चौधरी चरण सिंह: 5 महीने के भीतर देना पड़ा प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा, ये थी वजह

चरण सिंह ने लोकसभा का सामना किए बिना ही प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.

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former prime minister charan singh former prime minister charan singh

अनुज कुमार शुक्ला

  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:08 PM IST

भारत के 5वें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की आज 115वीं जयंती है. उनका जन्म 23 दिसंबर, 1902 को यूनाइटेड प्रोविंस के नूरपुर गांव में, जो अब उत्तर प्रदेश है, हुआ था. वो सन 1937 में विधानसभा के सदस्य चुने गए थे.

जानें उनके बारे में....

- चरण सिंह का जन्म एक जाट परिवार में हुआ था. उनके पिता किसान थे. वह एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे.

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- गरीबी के बावजूद उन्होंने पढ़ाई को पहला दर्जा दिया. उनके परिवार का संबंध 1857 की लड़ाई में हिस्सा लेने वाले राजा नाहर सिंह से था.

- आगरा यूनिवर्सिटी से कानून की शिक्षा लेकर 1928 में चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद में वकालत प्रारम्भ की.- वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनका विवाह गायत्री देवी से हुआ.

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- चौधरी चरण सिंह किसानों के नेता माने जाते रहे थे. उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था.

- किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया. 3 अप्रैल 1967 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. जिसके बाद 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया.

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- मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस के सहयोग से प्रधानमंत्री बने.

- साल 1977 में वो केंद्र सरकार में उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बने. वह आजादी की लड़ाई और आपातकाल में जेल में रहे. चौधरी चरण सिंह ने हमेशा वही किया जो वह चाहते थे.

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...जब देना पड़ा प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा

बात उस समय की है, जब इंदिरा गांधी ने एक महीने के भीतर ही चरण सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. यह राजनीति की हैरान करने वाली घटना थी. साथ ही दूसरी घटना यह हुई कि चरण सिंह ने संसद का सामना किए बिना प्रधानमंत्री पद से हट गए. बड़े नेताओं की राजनीतिक उच्चाकांक्षा के कारण जनता पार्टी में टूट के बाद 15 जुलाई, 1979 को मोरारजी देसाई ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

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कांग्रेस और सीपीआई के समर्थन से जनता (एस) के नेता चरण सिंह 28 जुलाई, 1979 को प्रधानमंत्री बने. राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने निर्देश दिया था कि चरण सिंह 20 अगस्त तक लोकसभा में अपना बहुमत साबित करें. पर इस बीच इंदिरा गांधी ने 19 अगस्त को ही यह घोषणा कर दी कि वह चरण सिंह सरकार को संसद में बहुमत साबित करने में साथ नहीं देगी. नतीजतन चरण सिंह ने लोकसभा का सामना किए बिना ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया. राष्ट्रपति ने 22 अगस्त, 1979 को लोकसभा भंग करने की घोषणा कर दी. लोकसभा का मध्यावधि चुनाव हुआ और इंदिरा गांधी 14 जनवरी, 1980 को प्रधानमंत्री बन गईं.

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