अपनी आंटी की मौत से आहत MIT प्रोफेसर ने बनाई ब्रा पर लगने वाली ये डिवाइस, जो डिटेक्ट करेगी ब्रेस्ट कैंसर

रूटीन जांच कराने वाली आंटी को एक दिन पता चला कि वह एक तेज़ी से बढ़ने वाले ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में हैं. फिर छह महीने बाद ही उनकी जान चली गई. इसके बाद प्रोफेसर जानान ने ऐसी तकनीकी के बारे में सोचना शुरू किया जो महिलाओं के लिए मददगार हो. फिर सामने आई ये तकनीक जो ब्रा में फिट होकर स्क्रीनिंग कर सकती है.

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फोटो क्रेडिट: MIT/Instagram फोटो क्रेडिट: MIT/Instagram

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 18 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 9:24 AM IST

एमआईटी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक ऐसा अल्ट्रासाउंड उपकरण विकसित किया है जो महिलाओं के स्तन कैंसर का अर्ली स्टेज में ही पता लगाने में मदद कर सकता है. कंफर्मेबल डिकोडर्स नामक उपकरण एक छोटा, लचीला पैच है जिसे स्तन पर ब्रा के साथ कैरी किया जा सकता है. यह ब्रेस्ट टिश्यू की छवियां बनाने के लिए अल्ट्रासाउंड रेज का इस्तेमाल  करता है, जिसका कैंसर के लक्षणों को देखने के लिए डॉक्टर द्वारा विश्लेषण किया जा सकता है. 

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यह अध्ययन नेचर बायोमेडिकल इंजीनियरिंग पत्रिका में प्रकाशित हुआ था, जिसमें पाया गया कि कंफर्मेबल डिकोडर्स स्तन कैंसर का पता लगाने में  90% की संवेदनशीलता और 85% की विशिष्टता के साथ सक्षम थे. इसका मतलब यह है कि डिवाइस 90% कैंसर के मामलों और 85% गैर-कैंसर मामलों की सही पहचान करने में सक्षम था. शोधकर्ताओं का मानना है कि कंफर्मेबल डिकोडर्स का उपयोग स्तन कैंसर के लिए होम-बेस्ड स्क्रीनिंग टूल के तौर पर किया जा सकता है. इससे महिलाओं के लिए नियमित रूप से जांच कराना आसान हो जाएगा, जिससे बीमारी का पहले पता लगाया जा सकेगा और इलाज किया जा सकेगा. 

किसने की ये खोज?
तुर्की की वैज्ञानिक डॉक्टर जानान दादेविरेन ने मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलजी (एमआईटी) की मीडिया लैब में अपनी टीम के साथ मिलकर ये तकनीक विकसित की है. CBS न्यूज से बातचीत में डॉ जानान ने कहा कि यह एक व‍ियरेबल डिवाइस है जिससे ब्रेस्ट कैंसर का पता आसानी से लग सकता है. इसके जरिये अल्ट्रासाउंड रेज ब्रेस्ट के टिश्यू में जाकर उसमें मौजूद ऑब्स‍िटकल जैसे सिस्ट या ट्यूमर का आसानी से पता लगा सकती हैं. 

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उन्होंने आगे कहा कि यह हमने हाई रिस्क वुमन के लिए डिजाइन किया है, जो जल्दी जल्दी मेमोग्राम के लिए जाती हैं. इसमें न सिर्फ रेडिएशन हाई होता है बल्क‍ि ये प्रक्र‍िया काफी पेनफुल होती है. इस तकनीक के जरिये हाई रिस्क वुमन को दिमागी सुकून मिलेगा. वो इस डिवाइस के रिजल्ट के जरिये इमेज मिलने के बाद तय कर सकती हैं कि उन्हें आगे मेमोग्राम  के लिए जाना है कि नहीं. उनका कहना है कि कैंसर के लिए हाई रिस्क वुमन के अलावा ये किसी के लिए भी हेल्पफुल हो सकती है. इसे मेल भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे हम 12 मिलयन लाइफ बचा सकते हैं. 

कैसे काम करता है डिवाइस?
एमआईटी में मैटीरियल साइंटिस्ट और इंजिनियर जानान दादेविरेन की इसके पीछे की कहानी बीबीसी हिंदी ने लिखी है. इसमें बताया गया है कि कैसे उनके मन में इस उपकरण को बनाने का ख़्याल अस्पताल में अपनी आंटी के बगल में बैठकर आया. रूटीन जांच कराने वाली आंटी को एक दिन पता चला कि वह एक तेज़ी से बढ़ने वाले ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में हैं. फिर छह महीने बाद ही उनकी जान चली गई.

इसके बाद उन्होंने ऐसी तकनीकी के बारे में सोचना शुरू किया. फिर सामने आई ये तकनीक जो ब्रा में फिट होकर स्क्रीनिंग कर सकती है. यह मधुमक्खी के छत्ते के आकार का डिवाइस है जिसमें छह ऐसे खांचे हैं जिनमें एक छोटा सा अल्ट्रासाउंड कैमरा जोड़ा जा सकता है. इस कैमरे को अलग-अलग खांचों में रखने पर हर तरफ़ से ब्रेस्ट की जांच की जा सकती है. इसके इस्तेमाल के लिए अल्ट्रासाउंड जेल इस्तेमाल करने की भी ज़रूरत नहीं है. यह 0.3 सेंटीमीटर की छोटी गांठों का भी पता लगा सकता है. शुरू में बनने वाली गांठों का आकार इतना ही होता है.

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