स्वर कोकिला लता मंगेशकर सिर्फ एक गायिका ही नहीं थी, बल्कि उन्हें टैलेंट की भी खूब पहचान थी. खासकर यंग टैलेंट की. लता जी को यंगस्टर्स के टैलेंट का भविष्य तक दिख जाता था. लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के लिए लता जी ने सबसे ज्यादा काम किया है. प्यारेलाल शर्मा एक वायल्निस्ट थे और लक्ष्मीकांत एक मेंडल्निस्ट थे. दोनों को लता जी साथ लाईं और म्यूजिक डायरेक्टर बनाया. इसके ठीक 33 साल बाद एक युवा संगीतकार को लता जी इंडस्ट्री में लेकर आईं.
पेशे से तो यह एक मल्टीनेशनल कंपनी में एमडी (मैनेजिंग डायरेक्टर) थे, लेकिन म्यूजिक इनमें रमा हुआ था. लता जी ने उन्हें पहचाना और इंडस्ट्री में पैर जमाने में उनकी मदद भी की. नौकरी की रैट रेस से क्रिएटिव फील्ड में इन्हें लता मंगेशकर लेकर आईं, यह थे शमीर टंडन जो म्यूजिक कंपोजर बने. आज यह इंडस्ट्री का जाना-माना नाम हैं. आजतक के शो 'श्रद्धांजलिः तुम मुझे भुला ना पाओगे' में शमीर ने लता मंगेशकर से जुड़े अपने पहले गाने और पहले अनुभव के बारे में किस्सा साझा किया. 75 साल की उम्र में भी लता दीदी ने इनके लिए गाना गाया जो स्वर कोकिला के करियर का आखिरी गाना भी रहा. लता दीदी द्वारा गाया गया यह गाना, आज तिहार जेल का एन्थम बन गया है.
शमीर ने साझा किया पूरा किस्सा
लता दीदी संग किस्सा याद करते हुए शमीर कहते हैं कि दीदी का मुझपर और मेरी जिंदगी पर बहुत बड़ा प्रभाव रहा है. मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर था, जहां मेरी सैलरी डॉलर्स में थी. मैंने सुना था कि लता दीदी ने फिल्मों में गाना बंद कर दिया है, लेकिन मेरी एक डेब्यू फिल्म थी जो पता भी नहीं था कि बनेगी या नहीं, क्योंकि उस फिल्म के डायरेक्टर को काफी पर्सनल इशूज हो रहे थे. प्रोड्यूसर के पास पैसे नहीं थे. फिल्म का कोई बैनर नहीं था और न ही बड़े सितारे थे. इन सभी चीजों के बावजूद मैंने एक सीडी उनके घर भेज दी, जिसमें मेरा गाना था. कुछ दिन बाद मेरे पास कॉल आई और आवाज थी लता जी की. उन्होंने कहा कि मैं लता बोल रही हूं पहले तो मेरे हाथ से फोन गिर गया, लगा कि कोई मजाक कर रहा है, लेकिन फिर मैंने बात की. लता जी ने कहा कि मुझे तुम्हारा गाना बहुत पसंद आया है. हालांकि, मैंने फिल्मों में गाना बंद कर दिया है, लेकिन आपके लिए मैं जरूर गाऊंगी. यह उनका बड़प्पन था, क्योंकि वह जानती थीं कि मैं इंडस्ट्री में स्ट्रगल कर रहा हूं और अभी कहीं पहुंच भी नहीं पाया हूं, फिर भी वह मेरा गाना गाने के लिए तैयार हुईं, क्योंकि वह टैलेंट पहचानती थीं. हम सभी को इससे यह सीख मिलती है कि उन्हें फिल्म से कुछ लेना-देना नहीं था, वह केवल गाने और प्रोडक्ट में दिलचस्पी रखती थीं.
जब सोफी चौधरी लेने पहुंची लता मंगेशकर का इंटरव्यू, 15 मिनट की बातचीत डेढ़ घंटे चली
शमीर आगे कहते हैं कि पेडर रोड से अंधेरी उस जमाने में आने में करीब दो घंटे लगते थे. वह मिलने आईं. खुद के हाथ से खाना बनाकर लाईं. जबकि वह बीमार थीं. उन्हें बुखार था, फिर भी वह हम सभी से मिलने के लिए आईं. कहा कि वह कुछ दिनों में मेरी गाना गाएंगी. यह अपने आप में ही एक परफेक्शन है. हम सभी को उनके इस बर्ताव से अच्छी सीख लेनी चाहिए. कुछ दिनों बाद जब वह गाने के लिए आईं तो उन्होंने कहा कि शमीर साहब मैं आपका गाना गा रही हूं, एक शर्त पर कि अगर मैंने ठीक नहीं गाया तो मुझे गलतियां बताइएगा. उस 15 मिनट में उन्होंने खूब हंसाया और यह अहसास दिलाया कि लेजेंड मैं हूं और वह फर्स्ट टाइम सिंगर हैं. लता जी के लिए हर गाना पहला गाना होता था. गाते तो सभी हैं, लेकिन लता जी की आवाज में तासीर है और असर है. यही बात उन्हें अलग बनाती है और उनके जैसा कोई नहीं. लता जी द्वारा गाए इस गाने को नेशनल अवॉर्ड मिला है. छोटी सी फिल्म 'पेज 3' लता दीदी की वजह से ही बड़ी बन पाई है. लता जी ने अपने गाए आखिरी गाने से मुझे आशीर्वाद दिया है. 'दाता सुन ले' गाने को हमने तिहार जेल में जाकर लॉन्च किया था. यह अब वहां का एन्थम बन चुका है.
शमीर ने आखिर में कहा कि लता जी ही मेरी जिंदगी एक रैट रेस से क्रिएटिव फील्ड में लेकर आईं. जिन भी लोगों की जर्नी में लता जी का हाथ रहा है, वह आज सक्सेसफुल है. मेरे साथ के सभी दोस्त और कॉलीग्स के पास पैसा है, गाड़ी है, बंगला है, लेकिन मेरे पास लता मां हैं.
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