Bairia Assembly Seat: जनेश्वर मिश्रा के गृह क्षेत्र में 1 बार जीती है सपा, बीजेपी के सुरेंद्र सिंह हैं विधायक

बैरिया विधानसभा क्षेत्र गंगा और घाघरा नदी के दोआब में है. जेपी की जन्म और कर्मभूमि, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश का गांव सिताबदियारा भी इसी विधानसभा क्षेत्र में आता है.

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यूपी Assembly Election 2022 बैरिया विधानसभा सीट यूपी Assembly Election 2022 बैरिया विधानसभा सीट

अनिल अकेला

  • बलिया,
  • 04 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:00 PM IST
  • बलिया जिले की एक सीट है बैरिया विधानसभा
  • इसी क्षेत्र में है राज्यसभा के उपसभापति का गांव

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की एक विधानसभा सीट है बैरिया विधानसभा सीट. इस विधानसभा क्षेत्र का नाम पहले द्वाबा विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था. बैरिया विधानसभा क्षेत्र का एक बड़ा भाग बिहार के साथ सीमा साझा करता है. गंगा और घाघरा नदी के दोआब में बसे इसी इलाके में समाजवादी पार्टी (सपा) के उपाध्यक्ष रहे छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्रा की जन्मभूमि शुभनथहीं गांव है तो इसी इलाके के सिताबदियारा की धरती ने जयप्रकाश नारायण (जेपी) जैसे लाल को जन्म दिया, हालांकि उनका पैतृक गांव लाला टोला बिहार के छपरा जिले में है. राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश का गांव भी इसी विधानसभा क्षेत्र में है.

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गंगा और घाघरा नदी के बीच बसा ये इलाका हर साल भीषण बाढ़ की चपेट में आता रहा है. ये समस्या दशकों पुरानी है जिसे लेकर चुनावी मंच पर भाषण और वादे खूब होते हैं लेकिन इसका निदान नहीं हो पाया. हर साल गंगा और घाघरा की विकराल लहरें इस इलाके का भूगोल बदलती हैं. इस इलाके से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 31 की भी खस्ता हालत है. बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त इसी इलाके से आते हैं तो वहीं पूर्व सांसद भरत सिंह भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

बैरिया विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो इसका पुराना नाम द्वाबा विधानसभा सीट था. बलिया की पुरानी विधानसभा सीट में से एक बैरिया सीट से 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर मैनेजर सिंह विधायक निर्वाचित हुए. 1980 में इंदिरा गांधी को छुड़ाने के लिए विमान अपहरण से चर्चा में आए भोला पांडेय कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचे.

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बैरिया विधानसभा सीट (तत्कालीन नाम द्वाबा) से 1985 में जनता पार्टी के मैनेजर सिंह, 1989 में कांग्रेस के भोला पांडेय, 1991 में भरत सिंह विधायक निर्वाचित हुए. 1993 में कांग्रेस के टिकट पर विक्रम सिंह विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए तो 1996 और 2002 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के भरत सिंह विधायक बने. 2007 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सुभाष यादव विधायक निर्वाचित हुए तो 2012 में पहली दफे इस सीट पर सपा को जीत मिली. सपा के जयप्रकाश अंचल विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए.

2017 का जनादेश

बैरिया विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में बीजेपी ने सुरेंद्र सिंह को टिकट दिया. बीजेपी के सुरेंद्र सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के निवर्तमान विधायक जयप्रकाश अंचल को 17077 वोट के अंतर से हरा दिया था. बसपा के उम्मीदवार जवाहर प्रसाद वर्मा तीसरे स्थान पर रहे थे. बीजेपी के सुरेंद्र सिंह को 64868 और सपा के जयप्रकाश अंचल को 47791 वोट मिले थे.

सामाजिक ताना-बाना

बैरिया विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो ये सीट ब्राह्मण और ठाकुर बाहुल्य सीट मानी जाती है. इस विधानसभा क्षेत्र में भूमिहार, दलित, और अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी चुनाव परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. बैरिया विधानसभा क्षेत्र में चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक करीब साढ़े तीन लाख मतदाता हैं.

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विधायक का रिपोर्ट कार्ड

बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह विवादित बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं. सुरेंद्र सिंह ने मायावती को लेकर फेशियल का बयान दिया था जिसे लेकर विवाद हुआ था. सुरेंद्र सिंह का विवादों से पुराना नाता रहा है. दुर्जनपुर गोलीकांड के समय भी सुरेंद्र सिंह का नाम विवादों में रहा था. सुरेंद्र सिंह ने हाल ही में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को अपने खिलाफ लड़ने की चुनौती देते हुए दावा किया था कि एक लाख से अधिक वोट से हराएंगे.

बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह अधिकारियों से भी भिड़ते रहे हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला कार्यवाह रहे सुरेंद्र सिंह पेशे से अध्यापक रहे. बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के साथ भी उनकी अदावत जगजाहिर है. बीजेपी के स्थानीय नेताओं के बीच इस सीट को लेकर अलग तरह की चर्चा है. पूर्व सांसद भरत सिंह भी इस विधानसभा क्षेत्र में पदयात्रा कर रहे हैं.

 

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