भारत ही नहीं दुनिया भर के देशों में कारोबारी साल 1 अप्रैल से शुरू होता है. अर्थ जगत के लिए ये बेहद खास दिन होता है. क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है और इसके पीछे की क्या खास वजह है जिस कारण दुनिया में एक अप्रैल की तारीख को कारोबारी साल के लिए अपनाया जबकि नया साल एक जनवरी से शुरू होता है.
साल 1867 से हुई थी इसकी शुरुआत
आपको बता दें कि सिर्फ भारत ही नहीं कई अन्य देशों में भी एक अप्रैल से ही कारोबारी साल मनाया जाता है. इसकी शुरुआत से अब तक ये परंपरा जारी है. कहा जाता है कि एकाउंटिंग का ग्रेगरियन कैलेंडर अपनाए जाने के बाद ब्रिटिश अप्रैल-मार्च के हिसाब से चलते थे. भारत में अप्रैल-मार्च वाला कारोबारी साल साल 1867 से शुरू हुआ. इससे पहले भारत में कारोबारी साल 1 मई से शुरू होता था और 30 अप्रैल को खत्म होता था.
कारोबारी साल एक अप्रैल से शुरू होने की वजह
ईस्ट इंडिया कंपनी ने कारोबारी साल को हिंदी कैलेंडर से मिलाया, क्योंकि 1 अप्रैल से हिंदू त्योहार वैशाख या बैसाख शुरू होता है. क्योंकि ब्रिटिश राज में ज्यादातर टैक्स खेती से जुड़े होते थे, ऐसे में सालाना बजट फसल की बुआई और कटाई को ध्यान में रखकर तय किया जाता था.
बदलाव की भी हुई कोशिश
कारोबारी साल पर गौर करने के लिए मई, 1984 में एल के झा कमेटी का गठन किया गया. कमेटी की सिफारिश थी कि अर्थव्यवस्था पर मानसून के असर की पड़ताल के बाद जनवरी से कारोबारी साल शुरू करने पर विचार किया जा सकता है. हालांकि इससे बदलाव नहीं आया. सरकार के पास इससे सहमत ना होने के कारण मौजूद थे. इस बदलाव से फायदे बेहद कम होने हैं. सामने आया कि टैक्स कानून और सिस्टम आदि को लेकर भी कई तरह की समस्याएं पेश आएंगी.
बता दें कि दुनिया में करीब 156 देश 1 जनवरी से 31 दिसंबर का कारोबारी साल मानते हैं. वहीं भारत समेत 33 देश 1 अप्रैल से 31 के बीच कारोबारी साल मानते हैं. जबकि 20 देश 1 जुलाई से 30 जून और 12 देश 1 अक्टूबर से 30 सितंबर के बीच कारोबारी साल मनाते हैं.
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