झारखंड के पलामू जिले में विधानसभा की 5 सीटें आती हैं, जिनमें पांकी, डालटनगंज, विश्रामपुर, छतरपुर और हुसैनाबाद विधानसभा सीटें शामिल हैं. इन सभी सीटों के चुनाव नतीजे आ गए हैं. इन सीटों पर पहले चरण में 30 नवंबर को वोट डाले गए थे. झारखंड की सभी 81 विधानसभा सीट पर कुल पांच चरणों में विधानसभा चुनाव कराए गए थे. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने मिलकर चुनाव लड़ा है.
पांकी सीट से बीजेपी और हुसैनाबाद से एनसीपी को मिली जीत
हुसैनाबाद विधानसभा सीट से नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के कमलेश कुमार सिंह ने 9,849 वोटों से शानदार जीत हासिल की है, जबकि राष्ट्रीय जनता दल के संजय कुमार सिंह यादव को हार का सामना करना पड़ा है. इस चुनाव में कमलेश कुमार सिंह को 41,293 वोट मिले, जबकि संजय कुमार सिंह को 31,444 वोटों से संतोष करना पड़ा. पिछली बार इस सीट से बहुजन समाज पार्टी के कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने 27,752 वोटों से जीत हासिल की थी.
वहीं, पांकी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के शशि भूषण मेहता ने 37,190 सीटों से जीत दर्ज की है. उन्होंने अपने सबसे करीबी प्रतिद्वंदी और कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी देवेंद्र कुमार सिंह को हराया है. पिछली बार इस विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के टिकट से बिदेश सिंह ने जीत दर्ज की थी.
विश्रामपुर सीट पर बीजेपी के चन्द्रवंशी ने मारी बाजी
झारखंड की विश्रामपुर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रामचंद्र चन्द्रवंशी ने 8,513 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है. उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के नेता राजेश मेहता को हराया है. इस चुनाव में रामचंद्र चन्द्रवंशी को 40,635 वोट हासिल हुए, तो राजेश मेहता 32,122 वोटों से संतोष करना पड़ा. पिछली बार भी भारतीय जनता पार्टी के नेता रामचंद्र चन्द्रवंशी ने 13,910 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.
छतरपुर और डालटनगंज सीट पर बीजेपी का दबदबा
छतरपुर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी पुष्पा देवी ने 26,792 वोटों से शानदार जीत दर्ज की है. उन्होंने अपने सबसे करीबी प्रतिद्वंदी और राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी विजय कुमार को करारी शिकस्त दी. साल 2014 के विधानसभा चुनाव में छतरपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी के राधा कृष्ण किशोर ने 5,862 वोटों से जीत दर्ज की थी. इस बार छतरपुर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.
झारखंड चुनाव परिणाम पर विस्तृत कवरेज के लिए यहां क्लिक करें
इसके अलावा डालटनगंज सीट से भारतीय जनता पार्टी के आलोक कुमार चौरसिया ने 21,517 वोटों से जीत हासिल की है, जबकि कांग्रेस पार्टी के कृष्णा नंद त्रिपाठी को हार का सामना करना पड़ा है. पिछली बार इस सीट से झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के टिकट से आलोक कुमार चौरसिया ने जीत दर्ज की थी. हालांकि उन्होंने बाद में झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) पार्टी का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था.
127 साल पुराना है पलामू जिले का इतिहास
पलामू जिला का इतिहास 127 साल पुराना है. एक जनवरी 1892 को पलामू को जिला घोषित किया गया था. इससे पहले 1857 के विद्रोह के बाद से यह डालटेनगंज में मुख्यालय के साथ एक उपखंड था. 1871 में परगना जपला और बेलौजा को गया से पलामू में स्थानांतरित कर दिया गया था.
झारखंड चुनाव परिणाम के अब तक के सभी अपडेट जानने के लिए यहां क्लिक करें
पलामू का प्रारंभिक इतिहास किंवदंतियों और परंपराओं से भरा है. स्वायत्त जनजातियां शायद अतीत में क्षेत्र का निवास करती थीं. खरवार, उरांव और चेरो ने पलामू पर शासन किया. पलामू का इतिहास मुगल काल से अधिक प्रामाणिक है. पलामू को मुगल पलून या पालून के नाम से भी जानते थे. आज के समय में पलामू की सीमा बिहार से छूती है. पलामू की स्थानीय भाषा नागपुरी है.
पलामू में जिले का मुख्यालय मेदिनीनगर है. इसके 22 प्रखंड हैं, जिनमें मेदिनीनगर, चैनपुर, रामगढ़़, सतबरवा, लेस्लीगंज, पांकी, तलहसी, मनातू, पाटन, पंडवा, विश्रामपुर, नावा बाजार, पांडू, उंटारी, मोहम्मदगंज, हैदरनगर, हुसैनाबाद, छतरपुर, हरिहरगंज, नौडीहा और पिपरा शामिल हैं.
