श्रीनगर सीट: अब्दुल्ला परिवार का वह गढ़, जहां हार कर फिर जीते फारूक

Srinagar Loksabha Seat Profile श्रीनगर लोकसभा सीट से जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक घराने अब्दुल्ला परिवार का गढ़ रही है. वर्तमान में इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला सांसद हैं. इस सीट से उनकी मां बेगम अकबर जहां अब्दुल्ला और बेटे उमर अब्दुल्ला भी सांसद रह चुके हैं.

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श्रीनगर रेलवे स्टेशन (फोटो-विकिपिडिया) श्रीनगर रेलवे स्टेशन (फोटो-विकिपिडिया)

विशाल कसौधन

  • श्रीनगर,
  • 30 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 5:18 PM IST

श्रीनगर लोकसभा सीट, जम्मू और कश्मीर की महत्वपूर्ण सीटों में से एक है. सूबे की राजधानी की इस लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला सांसद हैं. वह उपचुनाव में जीते थे. 2014 के आम चुनाव के दौरान फारूक अब्दुल्ला को पीडीपी के तारिक हमीद कर्रा ने करारी शिकस्त दी थी. 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की हत्या के बाद भड़की हिंसा के दौरान लोगों पर हुए कथित अत्याचार के विरोध में हामिद कर्रा ने इस्तीफा दे दिया था.

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करीब 90 फीसदी से अधिक मुस्लिम आबादी वाले इस सीट पर 2017 में हुए उपचुनाव में फारूक अब्दुल्ला करीब 10 हजार वोटों से जीते थे. डल झील के लिए मशहूर श्रीनगर की यह सीट अब्दुल्ला परिवार के लिए हमेशा से खास रही है और इसे उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस का गढ़ माना जाता है. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस सीट पर उनकी पार्टी ने 10 लोकसभा चुनाव जीते हैं. इस सीट से फारूक अब्दुल्ला की मां बेगम अकबर जहां अब्दुल्ला और बेटे उमर अब्दुल्ला भी सांसद रह चुके हैं.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

श्रीनगर की लोकसभा सीट से 1967 में नेशनल कॉन्फ्रेंस के बख्शी गुलाम मोहम्मद जीते थे. 1971 में इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी एस.ए. शमीम ने जीत दर्ज की. इस हार के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जबरदस्त वापसी की और लगातार चार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की. 1977 में इस सीट से बेगम अकबर जहां अब्दुल्ला सांसद बनीं. इसके बाद 1980 में उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला ने इस सीट से जीत दर्ज की. 1984 और 1989 में भी यह सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास ही रही और क्रमश: अब्दुल राशिक काबुली और मोहम्मद सफी भट सांसद बने. 1996 में यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई और गुलाम मोहम्मद मीर मागामी जीते. 1998, 1999 और 2004 में यह सीट फिर से नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास आ गई और तीनों बार उमर अब्दुल्ला सांसद बने. इसके बाद 2009 में इस सीट से फारूक अब्दुल्ला उतरे और जीते, लेकिन 2014 का चुनाव वह हार गए. उन्हें पीडीपी के तारिक हामीद कर्रा ने हराया. इसके बाद 2017 में हुए उपचुनाव में एक बार फिर फारूक अब्दुल्ला इस सीट से सांसद बने.

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सामाजिक तानाबाना

श्रीनगर लोकसभा सीट के अन्तर्गत 15 विधानसभा सीटें (कंगन, गन्दरबल, हजरतबल, जादीबाल, ईदगाह, खानयार, हबाकदल, अमिरकादल, सोनवार, बटमालू, चादुरा, बडगाम, वीरवाह, खानसाहिब और चरार-ए-शरीफ) आती हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा सीट की इन 15 सीटों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के बीच कड़ी टक्कर हुई थी. नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास 7 (कंगन, गन्दरबल, ईदगाह, खानयार, हबाकदल, बडगाम, वीरवाह) और पीडीपी के पास 8 (हजरतबल, जादीबाल, अमिरकादल, सोनवार, बटमालू, चादुरा, खानसाहिब, चरार-ए-शरीफ) सीटें हैं. इस सीट पर 12 लाख 05 हजार रजिस्टर्ड मतदाता हैं. इसमें 6 लाख 30 हजार पुरुष और 5 लाख 74 हजार महिला वोटर हैं.

