छात्रों ने गंवाई जान, लंबे आंदोलन के बाद ऐसे हुआ महाराष्ट्र का जन्म

जानिए- कैसे बना था महाराष्ट्र, आखिर क्या है इतिहास

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मुंबई मुंबई

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 1:27 PM IST

  • गुजरात- महाराष्ट्र पहले बॉम्बे स्टेट का हिस्सा थे
  • 1 मई 1960 को हुआ महाराष्ट्र का गठन
  • लंबे आंदोलन के बाद राज्य बना महाराष्ट्र

शिवाजी की कर्मभूमि और मराठाओं की जन्मभूमि महाराष्ट्र को भारत का सबसे महत्वपूर्ण राज्य माना जाता है. इन दिनों ये राज्य राजनीतिक माहौल को लेकर चर्चा में है. गुरुवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के 19वें मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. सीएम के रूप में उद्धव ठाकरे मुंबई के शिवाजी पार्क में आज शाम छह बज कर 40 मिनट पर शपथ लेंगे.

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कैसे बना महाराष्ट्र, क्या है इतिहास

महाराष्ट्र को स्थापित हुए 59 साल हो गए हैं. इसका गठन 1 मई 1960 को हुआ था. महाराष्ट्र के साथ गुजरात का भी स्थापना दिवस 1 मई को मनाया जाता है. कभी ये दोनों राज्य बॉम्बे स्टेट का हिस्सा थे. आपको बता दें, 1960 में गुजरात राज्य को बनाने के लिए महागुजरात आंदोलन (Mahagujarat Movement) चलाया गया था. वहीं संयुक्त महाराष्ट्र समिति का गठन महाराष्ट्र राज्य की मांग को लेकर हुआ  था. जिसके बाद 1 मई 1960 में भारत की तत्कालीन सरकार ने इन्हें दो हिस्सों में बांट दिया.

मराठी बोलने वाली जनसंख्या के लिए महाराष्ट्र राज्य का गठन किया और गुजराती बोलने वाली जनसंख्या के लिए गुजरात राज्य का गठन किया. वहीं दोनों राज्यों के गठन होने के बाद बॉम्बे (अब मुंबई) को लेकर दोनों राज्यों को बीच लड़ाई शुरू हो गई थी. जहां महाराष्ट्र के लोगों का कहना था कि मुंबई उनका हिस्सा होना चाहिए, क्योंकि वहां पर ज्यादातर लोग मराठी बोलते हैं. वहीं गुजरात के लोगों को कहना था कि मुंबई के विकास और तरक्की में उनका हाथ है ऐसे में मुंबई को गुजरात का हिस्सा होना चाहिए. अंत में मुंबई को महाराष्ट्र का हिस्सा घोषित किया गया था.

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आसान नहीं था गुजरात और महाराष्ट्र का बंटवारा

देश को आजादी 15 अगस्त 1947 में मिली. जिसके बाद महागुजरात आंदोलन को आजादी के बाद का सबसे बड़ा जन आंदोलन माना जाता है. गुजरात और महाराष्ट्र पहले बॉम्बे स्टेट का हिस्सा हुआ करते थे. जिसके बाद दोनों राज्यों के बंटवारें की मांग उठी और 1 मई, 1960 को भाषा के आधार पर दोनों राज्य का बंटवारा हो गया.

बंटवारे के लिए लंबे समय तक आंदोलन हुए, जिसमें कई छात्रों को इसकी कीमत जान देकर चुकानी पड़ी थी. गुजरात को अलग करने के लिए जो आंदोलन चलाया गया था उसे "महागुजरात आंदोलन" से जाना जाता है. ये आदोलन 8 अगस्त 1956 को शुरू हुआ था जिसके बाद महाराष्ट्र और गुजरात के बंटवारे के  साथ 1 मई 1960 को समाप्त हो गया था.

कैसे उठी गठन की मांग

महाराष्ट्र और गुजरात का बंटवारा मुख्य रूप से भाषा के आधार पर हुआ. जहां मराठी बोलने वाले को महाराष्ट्र और गुजराती बोलने वाले को  गुजरात दिया गया. गुजरात के शिल्पकार थे इंदुलाल याग्निक, जिन्हें प्यार से इंदूचाचा के नाम जाता था. बॉम्बे स्टेट के तत्कालीन चीफ मिनिस्टर बी जी खेर और तत्कालीन गृह मंत्री मोराजी देसाई ने एक बार गुजरात के एक जिले, जिसका नाम नाम है डांग है वहां का दौरा किया. ये बात 1949 की है.

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वहां पर पहुंचकर बी जी खेर ने कहा था कि डांग के आदिवासी लोग मराठी बोलते थे ऐसे में इस भाषा के विकास पर जोर देना चाहिए. उनके इस बयान से गुजरातियों ने खुद को ठगा हुआ महसूस किया. जिसके बाद इंदुलाल याग्निक और अन्य ने इसकी जांच करने के लिए डांग का दौरा किया. गुजराती सभा ने सरकार को एक समिति भी भेजी थी. समिति ने  बताया कि डांग गुजरात से अधिक संबंधित है.

दिसंबर 1953 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भाषाई राज्यों के निर्माण पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए 'राज्य पुनर्गठन  आयोग'  (States  Reorganisation  Commission- SRC) की नियुक्ति  की. आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति रहे फजल अली ने की थी इसलिए इसे फजल अली आयोग कहा गया था. आयोग ने 1955 में भारत के  राज्यों के पुनर्गठन की सूचना दी थी.

