जानिए- क्यों यूपी के स्कूलों में लागू होगा नीदरलैंड का अर्ली वॉर्निंग सिस्टम? इसकी खासियत जानिए

नीदरलैंड के अर्ली वार्निंग सिस्टम को लेकर काफी चर्चा हो रही है. इस सिस्टम को समझकर फिर वृहद रूप से यूपी के सरकारी स्कूलों में लागू करने की तैयारी की जा रही है. इसे समझने के  मकसद से प्रदेश सरकार के मंत्री और श‍िक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों की टीम नीदरलैंड जाएगी. 

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प्रतीकात्मक फोटो (Getty) प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

aajtak.in

  • लखनऊ/नई दिल्ली ,
  • 20 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के हाउसहोल्ड सर्वे की रिपोर्ट आ चुकी है. इसके अनुसार 2020-21 में 4.81 लाख, 2021-22 में 4 लाख से अधिक और 2022-23 में 3.30 लाख बच्चों ने बीच में स्कूल छोड़ दिया. ड्रॉप आउट हुए 6 से 14 साल की उम्र वाले इन बच्चों का दोबारा स्कूल में दाखिला कराया गया है, वहीं यूपी सरकार ड्रॉप आउट रोकने के लिए नीदरलैंड का मॉडल लागू करने की तैयारी में है. 

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इस ड्रॉप आउट में लगाम लगाने के लिए नीदरलैंड के अर्ली वार्निंग सिस्टम को लेकर काफी चर्चा हो रही है. इस सिस्टम को समझकर फिर वृहद रूप से यूपी के सरकारी स्कूलों में लागू करने की तैयारी की जा रही है. इसे समझने के  मकसद से प्रदेश सरकार के मंत्री और श‍िक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों की टीम नीदरलैंड जाएगी. 

एजेंसी की खबर के मुताबिक ये दौरा मार्च महीने में प्रस्तावित है. सिस्टम को पूरी तरह समझकर टीम के वापस आने के बाद इसे प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में लागू करने के लिए पूरी कवायद क‍ी जाएगी. ऐसा अनुमान है कि इसी साल के अंत तक इस सिस्टम के माध्यम से स्कूल बीच में छोड़ने वाले बच्चों की मॉनीटरिंग और ट्रैकिंग शुरू कर दी जाएगी. 

अर्ली वार्निंग सिस्टम है क्या? 

दरअसल नीदरलैंड के एजुकेशन मॉडल के अनुसार अर्ली वार्निंग सिस्टम बच्चों को लेकर सजग रहने के लिए तैयार किया गया है. इस सिस्टम के अनुसार स्कूल लगातार 40 दिनों तक अब्सेंट रहने वाले बच्चे की ट्रैकिंग शुरू कर देता है. स्कूल इसके लिए बच्चे के अभिभावकों से सम्पर्क करता है. स्कूल उन सभी वजहों का पता लगाता है कि आख‍िर बच्चा स्कूल क्यों नहीं आ रहा. कारण पता लगने के बाद इन बच्चों को स्कूल वापस लाने के लिए टीम गठित की जाती है.

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ये टीम अपनी सारी कोश‍िश करती है कि बच्चे की समस्या का निदान हो और उसे किसी तरह स्कूल आने का मौका मिले. अनुमान है कि नीदरलैंड के इस सिस्टम से स्कूलों में अनुपस्थित रहने वाले बच्चों को स्कूल वापस लाने में मदद मिलेगी. कहा जा रहा है कि अर्ली वार्निंग सिस्टम अपनाने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बनेगा. 

स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा कि नीदरलैंड के अर्ली वार्निंग सिस्टम की तर्ज पर यूपी के परिषदीय स्कूलों में भी अनुपस्थित रहने वाले बच्चों या जो आउट ऑफ स्कूल हैं, सभी बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रयास होंगे. निर्धारित दिनों तक स्कूल न आने या स्कूल में कम समय देने वाले बच्चों की जानकारी जुटाई जाएगी. महनिदेशक ने कहा कि 40 दिन तक अगर कोई बच्चा विद्यालय में अनुपस्थित रहता है तो तुरंत उसकी ट्रैकिंग शुरू हो जाएगी. 

 

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