CBSE ने कहा- स्कूलों में रोजाना एक पीरियड खेल के लिए होगा जरूरी

बोर्ड ने करीब 150 पेज का मैनुअल तैयार किया है और स्कूलों का कहा है कि स्टूडेंट्स कुछ देर के लिए मैदान में जरूर जाएं.

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प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

प्रियंका शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 8:59 AM IST

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने स्कूलों के लिए गाइडलाइंस जारी करते हुए कहा है कि अब स्कूलों में हर दिन खेल का एक पीरियड अनिवार्य होगा ताकि छात्रों की बैठे रहने की आदत में बदलाव आए और उनकी शारीरिक सक्रियता बनी रहें.

क्यों लिया गया फैसला

सीबीएसई का मानना है कि मौजूदा समय में लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं, ऐसे में स्टूडेंट्स को स्कूल में रोज खेलने दिया जाए. आपको बता दें, बोर्ड ने करीब 150 पेज का मैनुअल तैयार किया गया है और स्कूलों को कहा है कि स्टूडेंट्स कुछ देर के लिए मैदान में जरूर जाएं.

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वहीं जो स्टूडेंट्स लंच टाइम में क्लासरूम में ही बैठे रहते हैं टीचर्स उन्हें क्लासरूम से बाहर प्लेग्राउंड में भेजें ताकि उनकी क्लास में बैठने की आदत छूट जाए. बोर्ड ने कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद भी बहुत जरूरी है और स्कूलों को बोर्ड द्वारा तैयार की गई स्पोर्ट्स गाइडलाइंस को फॉलो करना होगा. स्टूडेंट्स को उनकी लाइफस्टाइल में बदलाव के लिए प्रेरित किया जाए.

मिलेंगे ग्रेड

सीबीएसई के नए नियमों के मुताबिक स्कूलों में सभी क्लास के लिए हर दिन स्पोर्ट्स का पीरियड होना भी जरूरी है. स्पोर्ट्स पीरियड के दौरान स्टूडेंट्स को खेल के मैदान में जाना होगा और वह किसी भी गेम को खेल सकते हैं. स्टूडेंट्स को ग्रेड उनके खेले जाने पर गेम के आधार पर ही दिया जाएगा.

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9th से 12th तक जरूरी होगी हेल्थ एंड फिजिकल एजुकेशन

बोर्ड ने 150 पेज का मैनुअल में 9वीं से 12वीं तक की क्लासेज के लिए खेल संबंधी दिशानिर्देशों और उनके क्रियान्वयन का विवरण दिया गया है. वहीं कहा गया है स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा पर आधारित इन दिशा-निर्देशों के अनुसार स्कूलों में अब हर दिन स्पोर्ट्स का एक पीरियड (क्लास) रखना जरूरी होगा. वहीं पीरियड के दौरान सभी स्टूडेंट्स को खेल के मैदान में जाना होगा. जहां वह अपनी पसंद से कोई सा भी खेल सकते हैं. बोर्ड का कहना है कि 9वीं से 12वीं तक की क्लासेज में हेल्थ एंड फिजिकल एजुकेशन को मुख्यधारा में लाने का फैसला किया गया है ताकि स्टूडेंट्स की बैठे रहने की जीवन शैली में बदलाव आए और उनकी शारीरिक सक्रियता बनी रहे.

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