बीते दिनों में ये एक बात कही जाने लगी है कि हिंदी सिनेमा अपने अंत की ओर बढ़ रहा है और साउथ का सिनेमा उसे धोबी पछाड़ दिए पड़ा है. कुछ लोगों के अनुसार मामला ऐसा होने के क्रम में है, वहीं कुछ लोगों ने हिंदी फ़िल्मों को चुका हुआ घोषित कर दिया है. इस बात को आरआरआर, केजीएफ़ जैसी फ़िल्मों के अथाह बिज़नेस के आधार पर कहा जा रहा है. हालांकि कुछ विद्वान कुछ अलग सोचते हैं. मसलन, रामगोपाल वर्मा ने दी लल्लनटॉप से हुई बातचीत में कहा कि साउथ इंडिया में 5-6 भाषाओं का सिनेमा बनता है जो कुल मिलाकर एक साल में 800 से 1000 फ़िल्में बनाते हैं. इनमें से हमें 4 या 5 मालूम हैं और इन्हीं के दम पर लोग एक भरी-पूरी इंडस्ट्री का मर्सिया पढ़ने लगते हैं.
हाल ही में एक इंटरव्यू में अनुराग कश्यप ने भी लगभग यही बात कही. उन्होंने ये भी जोड़ा कि असल में कोविड और ओटीटी के कॉम्बिनेशन ने हिंदी फ़िल्म के लोगों को कन्फ़्यूज़ कर दिया है और फ़िल्म तभी चलेगी जब वो ऑडियंस से बात करती है. खैर, फ़िलहाल इस बहस में नहीं जायेंगे कि क्या हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री चुक चुकी है या वो कह रही है - 'अभी मुझमें कहीं, बाक़ी थोड़ी सी है ज़िन्दगी'. न ही इस स्लाइड की वजहों में घुसेंगे. बहुत हेवी हो जायेगा. फ़िलहाल तो हम आपको मलयालम फ़िल्मों की लिस्ट दे रहे हैं जिन्होंने एक के बाद एक, शानदार कॉन्टेंट लाकर परोसा है और हर बार हमें न केवल आश्चर्य से भरा है बल्कि आने वाले समय के लिये उत्साह को भी बरकरार रखा है.
1. जलिकट्टू
2019 में रिलीज़ हुई ये फ़िल्म भारत की ओर से ऑस्कर में आधिकारिक एंट्री थी. फ़िल्म में एंटनी वर्घीस, चेम्बम विनोद होज़े और साबू मुख्य भूमिकाओं में थे. इसे लिजो होज़े पेल्लिसेरी ने डायरेक्ट किया था जो फ़िल्मों के अलग विषयों और एकदम नये तरह के ट्रीटमेंट के लिये जाने जाते हैं.
2. द ग्रेट इंडियन किचन
इस फ़िल्म के स्क्रीनप्ले और साउंड डिज़ाइन के लिये क्रमशः जियो बेबी और टोनी बाबू को केरला स्टेट फ़िल्म अवॉर्ड मिला था. जियो बेबी ने ही इस फ़िल्म को डायरेक्ट भी किया था. 2021 में रिलीज़ हुई ये फ़िल्म एक ऐसे महिला किरदार के बारे में है जो शादी के बाद अपने नये घर आयी है और वहां उसे अमानवीय परिस्थितियों से गुज़रना पड़ता है.
3. कुरुती
पिछले 1-2 सालों में आयी ये फ़िल्म मलयालम की सबसे ताक़तवर फ़िल्मों में से एक है. ये फ़िल्म धर्म और उससे उपजने वाली घृणा और बदले की भावना से डील करती है. मनु वारियर कि बनायी इस फ़िल्म में पृथ्वीराज सुकुमारन, रोशन मैथ्यू, ममुक्कोया, श्रिन्दा मुख्य भूमिकाओं में हैं.
4. मालिक
2021 में आयी इस पोलिटिकल थ्रिलर फ़िल्म में फ़हाद फ़ाज़िल हैं जो पिछले डेढ़-दो साल में मलयालम फ़िल्मों के सबसे बड़े स्टार बनकर उभरे हैं. फ़हाद के अलावा इस फ़िल्म में जोजू जॉर्ज, निमिषा सजायन और विनय फ़ोर्ट हैं. इस फ़िल्म को इसके पोलिटिकल स्टेटमेंट और ऐक्टिंग, दोनों के लिये ख़ूब सराहा गया. बेस्ट ऑडियोग्राफ़ी के लिये इस फ़िल्म को नेशनल अवॉर्ड भी मिला.
