IAS या IFS, किसका रुतबा ज्यादा? टॉपर मयूर की च्वाइस से समझ‍िए दोनों में अंतर

यूपीएससी सिविल सेवा की तैयारी कर रहे ज्यादातर उम्मीदवारों की पहली च्वाइस भारतीय विदेश सेवा (IFS) के बजाय भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) होती है. इस साल यूपीएससी के पांचवीं रैंक के टॉपर मयूर हजारिका ने जब अपने इंटरव्यू में कहा कि वो आईएफएस बनना चाहते हैं तो कई लोगों के मन में ये सवाल उठने लगे कि आख‍िर क्यों, आईएएस नहीं आईएफएस बनना चाहते हैं मयूर, समझें.

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यूपीएससी 5वीं रैंक के टॉपर मयूर हजारिका यूपीएससी 5वीं रैंक के टॉपर मयूर हजारिका

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 24 मई 2023,
  • अपडेटेड 4:02 PM IST

मंगलवार को घोष‍ित यूपीएससी एग्जाम में असम के मयूर हजारिका ने 5वीं रैंक हासिल की है. यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा 2022 में मयूर ने पुरुषों में टॉप किया है. वो टॉप 4 में लड़कियों के बाद पांचवें नंबर पर हैं. मयूर भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) में जाने की इच्छा रखते हैं, उन्होंने अपनी च्वाइस में IFS को ही प्राथमिकता में रखा था. 

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अब चीजें और बेहतर होंगी: मयूर
न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में मयूर ने बताया कि उन्हें ऑल इंडिया 5वीं रैंक हासिल करके काफी खुशी हो रही है. उन्होंने उम्मीद नहीं की थी कि वह टॉप टेन में आएंगे.अपने रिजल्ट से काफी खुश हूं. उन्होंने कहा कि मैंने इतनी अच्छी रैंक की उम्मीद नहीं की थी. उन्होंने बताया कि मेरी प्राथमिकता भारतीय विदेश सेवा है, लेकिन अब देखते हैं कि किस तरह से चीजें और बेहतर होती हैं. इसका ये अर्थ भी लगाया जा सकता है कि उन्होंने भले ही प्राथमिकता में आईएफएस अफसर भरा हो लेकिन अब इतनी अच्छी रैंक आने के बाद शायद वो अपनी च्वाइस बदल लें. 

क्यों आईएएस को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं अभ्यर्थी
अब सवाल यह उठता है कि समान रैंक में चयन के बावजूद क्यों उम्मीदवार आईएफएस से ज्यादा आईएएस को प्राथमिकता देते हैं.दोनों ही रैंक आईएएस और आईएफएस समान प्रतिष्ठा के हैं, फिर भी यूपीएससी परीक्षा के टॉपर्स भी आमतौर पर विदेश सेवा में जाने का विकल्प नहीं चुनते हैं. इसके पीछे आख‍िर क्या वजह होगी, क्या भारत में एक सिविल सर्वेंट का जीवन एक राजनयिक की तुलना में अधिक आकर्षक है? 

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राजनयिक का जीवन 
लोगों में ये आम धारणा होती है कि एक राजनयिक का जीवन बेहद शानदार ढंग से विदेशों में पोस्ट‍िंग में बीतता है. उन्हें नौकर चाकर और भव्य रेजिडेंस तमाम सुविधाएं मिलती हैं. इसमें से काफी मान्यताएं सही हैं, ज्यादा भत्तों को देखें तो IFS अधिकारियों को सुविधाएं और वेतन आईएएस अफसर से ज्यादा ही मिलता है. यही नहीं उन पर तमाम तरह के राजनीतिक दबाव न के बराबर होते हैं. 

आईएएस या आईएफएस? 
देखा जाए तो रैंक के लिहाज से आईएफएस अफसर बनने के लिए भी टॉप रैंकर्स को ही चुना जाता है. लेकिन आईएएस और आईपीएस सिर्फ च्वाइस का विषय होता है. दोनों ही सेवाओं में उम्मीदवार से पहली उम्मीद यह लगाई जाती है कि वो देश की सेवा करे. लेकिन आईएएस की च्वाइस के पीछे सबसे बड़ी बात होती है देश में रहकर यहां काम करने की. फॉरेन सर्विस में राजदूत या डिप्लोमेट्स के पदों पर हमेशा देश से बाहर ही सेवाएं देनी होती हैं. ऐसे में अभ्यर्थी टॉप रैंक में भी इसका चयन कम करते हैं. लेकिन पॉवर में दोनों से किसी भी रैंक का रुतबा कम नहीं है. 

 

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