'मैं बीजेपी के साथ क्यों जाऊं? उन्होंने मुझे नकली संतान कहा...', उद्धव ठाकरे का बेबाक इंटरव्यू

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हैं. शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आजतक को इंटरव्यू दिया है. उद्धव ने कहा, चुनाव में समान अवसर होने चाहिए. पीएम मोदी के सुरक्षा प्रोटोकॉल के कारण मेरा हेलिकॉप्टर क्यों रोका गया? वो प्रचार के लिए यहां आते हैं और हम भी प्रचार के लिए जा रहे हैं. हम सरकार में आए तो भ्रष्ट योजनाओं को रोकेंगे और पैसा बचाएंगे.

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शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आजतक से खास बातचीत की है. शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आजतक से खास बातचीत की है.

साहिल जोशी

  • मुंबई,
  • 13 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:16 PM IST

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हैं और चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ लिया है. इस बीच, शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे से आजतक से खास बातचीत की है. उद्धव ने महाविकास अघाड़ी (MVA) में सीएम फेस से लेकर अमित ठाकरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारने के सवाल तक पर खुलकर बात की है. उद्धव का कहना था कि जिसे ज्यादा सीटें मिलेंगी वही सीएम बनेगा... ऐसा कोई फॉर्मूला नहीं है. लेकिन मोदी को दिक्कत क्या है कि सीएम के लिए चेहरा कौन है? उद्धव ने पूछा, पीएम मोदी के हेलिकॉप्टर की जांच कब की गई? इसके सबूत दिखाना चाहिए.

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बीजेपी ने सबसे पहले 2014 में मेरा साथ छोड़ा था. उस वक्त भी मैं हिन्दू ही था. उस वक्त मोदी जी कहते कि नकली संतान. अलायंस उन्होंने तोड़ा था. मैंने नहीं तोड़ा है. 2019 में उन्होंने मुझे फंसाया. मैंने नहीं फंसाया उनको. वो कहीं भी जा सकते हैं, मैं कहीं नहीं जा सकता हूं. उन्होंने मुझे फंसाया, इसलिए मैंने उनको छोड़ दिया. बीजेपी का यही है कि सत्ता चाहिए. किसी को भी तोड़ो. ये तो बीजेपी का सत्ता जिहाद है. कुर्सी जिहाद है.

'तो क्या मोदी जी नकली संतान से हाथ मिलाएंगे?'

विधानसभा चुनाव के बाद नया अलायंस बनने के सवालों पर उद्धव ने कहा, बहुत सारे लोग, बहुत सारी बातें करते हैं. मैं बीजेपी के साथ क्यों जाऊं? उन्होंने मेरी पार्टी तोड़ी. उसे खत्म करने की कोशिश की. मेरे परिवार को बदनाम कर रहे हैं. मेरे बेटे को बदनाम किया. यहां तक कि मुझे नकली संतान कहा गया. तो क्या मोदी जी नकली संतान के साथ हाथ मिलाएंगे? ये मेरे पिता जी और माता जी का अपमान है. ये अपमान मोदी जी ने किया है. खैर उनकी बातों पर आगे बात नहीं करना चाहता हूं. क्योंकि उन्हें तो भगवान ने भेजा है.

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हालांकि, महाराष्ट्र में कुछ भी हो सकता है. उदाहरण देखिए लोकसभा चुनाव से पहले कहा जा रहा था कि बीजेपी को हराना मुश्किल है लेकिन नतीजों ने यह गलत साबित कर दिया. महाराष्ट्र में कुछ भी हो सकता है और यहां की जनता ने उन्हें हरा कर दिखाया.

'आपने गद्दारी करके क्यों उतारा?'

उद्धव ने एकनाथ शिंदे का नाम लिए बिना कहा, आज तक वो जो कुछ भी बने हैं, वो मेरे पिताजी ने इनको बनाया है. अगर बीजेपी के धोखा देने के कारण मैं सीएम बना था तो आपने गद्दारी करके उतारा क्यों है? ये मैं याद दिलाना चाहता था. दुख तो है. आज तक हमारे घर से इन्हें जो कुछ लेना था, वो लिया. मेरे पिताजी ने इनको बहुत कुछ दिया. जो परिवारवाद की बात करते हैं, इतने बड़े परिवार हमने ही तो बड़े किए हैं. क्या उस परिवार से बाला साहब का पुत्र अगर सीएम बन गया तो गलत क्या है. क्या वो सीएम नहीं बन सकता. सिर्फ आपका ही बेटा, आपके ही पिताजी बन सकते हैं. अपने पिताजी का नाम तो लीजिए. उस वक्त भी मेरे पिताजी का नाम चुरा लिया. मेरे पिता जी ने सबकुछ दिया है. इनको शर्म नहीं आ रही है कि पिताजी का नाम लेकर वो वोट मांग रहे हैं. 

