ये होते हैं बड़े मंत्री और ये होते हैं दूसरे नंबर के मंत्री, पढ़ें

अक्सर लोग मंत्रिमंडल और मंत्रि परिषद पर कन्फ्यूज हो जाते हैं. इसी तरह कैबिनेट मिनिस्टर और स्वतंत्र प्रभार मंत्री का टर्म भी कई बार लोगों को संशय में डाल देता है. आइए जानते है कि किस तरह से ये सब टर्म अलग-अलग परिभाषित होते हैं.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 मई 2019,
  • अपडेटेड 10:45 AM IST

अक्सर लोग मंत्रिमंडल और मंत्रि परिषद पर कन्फ्यूज हो जाते हैं. इसी तरह कैबिनेट मिनिस्टर और स्वतंत्र प्रभार मंत्री का टर्म भी कई बार लोगों को संशय में डाल देता है. आइए जानते है कि किस तरह से ये सब टर्म अलग-अलग परिभाषित होते हैं.

मंत्रिपरिषद Council of Ministers और मंत्रिमंडल को सामान्य रूप से Cabinet के नाम से जाना जाता है. मंत्रि परिषद एक तरह का संयुक्त निकाय है, इसमें सभी तरह के मंत्री आते हैं. कैबिनेट मिनिस्टर भी इसका हिस्सा होते हैं. लेकिन कैबिनेट में सबसे बड़े मंत्री होते हैं, इसमें सब मंत्री शामिल नहीं होते.

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कैबिनेट के पास होती है सबसे ज्यादा शक्ति

सामान्य तरीके से कहा जाए तो प्रधानमंत्री और उसकी कैबिनेट यानी मंत्रिमंडल देश की सरकार चलाती है. इनकी नियुक्त‍ि राष्ट्रपति करता है लेकिन यह प्रधानमंत्री की सलाह से होता है. कैबिनेट मंत्रियों को मुख्य और महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए जाते हैं.

कैबिनेट को मिलते हैं ये खास पॉवर

विदेश नीतियों और विदेशी मामलों पर निर्णय का अधिकार रखती है.

देश की सभी आपातकालीन परिस्थतियों से निपटने का काम करती है

राष्ट्रपति की सलाहकारी संस्था राष्ट्रपति को इससे परामर्श लेना जरूरी है

केंद्र सरकार का मुख्य अंग है जो नीति निर्धारक की श्रेणी में आता है

मंत्रि परिषद यानी मंत्रियों का समूह

मंत्रि परिषद एक तरह से करीब 70 तक मंत्रियों का बड़ा निकाय (Body) है. इनके कार्यों का निर्धार‍ण कैबिनेट करती है. परिषद में कैबिनेट के अलावा राज्यमंत्री व उपमंत्री आते हैं. परिषद की जवाबदेही लोकसभा के लिए तय की गई है. बस यह जरूर है कि काउंसिल का कोई सामूहिक कार्य नहीं है.

कानून में तय नहीं मंत्री परिषद का आकार

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संविधान के अनुच्छेद 74 व 75 में मंत्रि परिषद के बारे में विस्तार से बताया गया है. लेकिन इसमें यह तय नहीं है कि इसका आकार कितना बड़ा या छोटा हो. प्रधानमंत्री समय और परिस्थिति के अनुरूप इसका गठन करते हैं.

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के बारे में भी जानें

लोकसभा के गठन में चार तरह के मंत्री होते हैं. इनमें कैबिनेट मंत्री सबसे ज्यादा पॉवर के होते हैं. दूसरे स्तर पर राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आते हैं. ये स्वतंत्र रूप से मंत्रालय संभालते हैं, इन पर तीसरे और चौथी कैटेगरी के मंत्रियों की तरह कैबिनेट का हस्तक्षेप नहीं होता. तीसरे नंबर पर राज्य मंत्री और चौथे उप मंत्री होते हैं.

कैबिनेट बैठक में लेते हैं हिस्सा

देश के किसी भी तरह के फैसलों के लिए बुलाई गई कैबिनेट बैठक में स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री जरूर शामिल होते हैं. इसके अलावा अगर किसी मंत्रालय से संबंधित विषय पर बात होती है तो उससे संबंधित राज्यमंत्री भी हिस्सा लेते हैं.

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