जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने वाले कम से कम 26 प्रत्याशियों की उम्मीदवारी खारिज हो गई है. टेरर फंडिंग केस में जेल में बंद अलगाववादी नेता सर्जन बरकती का नॉमिनेशन फॉर्म भी खारिज हो गया है. एक अधिकारी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर चुनाव के पहले चरण के लिए कुल 280 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किया था, इनमें से 168 नामांकन पत्र स्वीकार किए गए हैं. अधिकारी ने बताया कि अन्य नामांकन पत्रों की जांच जारी है.
बता दें कि सर्जन बरकती 2016 से 2019 के बीच जम्मू-कश्मीर में होने वाले विरोध प्रदर्शनों के प्रमुख चेहरा थे. साल 2016 में सुरक्षा बलों द्वारा एक एनकाउंटर में हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी को ढेर करने के बाद अलगाववादी नेताओं के नेतृत्व में कश्मीर घाटी में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और पत्थरबाजी की घटनाएं हुई थीं. सर्जन बरकती कुलगाम और शोपियां में हुए विरोध प्रदर्शनों के पोस्टर बॉय थे. उनका नामांकन 'आपराधिक पृष्ठभूमि' के कारण खारिज कर दिया गया है.
बरकती का नामांकन खारिज होने से दुख हुआ: मुफ्ती
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बरकती का नामांकन पत्र खारिज होने पर निराशा व्यक्त की है. उन्होंने X पर एक पोस्ट में लिखा, 'जैनपोरा से सर्जन बरकती का विधानसभा नॉमिनेशन फॉर्म खारिज होने के बारे में सुनकर दुख हुआ. चुनाव आयुक्त को इस फैसले के कारणों को सार्वजनिक करना चाहिए. लोकतंत्र विचारों की लड़ाई है और इसमें सभी को भाग लेने का मौका दिया जाना चाहिए.' बता दें कि 2014 के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का यह पहला चुनाव होगा.
नामांकन खारिज होने के खिलाफ कोर्ट जाएंगे बरकती
सर्जन बरकती की बेटी सुगरा बरकती के साथ 27 अगस्त को नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए आए सामाजिक कार्यकर्ता आदिल नजीर ने कहा कि वह इस फैसले को अदालत में चुनौती देंगे. बता दें कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के 90 सदस्यों को चुनने के लिए 18 सितंबर से 1 अक्टूबर 2024 के बीच 3 चरणों में मतदान संपन्न होगा. पहले और दूसरे चरण के लिए क्रमश: 18 और 25 सितंबर को और तीसरे चरण के लिए 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे. नतीजे 4 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे. फर्स्ट फेज में 24 सीटों के लिए मतदान होगा, जिसमें दक्षिण कश्मीर की 16 और जम्मू क्षेत्र की 8 सीटें शामिल हैं.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी PDP चीफ
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. उन्होंने कहा है कि भले ही मैं मुख्यमंत्री बन जाऊं, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए मेरी पार्टी के एजेंडे को लागू करना संभव नहीं होगा. इसलिए उन्होंने खुद की जगह अपनी बेटी इल्तिजा मुफ्ती को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है. उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा, 'मैं भाजपा के साथ गठबंधन वाली सरकार की मुख्यमंत्री रही हूं जिसने (2016 में) 12,000 लोगों के खिलाफ एफआईआर रद्द कर दी थी. क्या अब ऐसे निर्णय हो सकते हैं? अगर आप मुख्यमंत्री रहते हुए एक एफआईआर वापस नहीं ले सकते तो ऐसे पोस्ट का क्या मतलब.'
जम्मू-कश्मीर में 2014 के बाद पहला विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर में 2014 के विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15 और कांग्रेस ने 12 सीटें जीती थीं. पीडीपी ने 28 और बीजेपी ने 25 सीटें जीतीं और चुनाव बाद गठबंधन में सरकार बनायी. लेकिन 2018 में बीजेपी सरकार से बाहर हो गई और जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. इसके बाद 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति के आदेश से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 और 35ए को समाप्त कर दिया. साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया. इस तरह करीब एक दशक बाद जम्मू-कश्मीर के लोग अपनी सरकार चुनेंगे.
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