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'सॉरी! भाईसाहब माफ करिए...'

माहिम से राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारने के सवाल पर उद्धव ने कहा, उनकी राजनीतिक भूमिका क्या है? पिछले चुनाव (लोकसभा) में उन्होंने मोदी का समर्थन किया था. इस चुनाव में वो कहते हैं कि देवेंद्र मुख्यमंत्री बनेंगे. जो लोग महाराष्ट्र को लूट रहे हैं, उनको ही वो मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं. तो भाईसाहब सॉरी..माफ करिए. मैं महाराष्ट्र के लुटेरों का साथ नहीं दे सकता हूं. 

'MVA में सीएम को लेकर फॉर्मूला तय नहीं'

MVA में सीएम पद को लेकर उद्धव ने कहा, हमारे यहां कोई मतभेद नहीं है. हम तीनों दलों में कोई विवाद नहीं है. पवार (शरद) साहब ने कहा है कि जिसकी ज्यादा सीटें आएंगी, वही सीएम बनेगा. ये भी हो सकता है. हालांकि, अभी कोई फॉर्मूला तय नहीं हुआ है. उद्धव का कहना था कि क्या महायुति बता सकती है कि उनके पास जो गद्दारों की फौज एकट्ठा हुई है, उनमें से कौन सीएम बनेगा. पहले आपस में तय कर लो. हमारे तरफ क्यों देख रहे हो. हमारे अलायंस में कौन सीएम बनेगा, ये मोदी जी को चिंता करने की जरूरत नहीं है.

MVA का सीएम फेस घोषित करने के प्रस्ताव पर गौर नहीं किए जाने से किरकिरी होने के सवाल पर उद्धव ठाकरे ने कहा, मैंने एक सुझाव दिया था. कभी-कभी बाद ये होता है कि अगर पहले करते तो अच्छा होता. बाद में पता चलता कि ना करते तो अच्छा होता. हम तीन पार्टियां एकट्ठा हैं. कुछ और भी सहयोगी दल हैं. स्वभाविक है कि ये सबका काम है. जो अनुभव हमने बीजेपी के साथ 25 साल रहकर किया है, उसको ध्यान में रखा है.

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'थोड़ा बहुत तो खींचतान होती है'

जब कोई अलायंस होता है तो स्वभाविक है कि हर दल ज्यादा से ज्यादा सीटें चाहता है. इसके सकरात्मक और नकरात्मक दोनों पहलू होते हैं. हम अलायंस इसलिए करते हैं ताकि सब मिलकर सत्ता में आएं. सीटों को लेकर थोड़ा बहुत खींचतान तो होती है. लेकिन अलायंस तो नहीं टूटा. जैसा बीजेपी ने 2014 और 2019 में हमारे साथ किया. हम (शिवसेना) 2019 से पहले तक कांग्रेस, एनसीपी के खिलाफ ही चुनाव लड़ते आए हैं. पहली बार अब साथ चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए थोड़ा बहुत खींचतान होना स्वभाविक है.

उद्धव ने कहा, ये जो लुटेरी सरकार (महायुति) है, हम उसे भगाना चाहते हैं. ये लोग महाराष्ट्र को लूट रहे हैं. हम लोगों में कौन सीएम बनेगा, ये मसला बाद का है. हम तीन दल मिलकर लोगों को विकल्प दे रहे हैं.

बैग चेक किए जाने पर क्या बोले उद्धव ठाकरे?

चुनाव आयोग की टीम द्वारा बैग चेक किए जाने के सवाल पर उद्धव ने कहा, हमने सबूत दिया है और चुनाव आयोग को धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने बहुत दिन बाद मेरे अंदर जो फोटोग्राफर है, उसे वापस जगाया है. हमने कुछ सवाल भी पूछे हैं. मैं 'सामना' (शिवसेना का मुखपत्र) का भी संपादक हूं. पत्रकारिता भी मेरी जाग गई. 

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'क्या चुनाव आयोग हिम्मत कर पाएगा?'

