'सुशांत की मौत पर न करें राजनीति' एक सुर में बोला एक्टर का गांव

सुशांत का शव इस साल 14 जून को उनके मुंबई स्थित अपार्टमेंट में फंदे से लटका मिला था. इस घटना के बारे में जानकर पूरा देश सकते में आ गया था. फिर देश की टॉप एजेसिंयों की ओर से महीनों तक इस मामले की जांच का सिलसिला जारी रहा.

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सुशांत सिंह राजपूत सुशांत सिंह राजपूत

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 9:53 PM IST

बिहार में बुधवार को पहले चरण का मतदान संपन्न हुआ. बॉलीवुड स्टार सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि यह मुद्दा बिहार में सियासी तूफान की वजह बनेगा. लेकिन सुशांत का पैतृक घर बिहार के पूर्णिया जिले के जिस मलडीहा गांव में है वहां उनके परिजन और करीबी लोगों की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं दिखी.

सुशांत का शव इस साल 14 जून को उनके मुंबई स्थित अपार्टमेंट में फंदे से लटका मिला था. इस घटना के बारे में जानकर पूरा देश सकते में आ गया था. फिर देश की टॉप एजेसिंयों की ओर से महीनों तक इस मामले की जांच का सिलसिला जारी रहा. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना ​​था कि बिहार विधानसभा चुनावों में सुशांत की मौत को जोरशोर से मुद्दा बनाया जाएगा. राज्य में सक्रिय कई सियासी दलों ने 'बिहार के बेटे' सुशांत के लिए इंसाफ की मांग करते हुए इसे तूल देने की कोशिश भी की थी.

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लेकिन अब जब बिहार में सियासी बुखार चरम पर है, सुशांत से जुड़ा मुद्दा असर खोता दिख रहा है या ऐसी स्थिति बना दी गई है. आजतक/इंडिया टुडे की टीम वस्तुस्थिति जानने के लिए पटना से करीब 450 किलोमीटर दूर सुशांत के गांव मलडीहा तक पहुंची. और चुनावी मौसम में सुशांत के परिवार का स्टैंड जानने की कोशिश की.  

ये सुबह का वक्त था. सुशांत के परिवार का घर गांव में साफ तौर पर सबसे बड़ा प्रतीत हुआ. बच्चे परिसर में खेल रहे थे. सुशांत के चाचा राम किशोर सिंह धान की फसल में व्यस्त थे. सुशांत के बड़े चचेरे भाई पन्ना सिंह (राम किशोर सिंह के बेटे) भी तब घर में आए जब उन्हें हमारी टीम के वहां आने का पता चला.

सुशांत की मौत से जुड़े केस को राजनीतिक मुद्दे के तौर पर पूछे जाने पर पन्ना सिंह ने साफ शब्दों में कहा, "कई नेता हमारे पास आए और उन्होंने सुशांत के साथ नाइंसाफी के मुद्दे को चुनावी मौसम में उठाने के लिए कहा, लेकिन हमने जोर देकर ऐसी किसी भी कोशिश का विरोध किया. हम किसी भी सियासी दल को राजनीतिक संवाद में सुशांत के नाम के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दे सकते." 

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पन्ना के बड़े भाई नीरज कुमार बबलू 2005 से सहरसा जिले की छातापुर विधानसभा सीट की नुमाइंदगी कर रहे हैं. जेडीयू की टिकट पर तीन बार विधायक बने बबलू अब बीजेपी में हैं. इस बार वे बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं.

कुछ ही दूरी पर बैठे सुशांत के एक और चचेरे भाई मनमोद सिंह बमबम पूरी बातचीत को गौर से सुन रहे थे. मनमोद ने आजतक/इंडिया टुडे से कहा, “हालांकि सुशांत की मौत की पहेली अभी सुलझी नहीं है लेकिन हम उसकी मौत पर किसी को राजनीति करने की अनुमति नहीं दे सकते. हमारे लिए, वो अब भी घर का सदस्य है, कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं.” 

