उर्दू के मशहूर शायर अनवर जलालपुरी का देहांत हो गया है. वह करीब 70 वर्ष के थे. शायरी की दुनिया में आने से पहले जलालपुरी अनवर अहमद के नाम से जाने जाते थे. वो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आंबेडकर नगर जिले के जलालपुर कस्बे के थे. उन्हें मुशायरों की सबसे मशहूर हस्तियों में शुमार किया जाता है.
पढ़ें उनकी यादगार शायरी..
अब नाम किसी शख़्स का रावन न मिलेगा"
"चाहो तो मेरी आंखों को आईना बना लोदेखो तुम्हें ऐसा कोई दर्पन न मिलेगा"
नहीं रहे मशहूर शायर अनवर जलालपुरी, गीता का उर्दू में किया था अनुवाद
"कोई पूछेगा जिस दिन व़ाकई ये ज़िदगी क्या हैज़मीं से एक मुट्ठी ख़ाक ले कर हम उड़ा देंगे"
"मेरा हर शेर हक़ीक़त की है ज़िंदा तस्वीरअपने अशआर में क़िस्सा नहीं लिख्खा मैंने"
"न जाने क्यूं अधूरी ही मुझे तस्वीर जचती हैमैं काग़ज़ हाथ में लेकर फ़क़त चेहरा बनाता हूं"
नहीं रहे अनवर जलालपुरी, मुशायरों में जिनकी नहीं ले सकता कोई जगह
"सभी के अपने मसाइल सभी की अपनी अनापुकारूं किस को जो दे साथ उम्र भर मेरा"
"मैंने लिख्खा है उसे मरियम ओ सीता की तरहजिस्म को उस के अजंता नहीं लिख्खा मैंने"
शेक्सपियर ने भी जरूर पढ़ी होगी गीता: अनवर जलालपुरी
"मुसलसल धूप पर चलना चरागों की तरह जलनाये हंगामे तो मुझ को वक्त से पहले थका देंगे"
अनुज कुमार शुक्ला