बस्तर लोकसभा सीटः क्या कांग्रेस आदिवासी गढ़ में बीजेपी को कर पाएगी बेदखल

छत्तीसगढ़ का बस्तर अपने अनूठे आदिवासी मूल निवासियों और संस्कृति के लिए जाना जाता है. संसदीय राजनीति में यह बीजेपी का गढ़ रहा है. जहां से बीजेपी 1998 से 2014 तक लगातार पिछले 6 चुनाव जीतते आ रही है. इस सीट से जीत हासिल करना कांग्रेस के लिए चुनौती है.

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Bastar lok sabha elections Bastar lok sabha elections

वरुण शैलेश

  • नई दिल्ली/रायपुर,
  • 30 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 6:53 AM IST

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर लोकसभा क्षेत्र में सात उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित इस सीट पर पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान होना है, जहां कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीचे सीधा मुकाबला है. इस सीट से बीजेपी ने बैदूराम कश्यप को इस बार मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस ने दीपक बैज को अपना प्रत्याशी बनाया है. इनके अलावा इस सीट पर अम्बेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया, बसपा, सीपीआई, शिवसेना सहित अन्य दल चुनाव मैदान में अपने उम्मीदवार उतारे हैं. यह सीट कांग्रेस के लिए चुनौती है क्योंकि पिछले छह चुनावों से बीजेपी जीत हासिल करती आ रही है.

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बीजेपी के बैदूराम कश्यप, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के रामूराम मौर्य, इंडियन नेशनल कांग्रेस के दीपक बैज और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के आयतु राम मंडावी समेत सात उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. दीपक बैज के नामांकन जमा करने के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और बैदूराम कश्यप के नामांकन जमा करने के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह मौजूद थे.

आदिवासी बहुल सीट पर बीजेपी का दबदबा

छत्तीसगढ़ का बस्तर अपने अनूठे आदिवासी मूल निवासियों और संस्कृति के लिए जाना जाता है. यह बीजेपी का गढ़ रहा है. जहां से बीजेपी 1998 से 2014 तक लगातार पिछले 6 चुनाव जीतते आ रही है. छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से एक बस्तर सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. आजादी के बाद 1952 से अब तक यहां कुल 16 चुनाव संपन्न हुए. 1999 तक यह लोकसभा सीट मध्य प्रदेश के अंतर्गत आती थी. साल 2000 में मध्य प्रदेश के विभाजन के बाद बने छत्तीसगढ़ के अंतर्गत आने के बाद यहां से तीन लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. यहां मुख्य पार्टियों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच टक्कर रही है.

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संसदीय चुनाव के तहत 1998 से लेकर 2011 तक बीजेपी के बलिराम कश्यप ने यहां से लगातार 4 बार जीत हासिल की, लेकिन 2011 में उनकी असामयिक मृत्यु के चलते उपचुनावों कराये गए. इसमें उनके बेटे दिनेश कश्यप ने जीत हासिल की थी. 2014 के चुनाव में भी दिनेश कश्यप ने अपनी जीत को बरकरार रखा. हालांकि इस सीट से बीजेपी ने बैदूराम कश्यप को इस बार मैदान में उतारा है.

मैदान में हैं सात उम्मीदवार

राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि बस्तर संसदीय क्षेत्र के लिए नाम वापसी की समय-सीमा 28 मार्च को समाप्त हो गई. निर्वाचन अधिकारियों ने बताया कि निर्धारित समय-सीमा में किसी भी उम्मीदवार ने नामांकन पत्र वापस नहीं लिया. नाम वापसी का समय खत्म होने के बाद सात उम्मीदवार चुनाव मैदान में शेष हैं. अधिकारियों ने बताया कि बस्तर लोकसभा क्षेत्र के लिए आठ उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किए थे. लेकिन जांच के बाद राष्ट्रीय जनसभा पार्टी के प्रत्याशी जयसिंह कावड़े का नामांकन पत्र निरस्त कर दिया गया था. उन्होंने बताया कि कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी अय्याज तम्बोली ने सभी सातों उम्मीदवारों को चुनाव प्रतीक चिन्हों का आबंटन कर दिया है.

बहरहाल, बस्तर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में प्रथम चरण में 11 अप्रैल को मत डाले जाएंगे. इसके लिए 18 मार्च को अधिसूचना का प्रकाशन किया गया था. राज्य में शांतिपूर्ण मतदान के लिए व्यापक तैयारियां की गई हैं. राज्य के 11 लोकसभा क्षेत्रों के लिए कुल एक करोड़ 91 लाख 16 हजार 285 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. छत्तीसगढ़ की कुल 11 लोकसभा सीटों के लिए तीन चरणों में 11 अप्रैल, 18 अप्रैल और 23 अप्रैल को मतदान होगा. राज्य में कुल 1,89,16,285 मतदाता हैं, जिनमें 94,77,113 पुरुष और 94,38,463 महिला मतदाता हैं. वहीं 709 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं.

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