मां वकील- पिता डॉक्टर, बेटा 4 साल में 2 बार बना CA टॉपर, ऐसे की तैयारी

ICAI CA परीक्षा में मुंबई  के छात्र धवल कपूरचंद चोपड़ा ने ऑल इंडिया टॉप किया है. वो CA final (old scheme) exam में मुंबई के पहले आल इंडिया टॉपर बने हैं. जानें- कैसे की थी तैयारी.

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फोटो: टॉपर धवल कपूरचंद चोपड़ा फोटो: टॉपर धवल कपूरचंद चोपड़ा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 5:35 PM IST

धवल ने अपने पहले प्रयास में इस परीक्षा में टॉप किया है. इससे पहले साल CA 2015 इंटरमीडिएट परीक्षा  IPCC में आठवीं रैंक हासिल की थी. धवल के एकेडमिक करियर के बारे में बात करें तो उन्होंने पिछले साल अपनी कानून की डिग्री प्राप्त की थी.

बीते साल नवंबर में हुई CA final परीक्षा में धवल ने 800 में से 531 नंबर हासिल किए हैं. उनकी मां सीमा चोपड़ा वकील और पिता पेशे से डॉक्टर हैं. ICAI CA परीक्षा में मुंबई  के छात्र धवल कपूरचंद चोपड़ा ने ऑल इंडिया टॉप किया है. वो CA final (old scheme) exam में मुंबई के पहले आल इंडिया टॉपर बने हैं. जानें- कैसे की थी तैयारी.

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अपनी स्ट्रेटजी के बारे में धवन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मैंने अपने एक दोस्त के साथ चार से पांच महीने तैयारी की थी. इससे हमें अपनी आत्मविश्वास मिला और बेहतर करने के लिए खुद को प्रोत्साहित करने में मदद मिली. इसके अलावा, मैंने यह पूरी तरह तय किया था कि मैंने मल्टीपल च्वाइस क्वैश्चन पर पूरा ध्यान केंद्रित करेंगे क्योंकि वे वैल्यूएबल मार्क्स होते हैं और इन्हें हल करने में बहुत कम समय लगता है. धवल ने बताया कि वो हर दिन 10 घंटे तक अध्ययन करते थे.

भविष्य में वो अपनी खुद की लॉ फर्म खोलने की योजना बना रहे हैं. उनका कहना है कि लॉ कॉलेज के छात्रों को टैक्सेशन और अन्य कॉन्सेप्ट का पर्याप्त व्यावसायिक ज्ञान नहीं दिया जाता है. मेरे लिए CA सिर्फ पहेली में मिसिंग पीस की तरह है.

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धवल वर्तमान में शहर में को वर्किंग स्पेस की चैन चला रहे हैं. बता दें कि गवर्नमेंट लॉ कॉलेज के पूर्व छात्र धवल सीए फाइनल (ओल्ड स्कीम) एग्जाम में महाराष्ट्र के  इकलौते आल इंडिया टॉपर हैं.

वहीं ICAI CA परीक्षा न्यू कोर्स में ऑल इंडिया टॉपर कोलकाता के अभय बाजोरिया हैं. अभय के पिता दुर्गा प्रसाद बाजोरिया का 2016 में निधन हो गया था, उस समय अभय की  ICAI इंटरमीडिएट परीक्षा चल रही थी.  अभय ने बताया-  "पिता एक चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना चाहते थे लेकिन, घर की आर्थिक स्थिति के कारण वह सीए नहीं बन सके. ऐसे में चाहते थे ये सपना उनका बेटा पूरा करें. "

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