जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव अब अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है. केंद्र शासित प्रदेश के तीसरे और अंतिम चरण में आज यानी 1 अक्टूबर को 40 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हो रहा है. जम्मू कश्मीर की सत्ता के लिए अंतिम चरण के रण में हिंदू बेल्ट की सीटें हैं तो घाटी की नियंत्रण रेखा के करीब स्थित सीटों पर भी मतदान हो रहा है. इस चरण की सीटों पर कई कद्दावर नेता किस्मत आजमा रहे हैं. आइए, जानते हैं इस चरण की 40 विधानसभा सीटों पर फाइटिंग फैक्टर और बड़े फेस.
अंतिम चरण के बड़े चेहरे
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में सज्जाद लोन, रमन भल्ला से लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री ताराचंद की किस्मत दांव पर है. संसद हमले के दोषी अफजल गुरु और निर्दलीय सांसद इंजीनियर राशिद के भाई तक, कई बड़े चेहरे मैदान में हैं.
एजाज गुरुः जम्मू कश्मीर की सोपोर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार एजाज गुरु संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु के भाई हैं. एजाज पूर्ण राज्य का दर्जा मुद्दा बनाए हुए हैं. उन्होंने अफजल गुरु की कब्र पर फातिहा पढ़ने के साथ ही बालासाहब ठाकरे और सरबजीत सिंह की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए भी इजाजत मांगी है. एजाज गुरु ने कहा है कि पहले देश है, फिर राज्य यानि जम्मू कश्मीर की बात आती है.
खुर्शीद अहमद शेखः बारामूला सीट से सांसद इंजीनियर राशिद के भाई खुर्शीद अहमद शेख लंगेट विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं. लंगेट सीट के लिए अंतिम चरण में वोट डाले जा रहे हैं. शेख का मुकाबला पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता और कुपवाड़ा के मौजूदा डीडीसी अध्यक्ष इरफान पंडितपोरी से है.
मुजफ्फर हुसैन बेग: जम्मू कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग उत्तरी कश्मीर की बारामुला सीट से चुनाव मैदान में हैं. मुजफ्फर बेग के सामने अपने ही भतीजे जावेद बेग की चुनौती है. पीडीपी के संस्थापकों में से एक मुजफ्फर बेग करीब पांच दशक से एक्टिव पॉलिटिक्स में हैं और इस बार बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. बेग ने पहाड़ी समुदाय को आरक्षण के दायरे में लाए जाने के बाद पीएम मोदी की तारीफ की थी.
सज्जाद लोन: पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन उत्तरी कश्मीर की कुपवाड़ा और हंदवाड़ा विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं. सज्जाद की सीट पर भी तीसरे चरण में ही वोटिंग हो रही है. सज्जाद लोन 2014 के चुनाव में हंदवाड़ा से जीते थे और मुफ्ती सरकार में बीजेपी के कोटे से मंत्री भी रहे. लोन का मुकाबला नेशनल कॉन्फ्रेंस के चौधरी मोहम्मद रमजान, पीडीपी के गौहर आजाद मीर, बीजेपी के गुलाम मोहम्मद मीर और आवामी इत्तेहाद पार्टी के अब्दुल मजीद से है.
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देवेंद्र सिंह राणा: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के भाई देवेंद्र सिंह राणा जम्मू जिले की नगरोटा सीट से चुनाव मैदान में हैं. देवेंद्र बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस का दिग्गज चेहरा रहे देवेंद्र पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के करीबियों में गिने जाते थे. 2021 में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया था. व्यावसायी से राजनेता बने देवेंद्र 2008 और2014 में नगरोटा सीट से चुनाव जीत विधानसभा पहुंचे थे.
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तारा चंद: जम्मू की छंब विधानसभा सीट से बड़े दलित नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तारा चंद चुनाव मैदान में हैं. जम्मू कश्मीर कांग्रेस के बड़े चेहरों में गिने जाने वाले 61 साल के तारा चंद 1996, 2002 और 2008 में इस सीट से विधायक रहे हैं. जम्मू कश्मीर विधानसभा के पूर्व स्पीकर तारा चंद को 2014 के चुनाव में बीजेपी डॉक्टर कृष्ण लाल ने हरा दिया था. इस बार तारा चंद का मुकाबला बीजेपी के राजीव शर्मा, कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय मैदान में उतरे सतीश शर्मा से है.
ये बड़े चेहरे भी आजमा रहे किस्मत
इस फेज में कई और बड़े चेहरे भी किस्मत आजमा रहे हैं. बांदीपुरा सीट से उस्मान माजिद (बांदीपुरा), आरएस पुरा से पूर्व मंत्री रमन भल्ला, गुरेज सीट से नजीर अहमद खान, उरी सीट से ताज मोहिउद्दीन, वागूरा क्रीरी सीट से बशारत बुखारी, पट्टन से इमरान अंसारी, गुलमर्ग से गुलाम हसन मीर, बसोहली से चौधरी लाल सिंह, जसरोटा से राजीव जसरोटिया, बिलावर से मनोहर लाल शर्मा, जम्मू उत्तर से शाम लाल शर्मा और अजय कुमार सधोत्रा भी इस फेज के बड़े चेहरों में शामिल हैं. मढ़ सीट से मूला राम, विजापुर से चंद्र प्रकाश गंगा और मंजीत सिंह, चेनानी से उम्मीदवार देव सिंह की गिनती भी कद्दावर नेताओं में होती है.
फाइटिंग फैक्टर
जम्मू कश्मीर के अंतिम चरण की 40 सीटों में से 26 जम्मू रीजन की हैं. जम्मू रीजन की ये 26 सीटें हिंदू बाहुल्य इलाकों की हैं. इन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है. जम्मू कश्मीर में किसकी सरकार बनेगी, यह तय करने में भी इन सीटों का महत्वपूर्ण रोल होगा. कांग्रेस अगर इन सीटों पर बेहतर कर पाती है और घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस, तो इन दलों के गठबंधन का सरकार बनाने का रास्ता आसान हो सकता है. वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस अगर घाटी में बेहतर करे भी और इन सीटों पर बीजेपी 2014 का प्रदर्शन दोहरा दे तो इस गठबंधन की राह मुश्किल होगी.
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