बनियापुर विधानसभा सीट: इलाके में प्रभुनाथ सिंह के नाम का दबदबा, क्या जीत की हैट्रिक लगा पाएगी RJD?

इस सीट पर पिछले दो बार के चुनावों पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के भाई केदार नाथ सिंह आरजेडी के टिकट पर जीतते आ रहे हैं. अब जेडीयू और आरजेडी के अलग हो जाने से सवाल है कि क्या इस बार भी आरजेडी ये सीट अपने खेमे में करने में सफल रहेगी.

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Baniapur Assembly Seat Election 2020 Baniapur Assembly Seat Election 2020

अजीत तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 30 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:00 AM IST

बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई है, तीन चरणों में हुए चुनावों में इस बार कुल 59.94 फीसदी वोटिंग हुई है. अब 10 नवंबर को नतीजों का इंतजार है. बिहार की बनियापुर विधानसभा सीट पर इस बार 3 नवंबर को वोट डाले गए, यहां कुल 52.71% मतदान हुआ. बिहार के सारण जिले के तहत आने वाले बनियापुर विधानसभा क्षेत्र में आरजेडी का दबदबा माना जाता है. इस सीट पर पिछले दो बार के चुनावों पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के भाई केदार नाथ सिंह आरजेडी के टिकट पर जीतते आ रहे हैं. पिछले चुनाव में केदार नाथ सिंह ने बीजेपी उम्मीदवार तारकेश्वर सिंह को हराया था. अब जेडीयू और आरजेडी के अलग हो जाने के बाद सवाल है कि क्या इस बार भी आरजेडी ये सीट अपने खेमे में करने में सफल रहेगी?

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राजनीतिक पृष्ठभूमि
बनियापुर विधानसभा सीट पर वर्तमान में आरजेडी का कब्जा है. पिछले 5 बार के विधानसभा चुनावों को देखें तो बाहुबली नेता मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह तीन बार यहां से विधायक रहे और 2008 के परिसीमन के बाद उन्होंने अपना विधानसभा क्षेत्र बदल लिया.

उनके यहां से जाने के बाद साल 2010 के चुनावों में आरजेडी नेता और पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के भाई केदार नाथ ने यहां से जीत दर्ज की. इसके बाद 2015 में भी उन्होंने जीत के सिलसिले को दोहराया. हालांकि, जब तक धूमल सिंह इस सीट से चुनाव लड़े, किसी दूसरे उम्मीदवार को जीत हासिल नहीं हुई. वर्तमान में धूमल सिंह एकमा विधानसभा सीट से जेडीयू के विधायक हैं. 

सीट के इतिहास की बात करें तो इस से 7 बार जीत हासिल करने वाली कांग्रेस को 1985 के बाद से हार ही मिली है. वहीं, बीजेपी का यहां खाता भी नहीं खुला है. ऐसे में जेडीयू और बीजेपी के एक साथ आ जाने के बाद इस सीट पर विधानसभा चुनाव दिचलस्प रहने वाला है.

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समाजिक ताना-बाना
बनियापुर में राजपूत और भूमिहार वर्ग के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है. यहां से विधायक केदार नाथ सिंह खुद भी राजपूत जाति से आते हैं. 100 फीसदी ग्रामिण आबादी वाले बनियापुर विधानसभा की 11.78 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति की है. वहीं, अनुसूचित जनजाति की आबादी महज एक फीसदी है.

2015 का जनादेश
2015 के चुनावों में केदार नाथ सिंह ने आरजेडी के टिकट पर जीत हासिल की और बीजेपी के तारकेश्वर सिंह को करीब 20 हजार वोटों के अंतर से हराया. केदार नाथ सिंह को 69851 वोट मिले थे, वहीं तारकेश्वर सिंह को 53900 मत मिले थे.

दूसरे चरण में 3 नवंबर 2020 को इस सीट पर वोट डाले जाएंगे. चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे.

इस बार के मुख्य उम्मीदवार

  • वीआईपी- वीरेंद्र कुमार ओझा
  • आरजेडी - केदार नाथ सिंह
  • एलजेपी - तारकेश्वर सिंह

विधायक का रिपोर्ट कार्ड
1998 में राजनीति में कदम रखने वाले केदार नाथ सिंह तीन बार (2005, 2010, 2015) बिहार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं. उन्हें इलाके के पूर्व विधायक अशोक सिंह हत्या मामले में जेल की सजा काट रहे पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह का साथ मिला, जिसके बाद उन्होंने चुनावी राजनीति में हाथ आजमाया और 3 बार विधायक बने.

प्रभुनाथ सिंह के कारण बिहार की राजनीति में इस परिवार की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के करीब 6 विधानसभा सीटों पर इस परिवार से जुड़े लोग चुनाव जीत चुके हैं. प्रभुनाथ सिंह के भाई केदार नाथ सिंह सारण की बनियापुर सीट से विधायक हैं.

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बेटे रणधीर सिंह सारण की छपरा विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं. हालांकि, 2015 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, जीजा गौतम सिंह मांझी सीट से विधायकी जीत चुके हैं. उनके अलावा प्रभुनाथ के समधी विनय सिंह सारण की सोनपुर सीट से विधायक रह चुके हैं. इस बार भी इस परिवार के कई सदस्य चुनावी मैदान में दावेदारी ठोक चुके हैं.

 

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