चुनाव आयोग की तरफ से सफाई आई कि हमने तो प्रधानमंत्री और गृह मंत्री तक का बैग किया है. ऐसे में आपका बैग चेक करने में गलत क्या है? इस सवाल पर उद्धव ने पूछा, क्या आप विश्वास कर सकते हैं? चुनाव आयोग इनके बैग चेक करने की हिम्मत दिखा पाएगा. मैं बिल्कुल विश्वास नहीं करता. कुछ दिन, महीने या साल पहले मैंने जो खबर सुनी थी कि ओडिशा में प्रधानमंत्री का बैग जिसने चेक किया था, उसे सस्पेंड कर दिया गया था. शायद लोकसभा चुनाव या उसके आसपास का मामला है. दूसरी बात यह है कि मेरा मानना है कि प्रधानमंत्री किसी एक पार्टी के नहीं होते हैं. उन्हें किसी एक पार्टी के प्रचार के लिए नहीं आना चाहिए. क्योंकि वो किसी पार्टी के प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि देश के प्रधानमंत्री हैं. देश बदलाव चाहता था, इसलिए तो जनता ने आपको चुन लिया. आप वही चीज लेकर आगे जाना चाहते हैं तो कांग्रेस क्या बुरी थी. अब पुरानी परंपरा बदलनी चाहिए. आप नई शुरुआत कीजिए. देश भी इस पहल का स्वागत करेगा.

लगातार दूसरे दिन मेरा बैग चेक किया गया. हालांकि, मुझे कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन आज ही जब मैं एक जगह से दूसरी जगह जाना चाहता था तो मुझे इसलिए रोक दिया गया कि जब तक प्रधानमंत्री का विमान सोलापुर एयरपोर्ट पर लैंड नहीं हो जाता, तब तक उड़ान की अनुमति नहीं होगी. मैं उस समय अवसा में था. ये सोलापुर से काफी दूर है और मुझे उमरगा जाना था. 

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'मेरी उड़ान को अनुमति नहीं दी गई'

प्रोटोकॉल होने के सवाल पर उद्धव ने कहा, मैं भी तो अपनी पार्टी का नेता हूं. वो अपनी पार्टी के नेता हैं. वो प्रधानमंत्री हैं, इसलिए उनके लिए अलग कानून है, ये बात मैं नहीं मानने वाला. ये प्रजातंत्र नहीं है. अगर मुझे रोक रहे हैं तो उनको भी रोकना चाहिए. उनको कहना चाहिए था कि उद्धव ठाकरे का हेलिकॉप्टर उड़ रहा है, जब घूमो ऊपर. ऐसा क्यों नहीं होता है? मैं भी चुनाव प्रचार के लिए जा रहा था, प्रधानमंत्री भी अपनी पार्टी का प्रचार करने के लिए जा रहे थे. किसी को चुनाव प्रचार करने से रोकना तो अपराध है. 15-20 मिनट तक इंतजार कराया. लोग मेरा वहां इंतजार कर रहे थे. जो कानून मेरे लिए है, वही कानून सबके लिए होना चाहिए.

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस क्यों नंबर वन रही?

लोकसभा चुनाव में MVA में कांग्रेस के नंबर वन रहने पर उद्धव ने कहा, इसके लिए दो-तीन वजहें हैं. एक तो कांग्रेस पार्टी टूटी नहीं थी. उनका नाम, उनका सिंबल साथ था. सभी पार्टियां उनके साथ थीं. रही बात पवार साहब की तो उनकी आज भी मौजूदगी है. वो जहां खड़े होते हैं, वहां उनकी पार्टी का वजूद है. मेरे लिए बात अलग थी. बाला साहब अभी हमारे बीच नहीं हैं और बाला साहब का नाम उन्होंने राष्ट्र पुरुष की सूची में रखा है. आप बीजेपी के पोस्टर में भी देखेंगे तो उसमें बाला साहब दिखेंगे. बीजेपी भी बाला साहब का नाम लेकर वोट मांग रही है. मसाल का जो चिह्न है, वो हमें लोकसभा चुनाव के दूसरे फेज में मिला. क्योंकि पहले चरण में पूर्व विदर्भ में हमारे उम्मीदवार भी नहीं थे. दूसरे चरण के नामांकन के बाद हमें चुनाव चिह्न के बारे में पता चला. प्रचार के लिए सिर्फ 20 दिन ही मिले. कुछ दिन लोग मिले और उन्होंने बताया कि हम लोगों ने गलती से पुराने चुनाव चिह्न पर वोट दे दिया. फिर भी मेरा परफॉर्मेंस बुरा नहीं रहा. पार्टी टूटने से पहले मेरे 5 सांसद थे. आज 9 सांसद हो गए हैं. मुंबई की एक सीट उन्होंने चोरी कर ली. यही तो उनका खेल है. बीजेपी चोरों का पार्टी है. दूसरों की चीजों को अपनी बताने लगती है.

