गुजरात: पाटीदारों के गढ़ मेहसाणा में क्या इस बार मिलेगी BJP को चुनौती?

Mehsana loksabha seat  यह इलाका पटेल बाहुल्य है. यहां की राजनीति में भी पटेलों का ही वर्चस्व रहा है. इस क्षेत्र में कड़वा पटेलों की संख्या ज्यादा है. पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भी इसी समुदाय से आते हैं और उन्होंने पाटीदारों को आरक्षण की अलख यहीं से जलाई थी.

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मेहसाणा क्षेत्र रहा पाटीदारों का गढ़ मेहसाणा क्षेत्र रहा पाटीदारों का गढ़

जावेद अख़्तर

  • नई दिल्ली,
  • 30 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 3:24 PM IST

मेहसाणा लोकसभा क्षेत्र गुजरात की राजनीति का सबसे प्रमुख केंद्र है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मेहसाणा जिले के वडनगर से हैं. साथ ही पाटीदार आरक्षण आंदोलन का उद्गम भी इसी इलाके से हुआ था. इसके अलावा एक इस सीट का एक और दिलचस्प इतिहास ये है कि 1984 में जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस की हवा पूरे देश में चली और तमाम विरोध दल धराशाई हो गए तो भारतीय जनता पार्टी ने पूरे देश में लोकसभा की दो सीट जीतीं. इन दो सीटों में से एक मेहसाणा थी. जबकि दूसरी सीट आंध्र प्रदेश में थी.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

मेहसाणा सीट को बीजेपी के लिए काफी अहम माना जाता है और यहां उसका एक बड़ा वोट बैंक रहा है. इस सीट पर हुए 1957 में हुए पहले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की. इसके बाद 1962 में कांग्रेस के मानसिंह पटेल यहां से जीते. 1967 में स्वतंत्र पार्टी के खाते में यह सीट गई और 1971 में नेशनल कांग्रेस (O) को यहां जीत मिली. 1977 में भारतीय लोकदल और 1980 में यह सीट जेएनपी को मिली.

1984 में देशव्यापी कांग्रेस की लहर होने के बाजवदू बीजेपी इस सीट से जीतने में कामयाब रही और डॉ ए.के पटेल ने पार्टी का यहां से खाता खोला. इसके बाद वह लगातार जीतते चले गए और 1991, 1996 व 1998 के चुनाव में बीजेपी को यह सीट मिली. हालांकि, 1999 में कांग्रेस ने वापसी की, लेकिन 2002 में हुए उपचुनाव में फिर से बीजेपी की वापसी हो गई. इसके बाद 2004 में शाइनिंग इंडिया का बीजेपी का नारा फुस्स हो गया और यह सीट भी कांग्रेस के खाते में चली गई. 2009 व 2014 में लगातार दो बार बीजेपी की महिला नेत्री जयश्री पटेल ने यहां से सांसद निर्वाचित हुईं.

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सामाजिक ताना-बाना

यह इलाका पटेल बाहुल्य है. राजनीति में भी पटेलों का ही वर्चस्व रहा है. इस क्षेत्र में कड़वा पटेलों की संख्या ज्यादा है. पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भी इसी समुदाय से आते हैं और उन्होंने पाटीदारों को आरक्षण की अलख यहीं से जलाई थी. गुजरात में करीब 1 करोड़ से ज्यादा पाटीदार मतदाता हैं. उत्तर गुजरात में आने वाले मेहसाणा में बड़ी तादाद कड़वा पटेलों की है.

मेहसाणा लोकसभा का दायरा गांधीनगर और मेहसाणा जिले में है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां की आबादी 20,22,310 है. इसमें 74.15% ग्रामीण और 25.85% शहरी आबादी है. अनुसूचित जनजाति यहां नगण्य है, जबकि अनुसूचित जाति (SC) की संख्या करीब 7.61% है. 2018 की वोटर लिस्ट के मुताबिक, यहां कुल 16,11,134 मतदाता हैं. मेहसाणा जिले की 90 फीसदी से ज्यादा हिंदू आबादी है. यहां करीब 7 फीसदी मुस्लिम जनसंख्या है.

मेहसाणा लोकसभा के तहत ऊंझा, विसनगर, मेहसाणा, बेचरजी, विजापुर, मानसा, कडी सीट आती हैं. गांधीनगर जिले के तहत आने वाली मानसा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी. जबकि ऊंझा से कांग्रेस, विसनगर से बीजेपी, बेचरजी से कांग्रेस, कडी से बीजेपी, मेहसाणा से बीजेपी और विजापुर से बीजेपी को जीत मिली. मेहसाणा सीट से गुजरात के डिप्टी सीएम नितिन पटेल विधायक हैं.

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2014 का जनादेश

जयश्री पटेल, बीजेपी- 580,250 वोट (57.8%)

जीवाभाई पटेल, कांग्रेस- 371,359 (37.0%)

2014 चुनाव का वोटिंग पैटर्न

कुल मतदाता-    14,98,219

पुरुष मतदाता-   7,77,821

महिला मतदाता-   7,20,398

मतदान-     10,04,258 (67.0%)

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

जयश्रीबेन पटेल का जन्म मुंबई में हुआ और यहीं से उन्होंने पढ़ाई की. हालांकि, उन्होंने राजनीति करियर का आगाज गुजरात से किया. 2007 में वह गुजरात महिला विंग की अध्यक्ष बनीं. इसके बाद 2008-09 में राज्य महिला आयोग की चेयरमैन रहीं. 2009 में वह पहली बार लोकसभा सांसद निर्वाचित हुईं. 2010 में फिर उन्हें राज्य की बीजेपी महिला विंग की कमान दी गई. 2014 में जयश्री दूसरी बार लोकसभा सांसद बनीं.

लोकसभा में उपस्थिती की बात की जाए तो उनकी मौजूदगी 98 फीसदी रही है, जो कि औसत से बेहतर है. बहस के मामले में भी उनका प्रदर्शन ठीक रहा है और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 128 बार बहस में हिस्सा लिया है. सवाल पूछने के मामले में भी वह औसत से काफी बेहतर रही हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कुल 390 सवाल पूछे हैं.

सांसद निधि से खर्च के मामले में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा है. उनकी निधि से जारी 19.16 करोड़ रुपये का वह लगभग शत प्रतिशत विकास कार्यों पर खर्च करने में कामयाब रही हैं.  

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संपत्ति की बात की जाए तो एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी कुल संपत्ति करीब 1 करोड़ रूपये से ज्यादा की है. इसमें 86 लाख की चल संपत्ति है, जबकि 46 लाख से ज्यादा की अचल संपत्ति है.

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