अनुराग बसु की फिल्में विविधरंगी रही हैं. अनुराग लगभग हर जॉनर में फिल्में कर फैंस को एंटरटेन करते रहे हैं. बता दें, अनुराग की फिल्म लूडो जब सोशल मीडिया पर रिलीज हुई थी,तो वे इसके ओटीटी रिलीज को लेकर खुश नहीं थे.
बकौल अनुराग जब उन्हें लूडो के डिजिटल रिलीज का पता चला, तो उन्हें इस पर विचार करने में हफ्ते से दस दिन लग गए थे. हालांकि जग्गा जासूस को ओटीटी पर मिले रिस्पॉन्स को देखकर अनुराग ने लूडो के ओटीटी रिलीज पर हामी भरी थी.
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लूडो के ओटीटी रिलीज को लेकर सताने लगी थी चिंता
आजतक से बातचीत के दौरान अनुराग ने बताया, जब लोग फिल्म के थिएटर रिलीज को लेकर अश्योर थे, तो मुझे इसके ओटीटी रिलीज को लेकर चिंता होने लगी थी. मैं वाकई में नहीं चाहता था कि फिल्म ओटीटी पर आए, इस डिसीजन को लेने में ही मुझे लगभग दस दिन लग गए थे. वैस जब मैंने जग्गा जासूस की पॉपुलैरिटी ओटीटी पर देखी, तब जाकर मुझे हिम्मत आई. थिएटर से बेहतर ओटीटी पर इसे रिस्पॉन्स मिला था. मैंने कभी सोचा नहीं था कि मुझे इतना प्यार मिलेगा. मुझे इस बात का मलाल होने लगा कि मैंने जग्गा को डिजिटल रिलीज क्यों नहीं किया. खैर उस वक्त चीजें नॉर्मल थीं.
राइटर को मिली है क्रिएटिव आजादी
पिछले दो सालों से फिल्मों के ओटीटी रिलीज पर अनुराग कहते हैं, हम दस साल के बाद इस वक्त का शुक्रिया अदा करेंगे. पिछले कुछ समय में जिस तरह फिल्मों को आजादी मिली है, वो वाकई में सराहनीय है. अब डायरेक्टर के पास ओटीटी के रूप में एक बेहतरीन विकल्प होगा. अगर मैं अपना निजी अनुभव बताऊं, तो मैं मानता हूं कि एक राइटर को इस प्लैटफॉर्म ने क्रिएटिव आजादी दी है. हालांकि इससे थिएटर को कोई नुकसान नहीं होने वाला है. इसलिए इस माध्यम को कंपीटिशन न समझकर इसे विकल्प के रूप में देखना सही होगा.
नेहा वर्मा