जिंदगी तरह-तरह के पहलुओं से होकर गुजरती है. इसमें कई बार वो दौर भी आता है, जब हमारा अपने ऊपर से ही यकीन उठ जाता है. ये स्थिति सबसे बुरी इसलिए होती है क्योंकि इसमें हम कुछ भी चाहने या करने की कोशिश को खो देते हैं. खुद से प्यार और खुद पर भरोसा करना अपने आपको स्वीकारना और मानना है. यह एक सकारात्मक और स्वस्थ मानसिक स्थिति है, जिसमें आप अपने आपसे प्रेम करते हैं, अपने गुणों को स्वीकार करते हैं और खुद पर भरोसा रखते हैं. इसका मतलब है कि आप अपनी देखभाल करते हैं और अपने सपनों के लिए मेहनत करते हैं. आज हम आपको ऐसे गुण बता रहे हैं जो आपको खुद पर प्यार और भरोसा दिलाने में मदद करते हैं.
अपने आपको इस दुनिया का सबसे जरूरी इंसान समझें
सबसे ज्यादा जरूरी है खुद को महत्व देना और अपनी एहमियत को समझना. संवेदनशीलता, सपने, अभिलाषाएं और योग्यताएं ही आपको एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बनाती हैं. संघर्ष, सफलता और खुशी के लिए खुद को महत्वपूर्ण बनाने की जरूरत होती है. आपकी वास्तविकता इस बात पर निर्भर करती है कि आप खुद से कितना प्यार करते हैं और अपना कितना ख्याल रखते हैं. आप जिस तरह का जीवन जीते हैं, उसे आकार देने में आपका अपने आपसे संबंध सबसे अधिक प्रेरित करने वाला कारक है.
हर दिन की आदतों से शुरू होता है खुद से प्यार करना
अब सोचिए कि आप अपने साथ कैसा व्यवहार करते हैं? क्या आप अपने आपको वह प्यार और सम्मान देते हैं जो आप अपने करीबी दोस्तों या अन्य महत्वपूर्ण लोगों को दे सकते हैं? क्या आप अपने शरीर, अपने दिमाग और अपनी जरूरतों का ख्याल रखते हैं? कुछ आदतों के जरिए आप अपने दैनिक जीवन में अपने शरीर और मन को आत्म-प्रेम दिखा सकते हैं, जैसे- ठीक से सोना, स्वस्थ खाना, अपनी आध्यात्मिकता को समझने के लिए खुद को समय और स्थान देना, नियमित व्यायाम करना, अपने आपको और अपने आसपास के लोगों को धन्यवाद देना, जब खेलने की जरूरत लगे तो खेलना. इस पर गौर करें कि आप इनमें से कितनी आंदतों को अपना रहे हैं.
वर्कआउट करने की आदत डालें
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन (APA) के अनुसार, वर्कआउट शुरू करने के लगभग पांच मिनट बाद आमतौर पर तुरंत मूड-बढ़ाने वाला प्रभाव होता है. जब लगातार व्यायाम किया जाता है, तो यह चिंता की भावनाओं को कम करने में मदद कर सकता है और बदले में आपको आत्मविश्वास की स्वस्थ भावना बनाए रखने में मदद कर सकता है.
अपनी भावनाओं को बिना जज किए स्वीकार करें
जब भी हम किसी असहज भावना का अनुभव करते हैं, जैसे उदासी, भय या क्रोध, तो हमारी पहली प्रवृत्ति इसे अनदेखा करना या इसे अस्वीकार करना या इसे दूर धकेलना है. हालांकि, जब हम अपनी भावनाओं को अस्वीकार करते हैं, तो हम वास्तव में चीजों को बदतर बना सकते हैं. भावनाएं हमें हमारी लाइफ की उपयोगी जानकारी देती हैं. अगर आप अपनी सभी भावनाओं को स्वीकार कर पाते हैं, तो आप खुद को और अधिक आसानी से प्यार करने में सक्षम होंगे.
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