देश की प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में दाखिले के लिए आयोजित होने वाली ज्वाइंट एंट्रेस एग्जामिनेशन (जेईई मेन) परीक्षा को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने परीक्षा की भाषा को लेकर मोदी सरकार से सवाल पूछे हैं.
दरअसल जेईई मेन परीक्षा का आयोजन हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में किया जाता रहा है. वहीं अब अगले साल से होने वाली जेईई मेन परीक्षा में हिंदी- अंग्रेजी के साथ गुजराती भाषा को वैकल्पिक भाषा के तौर पर शामिल किया जाएगा.
ऐसे में ममता बनर्जी ने सवाल पूछते हुए ट्वीट किया, 'मुझे गुजराती भाषा बहुत पसंद है. लेकिन परीक्षा में अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की अनदेखी क्यों की गई है? अगर परीक्षा का आयोजन गुजराती में हो सकता है तो बंगाली भाषा सहित अन्य क्षेत्रीय भाषा में क्यों नहीं? '
उन्होंने ट्वीट कर लिखा आश्चर्य की बात है जेईई मेन की परीक्षा हिंदी और अंग्रेजी में होती है, वहीं विकल्प के तौर पर परीक्षा में केवल गुजराती भाषा को जोड़ा गया. ये कदम सराहनीय नहीं है.
उन्होंने कहा हमारा देश भारत बहुत सारे धर्मों, संस्कृतियों, भाषाओं, पंथों और समुदायों का घर है. हालांकि, सभी क्षेत्रों और क्षेत्रीय भाषाओं की छव खराब करना केंद्र में सरकार की मंशा है. उन्होंने लिखा ऐसा करना ठीक नहीं है. क्योंकि बाद में इस मुद्दे पर जोरदार विरोध प्रदर्शन हो सकता है. क्योंकि इस कारण अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को बोलने वाले लोगों की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचेगी.
न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने 2014 में उर्दू, मराठी और गुजराती को जेईई मेन परीक्षा में जोड़ा था. हालांकि, 2016 में, इसने मराठी और उर्दू को हटा दिया था जिसके बाद केवल गुजराती भाषा रहने दिया था. जब 2019 में सीबीएसई से एंट्रेंस परीक्षा की जिम्मेदारी लेकर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को दी गई थी.
उसके बाद जेईई मेन की परीक्षा हिंदी और अंग्रेजी में आयोजित होने लगी. इस बात की जानकारी तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष ट्वीट कर दी गई थी. आश्चर्य की बात है कि अब केवल गुजराती भाषा को जोड़ा गया है. ऐसा कदम बिल्कुल भी सराहनीय नहीं है.
बता दें, ममता बनर्जी ने मोदी सरकार को सलाह देते हुए कहा कि अगर इस मामले की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो देश में हर जगह "मजबूत विरोध" शुरू हो सकता है. उन्होंने कहा कि भारत कई भाषाओं, संस्कृतियों और धर्मों का घर है, लेकिन केंद्र में सरकार की मंशा सभी क्षेत्रों और क्षेत्रीय भाषाओं को बदनाम करना है.
आपको बता दें, जेईई मेन परीक्षा के संबंधित विभाग ने स्पष्ट किया है कि परीक्षा में उन भाषाओं को शामिल किया गया था जिनमें राज्यों द्वारा कभी भाषा का अनुरोध किया गया था. वहीं अभी तक गुजरात - महाराष्ट के अलावा किसी ने अनुरोध नहीं किया है.
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