हिसार में 72.19 फीसदी वोटिंग, दुष्यंत चौटाला की प्रतिष्ठा दांव पर

हरियाणा की हिसार ऐसी लोकसभा सीट है, जिसपर भारतीय जनता पार्टी को कभी जीत नहीं मिली है. इस बार हरियाणा में चुनाव से पूर्व कोई बड़ा गठबंधन नहीं होने से परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं. राजनीति के अलावा हिसार शहर का अपनी एक अलग पहचान है.

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हिसार में मतदान हिसार में मतदान

वरुण शैलेश

  • नई दिल्ली,
  • 12 मई 2019,
  • अपडेटेड 7:54 AM IST

हरियाणा की हिसार सीट पर लोकसभा चुनाव 2019 के छठे चरण में रविवार को वोट डाले गए. हिसार में चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 72.19 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई. हरियाणा में लोकसभा चुनाव 2019 में कुल 70.21 फीसदी मतदान दर्ज किया गया.

इस सीट पर 26 उम्मीदवार मैदान में हैं. बीजेपी ने बिजेंदर सिंह के बेटे बृजेन्द्र सिंह को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस ने उनके मुकाबले में भव्य बिश्नोई को मैदान में उतारा है.

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इंडियन नेशनल लोक दल सुरेश कोठी को टिकट दिया है. वहीं दुष्यंत चौटाला जननायक जनता पार्टी के टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. आम आदमी पार्टी और जननायक जनता पार्टी गठबंधन में चुनाव लड़ रही हैं.

2019 में हिसार लोकसभा सीट पर रोमांचक मुकाबला देखने को मिल रहा है. हरियाणा की यह एक ऐसी लोकसभा सीट है, जिसपर भारतीय जनता पार्टी को कभी जीत नहीं मिली है. इस बार हरियाणा में चुनाव से पूर्व कोई बड़ा गठबंधन नहीं होने से परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं. राजनीति के अलावा हिसार शहर का अपनी एक अलग पहचान है. यह शहर भारत का सबसे बड़ा जस्ती लोहा का उत्पादक है, जिससे इसे इस्पात का शहर भी कहा जाता है.

पूरे प्रदेश में मोदी लहर के बावजूद हिसार सीट पर 2014 में भारतीय जनता पार्टी की पकड़ ढीली पड़ गई थी. इस सीट पर इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा जनहित कांग्रेस (HJC BL) के कुलदीप बिश्नोई को हराया था. 2014 में चुनाव में बीजेपी और (HJC BL) के बीच गठबंधन था. गठबंधन के अनुसार 10 में से 8 सीटों पर बीजेपी ने और कुलदीप बिश्नोई की पार्टी ने 2 सीटों पर चुनाव लड़ी थी.

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2014 में चौटाला को कुल 4,94,478 वोट मिले थे, जबकि बिश्नोई को 4,62,631 वोट पड़े थे. इस तरह युवा दुष्यंत चौटाला ने हिसार लोकसभा क्षेत्र से 31,847 वोट से जीत हासिल की थी. 2014 में INLD को हरियाणा में हिसार और सिरसा लोकसभा सीट से संतोष करना पड़ा था.

फिलहाल क्या है समीकरण

मौजूदा वक्त में INLD में दोफाड़ हो चुका है. INLD पर अब अभय चौटाला का कब्जा है, तो दुष्यंत चौटाला से अपने पिता अजय सिंह चौटाला और भाई दिग्विजय चौटाला के साथ मिलकर जननायक जनता पार्टी (JJP) नाम से नई पार्टी खड़ी कर दी है. दरअसल, ओम प्रकाश चौटाला के परिवार में कलह के बाद दुष्यंत चौटाला को लोकदल से निकाल दिया गया था, जिसके बाद उन्होंने 9 दिसंबर 2018 को जननायक जनता पार्टी बनाई. पहली बार यह पार्टी जींद विधानसभा का उपचुनाव लड़ी.

वैसे तो चौटाला परिवार को बड़े पैमाने पर जाट समुदाय का वोट मिलता है. लेकिन परिवार में दोफाड़ से 2019 में दोनों को नुकसान की संभावना है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस की राह आसान हो सकती है. 2014 के चुनाव से पहले हिसार पूर्व मुख्‍यमंत्री भजन लाल और उनके पुत्र कुलदीप बिश्‍नोई का गढ़ माना जाता था.

हिसार लोकसभा के दायरे में 9 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. 2014 लोकसभा चुनाव के मुताबिक हिसार में कुल 11,94,689 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. जिसमें 6,53,423 पुरुष और 5,41,266 महिला वोटर्स की संख्या थी. 2014 में हिसार लोकसभा के अंदर कुल 1202 पोलिंग बूथ बनाए गए थे.

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हिसार की सीट आज तक बीजेपी जीत नहीं पाई है. 1951 से अब तक यहां पर 7 पर कांग्रेस को कामयाबी मिली है, एक तरह से इस सीट पर पिछले करीब 3 दशक भजन लाल और देवी लाल के परिवार का कब्जा रहा है. पिछले तीन दशक में केवल 2004 में कांग्रेस के जय प्रकाश को यहां से जीत मिली थी.

युवा दुष्यंत चौटाला संसद में पूरे कार्यकाल के दौरान सक्रिय दिखे. उन्होंने संसद में 191 डिबेट के दौरान हिस्सा लिया. जबकि वो 17 बार प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आए थे. चौटाला की संसद में सक्रियता इस बात से देखी जा सकती है कि उन्होंने अपने 5 साल के कार्यकाल में कुल 582 सवाल पूछ डाले. वहीं दुष्यंत ने अपने सांसद निधि कोष का करीब 80 फीसद फंड का इस्तेमाल कर चुके हैं.  

एक तरह से दुष्‍यंत चौटाला के राजनीतिक सफर की शुरुआत को शानदार कह सकते हैं. लेकिन 2014 में इनके सामने चुनौतियां काफी थीं. 26 साल की उम्र में अनुभवहीन दुष्यंत चौटाला के लिए हिसार से चुनाव लड़ना एक कठिन परीक्षा थी. क्योंकि सामने मोदी लहर पर सवार गठबंधन के उम्‍मीदवार कुलदीप बिश्नोई थे. ऐसे में कुलदीप को चुनाव हराना आसान नहीं था. लेकिन दुष्यंत को जीत मिली. दुष्यंत चौटाला का जन्म 3 अप्रैल 1988 को हुआ था.

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हिसार की स्थापना सन् 1354 में तुगलक वंश के शासक फिरोज शाह तुगलक ने की थी. उस समय तुगलक ने इसका नाम हिसार-ए-फिरोजा रखा था. उसके बाद अकबर के शासन में इस शहर के नाम से फिरोजा हटा दिया गया और फिर केवल हिसार रह गया. इतिहास के आईने से देखें तो हिसार पर कई साम्राज्यों का शासन था. तीसरी सदी ई. पू. में मौर्य राजवंश, 13वीं सदी में तुगलक वंश, 16वीं सदी में मुगल साम्राज्य और फिर 19वीं सदी में ब्रिटिश साम्राज्य का इस शहर पर कब्जा रहा था.

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