राफिक्स बढ़िया हैं. ये फिल्म आपको अपने साथ जोड़कर रखती है, जो कि बेहद जरूरी था. हालांकि इसकी कमी है कि ये स्लो है. फिल्म का फर्स्ट हाफ बहुत स्लो है, लेकिन इसका सेकंड हाफ बढ़िया है. इसके अलावा फिल्म में सस्ते जोक्स हैं, जो या तो बेहतर होने चाहिए थे या फिर ना ही होते तो अच्छा था. कुल-मिलाकर आपको अक्षय कुमार और विद्या बालन की ये फिल्म जरूर देख आनी चाहिए.

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