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लाडली बहना योजना के सवाल पर उद्धव ने कहा, पैसा देना एक बात है. अगर आप भाई-बहन का नाता मानते हो तो भाई कभी भी अपनी बहन को क्या दिया, उसे जाहिर नहीं करता है. ये जाहिर करते हैं. मतलब ये रिश्ता असली रिश्ता नहीं है. बाद में लोगों को पता चल गया कि हमें फंसाया जा रहा है. 1500 रुपए में घर नहीं चलता है. दूसरी बात यह है कि इन्होंने चुनाव आयोग को बीच में डाला और उस योजना पर रोक लगवा दी. यानी इनको यहां तक ही उसका पैसा देना था.

उन्होंने कहा, जिन लोगों ने जनता का पैसा लूटा है और भ्रष्टाचार किया है, उनके खिलाफ जांच की जाएगी और सरकार में आने पर कार्रवाई भी की जाएगी. 

जातिगत जनगणना पर उद्धव का क्या रुख?

जातिगत जनगणना के सवाल पर उद्धव ने कहा, मेरे पिता जी ने कहा था कि आरक्षण कहो या कुछ भी सुविधा हो, उसे किसको मिलना चाहिए? आर्थिक आधार को ध्यान में रखना चाहिए. वो किसी भी जात-पात का हो, उसे वो सुविधा दे दो. लेकिन वो बात उस समय मानी नहीं गई. फिर मंडल आयोग आया. अभी मैं कहता हूं कि एक बार जातिगत जनगणना हो जाने दीजिए ताकि यह पता लग सके कि कहां कितनी जातियां हैं और कहां रह रहे हैं. उस हिसाब से संसद का दायित्व है कि उसे मंजूर करे. 

महाराष्ट्र में मनोज जरांगे के ओबीसी में आरक्षण मांगे जाने के सवाल पर उद्धव ने कहा, जो सीमा है, उसे बढ़ाने का अधिकार सिर्फ लोकसभा के पास है. मैं तो कहता हूं कि हर किसी को सुखी होना चाहिए. जातिगत सर्वे होने दीजिए. अगर उसकी सीमा बढ़ाने की जरूरत है तो यहां हम एक प्रस्ताव पास करेंगे और मोदीजी के पास भेज देंगे. क्योंकि अधिकार उनके पास है. दूसरा ऑप्शन राष्ट्रपति जी के पास भेजने का है. वो सुप्रीम कोर्ट के CJI की सलाह से मंजूर कर सकती हैं.

जातिगत जनगणना के काउंटर के रूप में बंटेंगे तो कटेंगे नारे को देखे जाने पर उद्धव ने कहा, उनका यह नारा नहीं है. उनका नारा है कि लूटेंगे तो बांटेंगे. महाराष्ट्र को लूटेंगे और दोस्तों को बांटेंगे. इस तरीके के नारों का कोई कसर नहीं होगा. सरकार की गलत नीतियों की वजह से किसान परेशान है और उनको पैसा नहीं मिल रहा है. पहले फसल के दाम देना चाहिए.

बंटेंगे तो कटेंगे नारे पर क्या बोले उद्धव ठाकरे?

उद्धव ने आगे कहा, एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे नारा बीजेपी के लिए है. उनको बाकी सारी पार्टियां नहीं चाहिए. यही बात तो नड्डा ने कही थी कि अब हमें आरएसएस की जरूरत नहीं है. इसलिए बीजेपी के लिए उसका अर्थ है कि हम एक हैं तो सेफ हैं. हम एक ही तो थे, तो हमें तोड़ा क्यों? पहले एनडीए में कितनी पार्टियां थीं? अब एनडीए में कितनी पार्टियां हैं? अब क्यों एकता की बात कर रहो. जो एकता आपको मंजूर नहीं है और आपके नड्डा जी भी कह रहे हैं कि हमें अब किसी की जरूरत नहीं है. आरएसएस की भी जरूरत नहीं हैं तो इसका मतलब है कि बीजेपी एक रहेगी तो सेफ रहेगी. वरना साफ हो जाएगी. उद्धव ने कहा, अगर सरकार में आए तो हम धारावी के लिए अडानी को दिया गया टेंडर रद्द कर देंगे.

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