Tips to overcome your fear of public speaking: लोगों के सामने अपनी बात रख पाना हर किसी के लिए आसान नहीं होता है. कई लोगों को अपनी बात जाहिर करने में भी घबराहट होती है. हालांकि कुछ लोगों के लिए ये आसान भी होता है. लेकिन स्कूल-कॉलेज हो या जॉब... अपने आपको जाहिर करना, अपनी बात रखना या प्रेजेंटेशन और स्पीच देना हमें जिंदगी में ऊंचाई तक पहुंचा सकता है. कई जगह पर प्रेजेंटेशन या स्पीच देना जरूरी भी होता है, जिसके बिना आपका काम नहीं चल सकता. तो आइये जानते हैं कैसे प्रेजेंटेशन या स्पीच देने में होने वाली घबराहट से बचा जा सकता है.
स्टडी करना: किसी भी विषय पर बोलने के लिए आपको उसके बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है. बिना जानकारी या कम ज्ञान के आत्मविश्वास नहीं लाया जा सकता. इसके अलावा अपने विषय से जुड़े सवाल-जवाब देने में भी आपको आसानी होगी.
अपनों के सामने बोलें: पूरी जानकारी होने के बाद भी अगर आपको घबराहट है तो इसके लिए आपको प्रैक्टिस की जरूरत है. प्रैक्टिस के जरिए सबके सामने बोलने वाली घबराहट को दूर किया जा सकता है. इसके लिए अपनों से शुरुआत की जा सकती है. परिवार या दोस्तों के सामने बोलने की प्रैक्टिस करें और अपनी कमियों पर गौर करें.
शीशे के सामने बोलें (Mirror Practice): प्रैक्टिस के लिए शीशे का इस्तेमाल बेहद कारगार साबित होता है. इसके लिए आप शीशे के सामने खड़े हों और अपनी स्पीच या प्रेजेंटेशन दें. इससे आप अपने आपको फेस कर पाएंगे और कॉन्फिडेंस हासिल कर सकेंगे.
रिकॉर्ड करके सुनें: स्पीच या प्रेजेंटेशन के लिए अक्सर माइक का इस्तेमाल होता है. माइक पर अपनी आवाज सुन पाने के लिए भी प्रैक्टिस की जरूरत होती है. कई लोग अपनी आवाज सुन नहीं पाते. इसके लिए जरूरी है कि आवाज को रिकॉर्ड करके सुना जाए और उसके उतार चढ़ाव पर गौर करके उनमें सुधार किया जा सके.
अपनी पसंद का टॉपिक चुनें: पब्लिक के सामने बेलने के नाम से ही कई तरह के सवाल दिमाग में आने लगते हैं. क्या बोलना चाहिए, किसी ने कुछ पूछ लिया जो क्या जवाब दिया जाएगा. जवाब सही न पता हो तो क्या होगा. इन सब सवालों से घबराहट होती है जिससे बचने के लिए टॉपिक का चुनाव ऐसा करें जिस पर आप खुलकर बोल सकते हों, जिसके बारे में आपको जरूरी जानकारी हो. इससे घबराहट से काफी बचा जा सकता है.
दर्शकों पर न दें ध्यान: प्रेजेंटेशन या स्पीच देते समय लोगों पर ध्यान देने से बचना चाहिए. हमारा फोकस अपने विषय पर होना चाहिए. हम क्या बोल रहे हैं, कितना समझा पा रहे हैं और इस दौरान हमारे एक्स्प्रेशन कैसे हैं, हमारा ध्यान इस पर होना चाहिए.
ज्यादा बोलने से बचें: प्रेजेंटेशन या पब्लिक स्पीच के दौरान ज्यादा बोलने से बचना चाहिए. इसकी वजह ये है कि जब हम ज्यादा बोलने की कोशिश करते हैं तो हड़बड़ाहट होती है, जिसके वजह से हम जल्दी जल्दी बोलना चाहते हैं. इन सबमें हम सांस कम ले पाते हैं और कम सांस ले पाने की स्थिति में एग्जाइटी होती है, जो हमारी आगे की स्पीच को बिगाड़ सकती है.
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