2014 का जनादेश

2017 के उपचुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला 10,776 वोटों से जीते थे. उन्हें 48,555 वोट मिला था, जबकि उनके प्रतिद्वंदि पीडीपी के नाजिर अहमद खान को 37,779 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी फारूक अहमद दार (630 वोट) रहे थे. इससे पहले 2014 के आम चुनाव में पीडीपी के तारिक हामिद कर्रा ने फारूक अब्दुल्ला को 42,281 से मात दी थी. कर्रा को 1,57,923 वोट मिले थे. वहीं, फारूक को 1,15,643 वोट मिला था. तीसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी आगा सैयद मोहसिन (16, 050 वोट) थे. खास बात है कि इस सीट पर बीजेपी की जमानत जब्त हो गई थी. उसके प्रत्याशी फयाज अहमद भट को सिर्फ 4,467 वोट मिले थे.

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आतंकी बुरहान वानी की मौत के श्रीनगर समेत पूरा प्रदेश हिंसा की चपेट में था. इस हिंसा के दौरान घाटी के लोगों पर हुए कथित अत्याचार के खिलाफ पीडीपी के तारिक हामिद कर्रा ने 2016 में इस्तीफा दे दिया. इसके बाद 2017 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ. उपचुनाव के दौरान भी खूब हिंसा हुई और करीब 8 लोग मारे गए. हिंसा के कारण श्रीनगर लोकसभा सीट पर सबसे कम करीब 7 फीसदी मतदान हुआ. इससे पहले 1999 के आम चुनाव में श्रीनगर में सबसे कम 11.93 फीसदी मतदान हुआ था. इस चुनाव में उमर अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती को हराया था. 2014 के आम चुनाव में यहां 26 फीसदी मतदान हुआ था.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

फारूक नेशनल कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन हैं और अपने पिता शेख अब्दुल्ला की तरह तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. पहली बार वह 1982 से 1984 तक, दूसरी बार 1986 से 1990 और तीसरी बार 1996 से 2002 तक मुख्यमंत्री रहे. फारूक अब्दुल्ला 2009 और 2014 के बीच मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे. तीन बार श्रीनगर सीट से सांसद रहे उमर ने  वह जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पिता हैं.

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, फारूक अब्दुल्ला ने अपनी संपत्ति 14 करोड़ रुपए बताई है. इसमें 1.68 करोड़ की चल और 12.5 करोड़ की अचल संपत्ति है. 2014 के लोकसभा चुनाव के हलफनामे में फारूक अब्दुल्ला ने अपनी संपत्ति 13 करोड़ रुपए बताई थी. हलफनामे के मुताबिक उन पर कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं है.

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जनवरी, 2019 तक mplads.gov.in पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार, 2014 के आम चुनाव में जीते पीडीपी के तारिक हामिद कर्रा को सांसद निधि के तहत 15.64 करोड़ मिले थे. इनमें से उन्होंने 95.75 फीसदी यानि 12.22 करोड़ निधि का उपयोग विकास कार्यों को करवाने में किया. उनके इस्तीफे के बाद इस सीट से फारूक अब्दुल्ला सांसद बने. उन्हें 7.57 करोड़ मिले, लेकिन अभी तक वह सिर्फ 35.55 फीसदी यानि 2.77 करोड़ ही खर्च कर पाए हैं.

फारूक अब्दुल्ला सोशल मीडिया पर एक्टिव नहीं हैं.

ये हैं इस सीट पर जीतने वाली महत्वपूर्ण शख्सियत

बेगम अकबर जहां अब्दुल्ला - ये जम्मू और कश्मीर के तीन बार मुख्यमंत्री रहे शेख अब्दुल्ला की पत्नी थीं. बेगम दो बार लोकसभा की सदस्य चुनी गई थीं. पहली बार वह श्रीनगर सीट से 1977 से 79 और दूसरी बार अनंतनाग सीट से 1984 से 89 तक सांसद रहीं. इन्हें कश्मीर का मद्र-ए-मेहरबान कहा जाता था.

उमर अब्दुल्ला- 2009 में उमर अब्दुल्ला राज्य के 11वें और सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने थे. उमर, अटल बिहारी सरकार (23 जुलाई 2001 से 23 दिसंबर 2002) में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री भी रह चुके हैं. तीन बार सांसद रहे उमर अब्दुल्ला ने 2002 में नेशनल कॉन्फ्रेंस की कमान संभाली थी. हालांकि, यह साल उनके लिए खराब साबित हुआ और वह अपनी पारंपरिक गन्दरबल विधानसभा सीट से हार गए थे. बाद में वह 2008 में इस सीट से जीतने में कामयाब हुए और महबूबा मुफ्ती सरकार के दौरान विपक्ष के नेता भी बने.

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