BHU में स्टूडेंट को पढ़ाई जाएगी 'भूत विद्या', जानिए- कैसा होगा कोर्स

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अब स्टूडेंट्स को भूत विद्या पढ़ाई जाएगी. जानिए इस कोर्स करने वाले स्टूडेंट्स को क्या सिखाया जाएगा.

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बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 7:14 PM IST

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अब स्टूडेंट्स को भूत विद्या पढ़ाई जाएगी. जानिए इस कोर्स में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को क्या सिखाया जाएगा.

भूतों को लेकर आज भी लोगों में बहुत उत्सुकता रहती है. लोग आज भी भूतों की अप्राकृतिक रूप से रहस्यमयी दुनिया की हैरतअंगेज बातों को जानना चाहते हैं. अगर आप भी रहस्यमयी दुनिया के राज सुलझाना चाहते हैं तो आप बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में 'भूत विद्या' या 'साइंस ऑफ पैरानॉर्मल' का अध्ययन कर सकते हैं, जो इस विषय पर छह महीने का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू कर रहा है.

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बता दें कि भूत विद्या एक मनोचिकित्सा है और छह महीने के सर्टिफिकेट कोर्स में, डॉक्टरों को मनोचिकित्सा संबंधी विकारों और असामान्य कारणों से होने वाली असामान्य मनोवैज्ञानिक स्थितियों के इलाज के लिए उपचार और मनोचिकित्सा के बारे में बताया जाएगा, जिसे कई लोग भूत की वजह से होना मानते हैं.

जनवरी से शुरू होगी पढ़ाई

पहले बैच की कक्षा जनवरी से शुरू होगी और आयुर्वेद संकाय द्वारा संचालित की जाएगी. बता दें कि 'भूत' के कारण होने वाले मानसिक विकारों और बीमारियों का उपचार बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) और बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) डिग्री धारकों को सिखाया जाएगा.

आयुर्वेद संकाय की डीन यामिनी भूषण त्रिपाठी ने IANS को बताया कि ब्रांच के बारे में डॉक्टरों को औपचारिक शिक्षा प्रदान करने के लिए आयुर्वेद संकाय में भूत विद्या की एक अलग इकाई बनाई गई है.

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उन्होंने कहा कि ये भूत-संबंधी बीमारियों और मानसिक विकारों के इलाज के आयुर्वेदिक उपचार से संबंधित है. त्रिपाठी ने आगे कहा कि भूत विद्या अष्टांग आयुर्वेद की आठ बुनियादी शाखाओं में से एक है. ये मुख्य रूप से मानसिक विकारों, अज्ञात कारणों और मन या मानसिक स्थितियों के रोगों से संबंधित है. बीएचयू में आयुर्वेद संकाय, भूत विद्या की एक अलग इकाई बनाने और विषय पर एक सर्टिफिकेट कोर्स डिजाइन करने वाला देश का पहला संकाय है.

इस आयुर्वेद शाखा के लिए छह महीने पहले एक अलग इकाई स्थापित करने के प्रयास शुरू हुए थे. संकाय में सभी 16 विभागों के प्रमुखों की बैठक के बाद इस प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया गया था.

फिर ये प्रस्ताव विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद को भेजा गया, जिसने अष्टांग आयुर्वेद की बुनियादी शाखाओं में से एक पर एक अलग इकाई और एक प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम को मंजूरी दी.

संकाय में एसोसिएट प्रोफेसर आयुर्वेद वैद्य सुशील कुमार दुबे ने कहा कि नई इकाई भूत विद्या से संबंधित विभिन्न चीजों के अध्ययन में मदद करेगी, जो पूरी तरह से आयुर्वेदिक तरीके से मनोवैज्ञानिक विकारों और असामान्य मानसिक स्थिति से संबंधित है.

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