इसी तरह के जज्बात गांव के अन्य युवाओं ने भी दोहराए. इनमें से ज्यादातर साक्षर हैं. ये सुशांत के परिवार के आम के बागीचे से स्टे प्लेग्राउंड में इकट्ठा थे. इनके पास सुशांत को लेकर सुनाने को कई किस्से थे. उन्होंने पिछले साल सुशांत के गांव में आने को शिद्दत के साथ याद किया.  

गांव के युवाओं ने मलडीहा गांव से जुड़े मुद्दों पर बात की. उन्होंने बताया कि सुशांत की खुद ही गांव में लड़कियों के लिए हाई स्कूल बनाने की योजना थी. यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे गांव के युवा रोहन सिंह ने बताया, “आज तक यहां सिर्फ कक्षा आठ तक का ही इकलौता स्कूल है. इससे ऊपर की शिक्षा के लिए बच्चों को कम से कम पांच किलोमीटर दूसरे गांव जाना पड़ता है, जहां जाने का रास्ता बेहद खराब है.” 

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अन्य योजनाओं में सुशांत ने गांव के लोगों से मलडीहा में जैविक खेती (ऑर्गेनिक फॉर्मिंग) शुरू कराने का भी वादा किया था. इस गांव के लोग अधिकतर गेहूं और धान की फसल पर ही निर्भर हैं.  

गांव के ही एक और युवा विक्की सिंह ने कहा, “गांव में सिंचाई व्यवस्था खराब है; इसलिए तमाम कोशिशों के बावजूद उपज बहुत कम है. स्वास्थ्य सुविधाएं भी जर्जर है. गांव का अस्पताल है लेकिन डॉक्टर उपलब्ध नहीं है. किसी भी मेडिकल इमरजेंसी के गांव वालों को 50 किलोमीटर दूर पूर्णिया जाना पड़ता है. खराब सड़क संपर्क की वजह से वहां तक पहुंचने में लगभग दो घंटे लग जाते हैं.”

बातचीत का सिलसिला बढ़ने के साथ ही वहां और युवा भी जुटते रहे. सुशांत से उन्हें बहुत उम्मीदें थीं. लेकिन अब वो दुनिया में नहीं हैं, तो ये युवा चाहते हैं कि सरकार गांव पर फोकस करे और जरूरी मदद उपलब्ध कराए. इनमें से सभी युवा एकमत थे कि सुशांत के लिए इंसाफ अब भी अहम मुद्दा है लेकिन इसका मुश्किल से ही कोई चुनावी आयाम है.

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मलडीहा गांव रूपौली विधानसभा क्षेत्र में आता है. यहां  7. नवंबर को तीसरे और आखिरी चरण में मतदान होना है. जनता दल (यूनाइटेड) की बीमा भारती इस निर्वाचन क्षेत्र से मौजूदा विधायक हैं. टाउन एरिया में सुशांत पर एक चौराहे और सड़क का नाम रखा गया है. शहरी क्षेत्र में मतदाताओं ने आजतक/इंडिया टुडे से बातचीत में साफ तौर पर कहा कि सुशांत को इंसाफ नहीं मिला और जांच एजेसिंयां सच को सामने लाने में बहुत अधिक वक्त ले रही हैं, जिससे सवाल उठते हैं.  

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कुछ अन्य ने कहा कि उनकी राजनीतिक पसंद-नापसंद पर सुशांत की मौत के मुद्दे से कोई असर नहीं पड़ा. स्थानीय युवा राजू कुमार सिंह ने कहा, “रोजगार और महंगाई, खास तौर पर लॉकडाउन के बैकग्राउंड में बड़े मुददे हैं.” अब तक दोपहर सिर पर आ गई थी और गांव में अधिकतर के लिए झपकी का वक्त था. लेकिन क्या बिहार की सियासत का नया सवेरा सुशांत के गांव में बदलाव की किरणें ला  सकेगा?

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