5. पाड़ा
ये फ़िल्म सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली फ़िल्मों में से एक रही. 2022 में आयी ये फ़िल्म एक सच्ची घटना पर आधारित थी जिसमें 4 लोगों ने नाटकीय ढंग से 1996 में पलक्कड़ के कलेक्टर को बंधक बना लिया था. इस फ़िल्म को कमाल केएम ने बनाया था और इसमें कुंचाको बोबन, जोजू जॉर्ज, विनायकं और डिलीश पाठन मुख्य किरदारों में हैं.
6. कुरूप
2021 में आयी कुरूप फ़िल्म एक क्राइम-थ्रिलर फ़िल्म है. ये इसी नाम के एक अपराधी के जीवन पर आधारित है जिसकी तलाश पुलिस को अब भी है. कुरूप ने अपने कारनामों की शुरुआत बीमा का पैसा लेने के लिये अपनी तरह की देहधारी इंसान को मारकर की थी. कुरूप के रोल में दालुकर सलमान हैं. इस फ़िल्म को श्रीनाथ राजेंद्रन ने डायरेक्ट किया था.
7. नयट्टू
नयट्टू फ़िल्म 2021 में रिलीज़ हुई थी और इसे मार्टिन प्रक्कत ने बनाया था. फ़िल्म में 3 पुलिसवालों की कहानी है जो ख़ुद कानून से भाग रहे हैं. यहां आपको पुलिस के दो चेहरे दिखायी देते हैं - क्रूर और खूंखार और ठीक उसी समय पर दिखता है कि वो असल में कितने बेबस भी होते हैं. फ़िल्म में कुंचाको बोबन, जोजू जॉर्ज और निमिषा सजायन मुख्य भूमिकाओं में हैं.
8. एके अय्यपनम कोशियम
2020 में आयी ये फ़िल्म एक बहुत बड़ा उदाहरण है कि कैसे एक छोटे से मोमेंट से कहानी तैयार होती है और कैसे सिर्फ़ दो किरदारों की आपसी रगड़ को ही दिखाते हुए एक 3 घंटे की फ़िल्म खड़ी की जा सकती है. पृथ्वीराज सुकुमारन और बीजू मेनन ने इस फ़िल्म में बाजाफाड़ काम किया है. फ़िल्म के डायरेक्टर हैं केआर सचिदानंदन. जून 2020 में सचिदानंदन की कार्डियेक अरेस्ट के बाद मौत हो गयी. सचिदानंदन को इस फ़िल्म के लिये बेस्ट डायरेक्शन का नेशनल अवॉर्ड मिला.
9. काला
इस फ़िल्म को रजनीकांत की फ़िल्म से कन्फ़्यूज़ न करें. ये 2021 में ये एक सस्पेंस थ्रिलर फ़िल्म है जो आपको हिला के रख देगी. दो बेहद सिरफिरे लोगों की कहानी है जो एक दूसरे की जान लेने की कसम उठा चुके हैं. दोनों के बीच हुए इस मल्लयुद्ध के आगे और पीछे की कहानी है काला. इस फ़िल्म के ऐक्शन सीक्वेंस और जंगल में पीछा करने का संस्पेंस में पगा थ्रिल मज़ेदार है. इस फ़िल्म को डायरेक्टर रोहित वीएस ने बनाया है.
10. कुट्टावुम शिक्षायम
कुट्टावुम शिक्षायम एक क्राइम थ्रिलर है जिसके केंद्र में कुछ पुलिसवाले हैं जो एक आभूषण भण्डार में हुई चोरी के चक्करों को दोषियों को ढूंढते-ढूंढते दक्षिण भारत से निकलकर राजस्थान पहुंच जाते हैं. ये फ़िल्म भी 2015 की एक सच्ची कहानी पर आधारित है. इस फ़िल्म को राजीव रवि ने डायरेक्ट किया था. जिन्हें बेस्ट सिनेमाटोग्राफ़ी के लिये 2014 में नेशनल अवॉर्ड मिल चुका है.
केतन मिश्रा