ये कहानी आज़ादी से पहले साल 1930 के आसपास के भारत में विधवाओं की बदहाल स्थिति को पेश करती है उस दौर में विधवा होना कितना बड़ा अभिशाप था, ये फिल्म उस तकलीफ को आवाज़ देती है. दीपा मेहते के निर्देशन में बनी ये फिल्म 9 दिसंबर 2005 को रिलीज़ हुई थी. फिल्म की कहानी बापसी सिधवा के उपन्यास वाटर पर आधारित थी. जिसमें वाराणसी के विधवा आश्रम में रहने आई एक 8 साल की बच्ची की कहानी है..