मिथिलांचल के जिले दरभंगा की अलीनगर विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन(एनडीए) की ओर से विकासशील इंसान पार्टी(वीआईपी) के प्रत्याशी मिश्री लाल यादव ने महागठबंधन की ओर से चुनाव लड़ रहे राष्ट्रीय जनता दल(आरजेडी) के प्रत्याशी बिनोद मिश्रा को चुनावी समर में मात दी है. दोनों प्रत्याशियों के बीच जीत का अंतर महज 3,101 है. इस विधानसभा सीट पर अंतिम दौर में कड़ी टक्कर देखने को मिली थी, लेकिन बाजी एनडीए जीतने में कामयाब रही.
मिश्री लाल यादव को जहां 61,082 लोगों ने वोट किया, वहीं बिनोद मिश्रा 57,654 वोटों पर सिमट गए. आरजेडी को कुल 36.66 फीसदी लोगों ने वोट किया, वहीं वीआईपी को 38.62 फीसदी लोगों ने वोट किया.
तीसरे नंबर पर जन अधिकार पार्टी के संजय कुमार सिंह रहे, जिन्हें 9,737 वोट मिले, वहीं चौथे नंबर पर लोक जनशक्ति पार्टी रही, जिसके उम्मीदवार राज कुमार झा को 8,850 लोगों ने वोट किया. इस सीट से कुल 13 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा.
57.21 फीसदी वोटरों ने लिया था मतदान में हिस्सा
अलीनगर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में यानी 3 नवंबर को वोटिंग हुई. अलीनगर विधानसभा क्षेत्र के 57.21 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया. अलीनगर विधानसभा क्षेत्र के 2 लाख 51 हजार से अधिक मतदाता अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए मताधिकार का उपयोग करेंगे, जिसके नतीजे 10 नवंबर को आएंगे. इस विधानसभा क्षेत्र में 52 फीसदी से अधिक पुरुष मतदाता हैं, जबकि महिला मतदाताओं की भागीदारी 47 फीसदी के करीब है.
किनके बीच रही लड़ाई?
जन अधिकार पार्टी से संजय सिंह, राष्ट्रीय जनता दल से बिनोद मिश्रा, लोक जनशक्ति पार्टी से राज कुमार झा चुनाव मैदान में रहे. सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से इस दफे विकासशील इंसान पार्टी के मिश्री लाल यादव चुनाव लड़े और उन्होंने ही जीत हासिल की.
2015 का चुनाव
पिछले यानी साल 2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू और आरजेडी का महागठबंधन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले एनडीए के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरा था. तब कुछ सीटें ऐसी थीं, जिन्हें लेकर आरजेडी और जेडीयू में सीट बंटवारे के दौरान सहमति नहीं बन पाई थी. ऐसी ही सीटों की सूची में शामिल थी अलीनगर विधानसभा सीट. अलीनगर सीट से आरजेडी और जेडीयू, दोनों ही तत्कालीन गठबंधन सहयोगियों ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे थे.
सीट का इतिहास
साल 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई इस विधानसभा सीट पर पहली दफे साल 2010 में विधानसभा चुनाव हुए और तभी से इस सीट पर आरजेडी काबिज है. साल 2010 में आरजेडी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी को अपना उम्मीदवार बनाया था. तब बारी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी जेडीयू के प्रभाकर चौधरी को करीब 14 हजार वोट से शिकस्त दी थी.
पिछले चुनाव में जेडीयू और आरजेडी के बीच इस सीट को लेकर सहमति नहीं बन सकी. नतीजा यह हुआ कि इस सीट पर दोनों ही दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए. आरजेडी ने फिर से अब्दुल बारी सिद्दीकी पर ही भरोसा जताया, वहीं जेडीयू ने भी सिद्दीकी के सामने फिर से प्रभाकर चौधरी को ही उतारा. इसबार भी नतीजा 2010 जैसा ही रहा. हालांकि, जीत का अंतर जरूर कम हुआ.
आरजेडी के अब्दुल बारी सिद्दीकी ने जेडीयू के प्रभाकर चौधरी को करीब 5000 वोट के अंतर से मात दे दी. इस बार हालात थोड़े अलग इसलिए रहे, क्योंकि जेडीयू के पास भाजपा और एनडीए में शामिल अन्य सहयोगी दलों की भी ताकत है.
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