Jharkhand Election Results Live: नतीजों से पहले नेताओं ने किए जीत के दावे
साल 2011 की जनगणना के अनुसार पलामू की आबादी 19,39,869 है. इनमें से 10.06 लाख पुरुष हैं और 9.33 लाख से ज्यादा महिलाएं हैं. जिले का औसत लिंगानुपात 928 है. जिले की 11.7 फीसदी आबादी शहरी और 88.3 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में रहती है. जिले की औसत साक्षरता दर 63.63 फीसदी है. पलामू में पनकी, डाल्टनगंज, बिश्रामपुर, छतरपुर, हुसैनाबाद विधानसभा सीटें हैं.
पलामू का जातिगत गणित
अनुसूचित जातिः 536,382
अनुसूचित जनजातिः 181,208
पलामू में जनजातियां और उनकी मान्यताएं
नागपुरी भाषा यहां कि स्थानीय बोली है. पलामू के प्रमुख जनजातियों में खेरवार, चेरो, उरांव, बिरजिया और बिरहोर शामिल हैं. जनजातीय विश्वास और रीति-रिवाज के चलते लोग जंगलों को पवित्र मानते हैं. पलामू के जनजातीय समुदाय पवित्र वनों की सरना पूजा करते हैं. वे करम वृक्ष (एडीना कोर्डिफोलिआ) को पवित्र मानते हैं. वर्ष में एक बार करमा पूजा होती है. हाथी, कछुआ, सांप आदि अनेक जीव-जंतुओं की भी पूजा होती है. इन प्राचीन मान्यताओं के कारण सदियों से यहां की जैविक विविधता पोषित होती आ रही है. यहां रहने वाले खेरवार अपने-आपको सूर्यवंशी क्षत्रिय बताते हैं. अपना उद्गम अयोध्या से बताते हैं. करुसा वैवस्वत मनु का छठा बेटा था. उसके वंशजों को खरवार कहते हैं. वहीं, चेरो अपने वंश कि उत्पत्ति ऋषि च्यवन से मानते हैं. यहां पहले नक्सली समस्या काफी ज्यादा थी, लेकिन अब नियंत्रण में है.
पलामू की कुल साक्षरता दर 63.63 फीसदी है. आबादी के अनुसार 1,024,563 लोग साक्षर हैं. इनमें से 621,706 पुरुष और 402,857 महिलाएं हैं. अगर पुरुषों की साक्षरता दर 74.3 फीसदी और महिलाओं की 52.09 फीसदी है. जिले की 7.13 लाख लोग कामगार हैं.
पलामू की आबादी
हिंदूः 1,683,169
मुस्लिमः 238,295
ईसाईः 6,164
सिखः 734
बौद्धः 188
जैनः 284
अन्य धर्मः 5,681
धर्म नहीं बतायाः 5,354
मुख्य कामगारः 283,702
किसानः 68,895
कृषि मजदूरः 95,734
घरेलू उद्योगः 7,062
अन्य कामगारः 112,011
सीमांत कामगारः 429,473
जो काम नहीं करतेः 1,226,694
5 हजार साल पुराना पांडवों का भीम चूल्हा है पलामू में
झारखंड प्रांत का जंगलों-पहाड़ों से घिरा पलामू क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक-पौराणिक स्थलों से परिपूर्ण है. इसी क्षेत्र में हुसैनाबाद अनुमंडल का मोहम्मदगंज भी शामिल है. यहीं पर है पौराणिक भीम चूल्हा है. किवदंतियों के अनुसार यह वही 5 हजार साल पुराना चूल्हा है, जिस पर पांडवों के अज्ञातवास के दौरान भीम भोजन बनाया करते थे. कोयल नदी के तट पर शिलाखंडों से बना यह चूल्हा पांडवों के इस इलाके में ठहराव का मूक गवाह है. बगल में ही मोहम्मद गंज बराज है. भीम चूल्हा के पास में पहाड़ी के पास पत्थर की तलाशी हुई हाथी की मूर्ति भी है. जिसकी लोग पूजा भी करते है.
इसके अलावा यहां पर बेतला नेशनल पार्क हैं. यह 226 वर्ग किमी में फैला है. इसमें 175 प्रजातियों के पक्षी औऱ 40 प्रजातियों के स्तनधारी जीव रहते हैं. हाथी, सांभर, चीतल, बंदर, नीलगाय आदि. साथ ही यहां पर पलामू टाइगर रिजर्व भी है. यह करीब 923 वर्ग किमी में फैला है. यहां पर 44 बाघ हैं. इसके अलावा लोध झरना भी बहुत विख्यात है. यह झरना 468 फीट की ऊंचाई से गिरता है. यह झारखंड का सबसे ऊंचा झरना है. पलामू फोर्ट में दो किले हैं. एक पुराना और दूसरा नया. दोनों ही चेरो साम्राज्य के किले थे. इनकी बनावट मुगल स्थापत्य से मिलती जुलती है.
aajtak.in