बीटेक छात्र गोमती तट पर चला रहे फ्री तकनीकी पाठशाला, गरीब बच्चों को दे रहे नई उम्मीद

इस स्कूल में पढ़ने वाले गरीब छात्र-छात्राओं को सुल्तानपुर के कमला नेहरू प्रद्योगिकी संस्थान के इंजीनियरिंग छात्रों ने नई राह दिखाई है. करीब डेढ़ दशक पहले, शिक्षा की रोशनी से दूर परिवारों के लिए, उम्मीदों की लौ जलाने वाले इंजीनियर छात्रों का कारवां बढ़ता जा रहा है. देखिए ये खास रिपोर्ट...

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इंजीन‍ियरिंग छात्र द‍िखा रहे नई राह इंजीन‍ियरिंग छात्र द‍िखा रहे नई राह

नितिन श्रीवास्तव

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  • 17 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:03 PM IST

यूपी के सुल्तानपुर में बीटेक के छात्रों द्वारा गोमती नदी के तट पर चलाई जा रही निशुल्क तकनीकी पाठशाला इन दिनों नई इबादत लिख रही है. यहां पढ़ने वाले गरीब छात्र छात्राओं को कमला नेहरू प्रद्योगिकी संस्थान के इंजीनियरिंग छात्रों ने नई राह दिखाई है. करीब डेढ़ दशक पहले, शिक्षा की रोशनी से दूर परिवारों के लिए, उम्मीदों की लौ जलाने वाले इंजीनियर छात्रों का कारवां बढ़ता जा रहा है. देखिए ये खास रिपोर्ट...

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दरअसल ये मामला है नगर के कस्बा स्थित कमला नेहरू प्रद्योगिकी संस्थान के पास का, जहां आज पास के गांव के सैकड़ों गरीब बच्चे प्रतिदिन गोमती नदी के किनारे इसी मैदान पर एकत्रित होते हैं. जिन्हें कमला नेहरू संस्थान में अध्ययनरत इंजीनियरिंग के छात्र निःशुल्क शिक्षा तो देते ही हैं, साथ ही उन्हें लेखन और शिक्षण सामग्री भी उपलब्ध करवाई जाती है. कक्षा एक से 10 तक के गरीब बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के साथ साथ उन्हें तकनीकी शिक्षा भी दी जाती है. एक दशक से ज्यादा समय हो गया, जब ये पहल शुरू की गई थी. आज ये ऐसी परंपरा-सी बन गई है कि सीनियर्स छात्र अपने जूनियर को जिम्मेदारी दे देते हैं और पिछले 13 वर्षों से गरीब बच्चों को निःशुल्क पढ़ाने का ये सिलसिला अनवरत चला आ रहा है. 

वैसे तो गरीब बच्चों के लिए यह करीब 13 वर्ष पूर्व शुरू हुआ. जब  कमला नेहरू प्रद्योगिकी संस्थान में पढ़ने वाले छात्र चेतन गिरी ने देखा कि यहां गोमती नदी के किनारे आस-पास के गांव में रहने वाले गरीब बच्चे पढ़ने के बजाय दिन भर इधर उधर घूमते रहते हैं. जिसके बाद चेतन ने इन गरीब बच्चों के माता-पिता को शिक्षा के प्रति जागरूक किया फिर उन बच्चो को एकत्रित कर प्रतिदिन शाम को उन्हें निःशुल्क पढ़ाना शुरू किया.

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चेतन को देखते देखते उनके अन्य इंजीनियर साथी भी इस मुहिम में शामिल हो गए. जिसके बाद इन बच्चों का आसपास के सरकारी स्कूलों में दाखिला करवाया गया. शुरुआत में 5 गरीब बच्चों से शुरू हुई ये पहल का कारवां अब बढ़ता जा रहा है. वर्तमान में इनकी संख्या करीब डेढ़ सौ पहुंच चुकी है. बहरहाल इन इंजीनियरिंग छात्रों की मेहनत का ही परिणाम है जो यहां के पढ़े हुए बच्चे नवोदय, पॉलीटेक्निक, सहित तमाम संस्थानों में प्रवेश पाए और वहां से निकलने के बाद सरकारी और गैरसरकारी संस्थानों में नौकरी कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. वैसे चेतन इस समय मुंबई में बैंक ऑफ इंडिया में उच्च पद पर आसीन हैं और यहां की तरक्की को देखकर बेहद प्रसन्न हैं. 

निःशुल्क शिक्षा की शुरुआत करने वाले चेतन ग‍िर‍ि बताते हैं कि इस निःशुल्क शिक्षा केंद्र पर कक्षा एक से 10 तक के छात्र छात्राओं को शिक्षा दी जाती है, वहीं दूर दूर से पढ़ने आने वाले बच्चे बेहद खुश हैं, उनकी माने तो पाठ्यक्रम के साथ साथ तकनीकी शिक्षा की भी तैयारी करवाई जाती है ताकि बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर अपने पैरों पर खड़े हो सकें. 

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