SRC ने भाषाई आधार पर राज्यों का गठन  करने पर विचार किया लेकिन सिफारिश की कि बॉम्बे राज्य एक द्विभाषी राज्य के रूप में रहना  चाहिए. सौराष्ट्र राज्य और कच्छ राज्य, मध्य प्रदेश के नागपुर डिवीजन के मराठी भाषी जिलों और हैदराबाद के मराठावाड़ा क्षेत्र के अलावा इसका विस्तार किया गया था. बॉम्बे राज्य के दक्षिणी जिलों को मैसूर राज्य में शामिल किया गया था. तो इसके उत्तर में गुजराती भाषी आबादी और दक्षिणी हिस्सों में मराठी भाषी आबादी थी.

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गुजराती और मराठी दोनों लोगों ने एसआरसी की सिफारिश का विरोध किया और अलग-अलग भाषाई राज्यों की जोरदार मांग की. स्थिति जटिल हो गई क्योंकि दोनों अपने आर्थिक और महानगरीय मूल्यों के कारण बॉम्बे शहर (अब मुंबई) को अपने राज्यों में शामिल करना चाहते थे. जवाहरलाल नेहरू ने भी तीन राज्यों के गठन का सुझाव दिया था; महाराष्ट्र, गुजरात  और केन्द्र शासित शहर-राज्य बंबई. आपको बता दें, गुजरात राज्य की मांग के लिए  महागुजरात जनता परिषद (एमजीजेपी) नाम से  एक पार्टी का गठन किया था.

महागुजरात जनता परिषद ने 9 सितंबर, 1956  को एक मीटिंग का आयोजन किया था. इस  मीटिंग में अलग गुजरात राज्य की मांग के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन छेड़ने का फैसला लिया गया था. उसी आंदोलन का परिणाम था कि आखिर 1 मई, 1960 को गुजरात एक अलग  राज्य बना.

जब शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन, गई छात्रों की जान

महाराष्ट्र और गुजरात के बंटवारे के लिए बंबई  और अन्य मराठी भाषी जिलों में विरोध प्रदर्शन  शुरू हो गया, जिसे बाद में अलग राज्य के रूप में संयुक्ता महाराष्ट्र आंदोलन (Samyukta  Maharashtra Movement) के रूप में जाना गया. आपको बता दें, बंबई राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोरारजी देसाई इसके खिलाफ थे. वहीं बी जी खेर और मोरारजी देसाई के बयान के बाद कॉलेज के छात्र भड़के हुए थे. जिसके बाद उन्होंने गुजरात राज्य को अलग करने की जिद पकड़  ली.

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8 अगस्त, 1956 को, अहमदाबाद के कुछ कॉलेज के छात्र अलग राज्य की मांग करने के लिए अहमदाबाद स्थित कांग्रेस हाउस गए. जहां वह मोरारजी देसाई से मिलना चाहते थे. वहीं मोरारजी देसाई ने उनकी मांगों को पूरी तरह  से नजरअंदाज कर दिया था. वहीं छात्रों को  खिलाफ पुलिस कार्रवाई का आदेश भी दे दिया. पुलिस कार्रवाई के दौरान 5 से 8 छात्रों की जान चली गई. इस घटना के बाद राज्य भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ. आपको बता दें, छात्रों के इस आंदोलन को 'खाम्बी सत्याग्रह' के  नाम से जाना जाता था.

महागुजरात आंदोलन की बीज बोने वाले इंदुलाल याग्निक यानी इंदुचाचा थे. वह अपनी आखिरी  सांस तक राज्य के मार्गदर्शक बने रहे. इस घटना के बाद इंदुलाल याग्निक ने राजनीति से अपने संन्यास से बाहर आ गए और आंदोलन का मार्गदर्शन करने के लिए महागुजरात जनता परिषद की स्थापना की.

इंदुलाल याग्निक और दिनकर मेहता, धनवंत श्रॉफ सहित कई प्रदर्शनकारियों को कुछ दिनों के लिए अहमदाबाद के गायकवाड़ हवेली में गिरफ्तार किया गया और बाद में साबरमती सेंट्रल जेल में साढ़े तीन महीने के लिए कैद कर लिया गया था. विरोध प्रदर्शन राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल  गया, जिसने मोरारजी देसाई को सप्ताह भर के छुट्टी पर भेज दिया गया था. इस दौरान लोगों की प्रदर्शन जारी रहा.

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ये संघर्ष मुंबई और डांग के बीच था. जिसे चर्चा  के माध्यम से हल किया गया था. गांधीवादी  कार्यकर्ता घेलुभाई नायक ने गुजरात में डांग के  उपयोग के लिए सक्रिय रूप से पैरवी की. जिसके  बाद मुंबई महाराष्ट्र गया और डांग गुजरात गया. तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, उप-राष्ट्रपति  सर्वपल्ली राधाकृष्णन और प्रधानमंत्री जवाहरलाल  नेहरू ने लंबे समय तक आंदोलन के बाद दो नए भाषाई राज्यों के गठन पर सहमति व्यक्त की. 1 मई 1960 को, दो नए राज्य, गुजरात और  महाराष्ट्र बनाए गए.

आंदोलन की सफलता पर महागुजरात जनता परिषद को भंग कर दिया गया. पहली सरकार का गठन जीवराज नारायण मेहता के तहत किया  गया था जो गुजरात के पहले मुख्यमंत्री बने थे.

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