बदरुद्दीन अजमल: इत्र के कारोबार और लोगों के प्यार ने बुलंदियों पर पहुंचाया

इत्र का व्यापार बदरुद्दीन अजमल का खानदानी पेशा है और इसमें उनका पूरा परिवार लगा हुआ है. बदरुद्दीन अजमल की गिनती असम के बड़े नेताओं में होती है. वह AIUDF के संस्थापक हैं और इसी पार्टी से लोकसभा सांसद हैं.

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बदरुद्दीन अजमल(फोटो-आजतक) बदरुद्दीन अजमल(फोटो-आजतक)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 10:18 PM IST

बदरुद्दीन अजमल की गिनती असम के बड़े नेताओं में होती है. वह इत्र के कारोबारी हैं और उनका व्यापार देश ही नहीं विदेशों में भी फैला है. इत्र का व्यापार अजमल का खानदानी पेशा है और इसमें उनका पूरा परिवार लगा हुआ है. उन्होंने 12 साल पहले ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) बनाया. वह असम के धुबरी से सांसद हैं.

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बदरुद्दीन अजमल असम के रहने वाले हैं. उनका जन्म 12 फरवरी 1950 को मुंबई में हुआ था. उन्होंने दारुम उलीम देवबंद से फाजिल (इस्लामिक धर्मशास्त्र और अरबी में मास्टर डिग्री के बारबर) की पढ़ाई की है. बदरुद्दीन अजमल को विश्व को प्रभावित करने वाले 500 मुसलमानों में भी माना जाता है. वह विश्व के सबसे रईस एनजीओ से जुड़े हैं. बदरुद्दीन अजमल के साथ विवाद भी जुड़ते रहे हैं.

सेना प्रमुख ने पिछले साल कहा था कि जितनी तेजी से देश में बीजेपी का विस्तार नहीं हुआ, उतनी तेजी से असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF)  बढ़ी है. इसके बाद पूरे देश की निगाहें अजमल की तरफ घूम गईं. सेना प्रमुख का कहना था कि अजमल परिवार की संपत्ति 200 करोड़ है जबकि बीजेपी को 270 करोड़ का डोनेशन मिला है.

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अजमल ने इसका प्रतिकार करते हुए कहा था कि अगर हमारी पार्टी बढ़ रही है तो सेना प्रमुख को परेशानी क्यों है. उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी आगे बढ़ रही है तो इससे दिक्कत क्यों है? उन्होंने यह भी कहा था कि सेना प्रमुख का यह बयान राजनीति से प्रेरत नहीं है.

दरअसरल बदरूद्दीन का जन्म एक मध्यम परिवार में हुआ लेकिन उन्हें यह समझने में देर नहीं लगी कि मुसलमानों को अगर अच्छी शिक्षा न मिल पाए तो वो आगे नहीं बढ़ सकते. बदरुद्दीन ने खुद भी पढ़ाई की और दूसरे मुसलमानों को भी इसके लिए प्रेरित किया. असम की मुस्लिम आबादी ने भी उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित किया. क्योंकि अगर असम के मुसलमानों और बांग्लादेश से आए मुसलमानों को मिला लिया जाए तो असम में मुसलमानों की संख्या तकरीबन 34 फीसदी बैठती है.

अजमल देवबंद से पढ़ाई पूरी करने के बाद जमीयत उलमा-ए-हिंद के साथ जुड़ गए. यहां उन्होंने समझा कि राजनीतिक रसूख क्या होता है. इसके बाद उन्होंने 2005 में ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट का गठन किया. 2006 में असम में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने 73 उम्मीदवार उतारे, जिसमें 10 सीट जीतने में सफल रहे. इसके बाद पार्टी का ग्राफ बढ़ता ही गया. 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में अजमल सांसद चुने गए. इसके बाद 2011 में हुए विधानसभा चुनाव में AIUDF के 18 विधायक जीतने में सफल रहे.

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2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने असम में 14 उम्मीदवार खड़े किए, जिसमें धुबरी से बदरुद्दीन अजमल खुद जीते. इसके साथ ही उनकी पार्टी के 2 और सांसद चुने गए. इनमें से एक राधेश्याम बिस्वास हिंदू हैं. 2016 के विधानसभा चुनाव में अजमल की पार्टी 13 सीटें जीतने में सफल रही.    

अजमल का परिवार एशिया का सबसे अमीर एनजीओ मरकज ए मारिस चलाता है. परिवार के नाम पर एशिया का सबसे बड़ा चैरिटेबल अस्पताल भी है. जिसमें 500 बेड हैं.

बदरुद्दीन का इत्र का कारोबार भारत ही नहीं पूरे विश्व में फैला हुआ है. अब कंपनी ने रियल एस्टेट से लेकर चमड़ा उद्योग, चाय उत्पादन, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा में भी कदम बढ़ा दिए हैं. उनका कारोबार भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, सिंगापुर सहित कई देशों में फैला हुआ है.

अजमल फ्रेगरेंसेज एंड फैशंस, अजमल होल्डिंग एंड इन्वेस्टमेंट्स, बेलजा इंटरप्राइजेज, हैप्पी नेस्ट डेवलपर्स, अल-मजीद डिस्टलेशन एंड प्रोसेसिंग और अजमल बायोटेक कंपनियां अजमल समूह में शामिल हैं. अजमल के पास 43 करोड़ की संपत्ति है, तो उनके भाई सिराजुद्दीन अजमल 67 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं. इसके अलावा उनके दो बेटों के पास 16 करोड़ की संपत्ति है.

बदरुद्दीन अजमल के साथ पिछले दिनों एक और विवाद जुड़ा था. इसमें उन्होंने सवाल पूछने पर पत्रकार की पिटाई करने की बात की थी. हालांकि बाद में उन्होंने इसके लिए माफी मांग ली.

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