JNU: स्कूल ऑफ सोशल साइंस में 98 छात्रों ने छोड़ी पढ़ाई, RTI में हुआ खुलासा

JNU की एक छात्रा की आरटीआई पर ये चौंकाने वाला डेटा सामने आया है. इसके अनुसार बीते एक साल में 98 स्‍टूडेंट्स ने जेएनयू कैंपस छोड़ा है. जानिए- क्‍या हो सकती है वजह.

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प्रतीकात्‍मक फोटो (aajtak.in) प्रतीकात्‍मक फोटो (aajtak.in)

aajtak.in

  • नई द‍िल्‍ली,
  • 14 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 2:02 PM IST

जवाहर नेहरू यूनिवर्स‍िटी में देशभर के कोने-कोने से हर तबके के छात्र पढ़ने आते हैं. यहां श‍िक्षा कम खर्च पर होने के साथ ही हॉस्‍टल भी उतने महंगे नहीं हैं. लेकिन इस बीच सबसे चौंकाने वाली बात ये सामने आई है क‍ि बीते दो साल में जेएनयू के स्कूल ऑफ सोशल साइंस से 98 विद्यार्थियों ने कैंपस छोड़ दिया है. बता दें क‍ि यह विभाग देशभर में एक अच्‍छी पहचान रखने के साथ साथ बेहद चर्च‍ित विभाग है. 

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यह डेटा स्कूल ऑफ सोशल साइंस की काउंसलर व छात्रा अनघ प्रदीप की आरटीआई में सामने आया है.  उन्‍होंने सूचना के अधिकार के तहत जेएनयू से ये जानकारी मांगी थी जिसके जवाब में ये चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.

अनघा का कहना है कि सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार 45 एमए के छात्रों ने और 53 एमफिल छात्रों ने पिछले डेढ़ साल में कैंपस छोड़ दिया है. अगर वजह की बात करें तो मार्च 2020 में जब कोरोना महामारी ने देश में दस्‍तक दी थी. तब से मार्च 2021 तक 25 एमफिल छात्र और 22 एमए छात्रों ने अपनी पढ़ाई छोड़ी. कोरोना के इस कठ‍िन समय में बड़ी संख्या में वंचित वर्ग के छात्रों ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी है. 

RTI reply

अनघ का आरोप है कि जेएनयू प्रशासन ने इन छात्रों को कैंपस में रोकने और पढ़ाई जारी रखने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है. यही नहीं प्रशासन ने शिक्षा के ऑनलाइन मोड के कारण परेशानी का सामना करने वाले छात्रों तक पहुंचने और उनकी मदद करने की कोशिश नहीं की है.

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इस बारे में जेएनयू के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि ऐसा बहुत कम देखा गया है कि जेएनयू के छात्र संसाधन के अभाव में पढ़ाई छोड़ दें. ऐसा भी हो सकता है कि पढ़ाई छोड़ने के पीछे उनका कोई व्यक्तिगत कारण हो. उन्होंने बताया कि  जेएनयू में रहना, खाना सस्ता है किताबें भी उपलब्ध हैं. यही नहीं यहां के अधिकांश छात्रों को कोई न कोई छात्रवृत्ति मिल जाती है.

 

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