दिल्ली बीजेपी ने 70 में से 57 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है. इनमें 41 उम्मीदवार ऐसे हैं जो 2013 और 2015 का विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. वहीं 29 उम्मीदवार ऐसे हैं जो 2013 का चुनाव भी लड़े थे. बीजेपी ने इस बार दिल्ली के चुनाव में 16 पार्षदों पर भी भरोसा जताया है. इनमें से 6 पार्षद ऐसे हैं जो 2017 का नगर निगम चुनाव जीते थे जबकि 10 अन्य पार्षद 2012 का चुनाव लड़े थे.
बीजेपी हाईकमान की रणनीति के मुताबिक दिल्ली में 2020 विधानसभा चुनाव में भले ही केजरीवाल सरकार के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी ना हो लेकिन लोगों में कई आम आदमी पार्टी के विधायकों के खिलाफ नाराजगी है. बीजेपी ने इसी रणनीति के तहत पुराने चेहरों को इस बार ज्यादा तवज्जो दी है.
बाहरियों को भी उनकी सीट से टिकट
दिल्ली में बीजेपी के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, क्योंकि उनके पास महज तीन सीटें है. ऐसे में जितने भी 41 पुराने चेहरे हैं वो अनुभवी हैं. इसलिए उनकी सीटों में भी बदलाव नहीं किया गया है. इतना ही नहीं वैसे नेता जिन्होंने हाल के दिनों में बीजेपी ज्वाइन की है उन्हें भी उनकी पुरानी सीटों से ही टिकट दिए गए हैं. कांग्रेस से बीजेपी में आए सुरेंद्र सिंह बिट्टू काफी अनुभवी नेता हैं और तिमारपुर से विधायक रह चुके हैं इसलिए पार्टी ने उन्हें तिमारपुर विधानसभा सीट से ही चुनावी मैदान में उतारा है.
ठीक उसी तरह गांधीनगर सीट पर बीजेपी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं था. इसलिए AAP से आए पूर्व विधायक अनिल वाजपेयी को भी उसी सीट पर मौका दिया गया है.
वहीं AAP से बीजेपी में शामिल हुए पूर्व विधायक कपिल मिश्रा को मॉडल टाउन से उम्मीदवार बनाया गया है. जबकि करावल नगर से पुराने चेहरे नाम मोहन सिंह बिष्ट और ओखला सीट से ब्रह्म सिंह तंवर को उतारा गया है.
जाहिर है दिल्ली में सरकार बनाने के लिए 36 विधायकों की जरूरत है. AAP ने अपने 46 विधायकों को फिर से टिकट दिया है. ऐसे में बीजेपी सभी मौजूदा विधायकों के खिलाफ नए चेहरे के बजाय अनुभवी नेताओं पर दांव लगा रही है.
रोहित मिश्रा