IIT दिल्ली ने बनाई दुनिया की सबसे हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट, झेल जाएगी बंदूक की कई गोलियां

DIA-CoE, आईआईटी दिल्ली एक ऐसा सिस्टम बना रहा है जिसमें आईआईटी दिल्ली, भारत की इंडस्ट्री और डीआरडीओ के लैब्स मिलकर काम कर रहे हैं. इनका मुख्य उद्देश्य देश की सुरक्षा के लिए जरूरी रक्षा तकनीकों पर काम करना है. इसके लिए लगभग 50 शोध परियोजनाएं पांच अलग-अलग तकनीकी क्षेत्रों में शुरू की गई हैं.

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IIT Delhi Lightest Bullet Proof Jacket, ''AHBED'' IIT Delhi Lightest Bullet Proof Jacket, ''AHBED''

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 10:59 AM IST

IIT Delhi Bullet Proof Jacket: आईआईटी दिल्ली के डीआरडीओ इंडस्ट्री अकेडमी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (DIA-CoE) ने 'एडवांस्ड बैलिस्टिक्स फॉर हाई एनर्जी डीफीट' (ABHED) नामक बुलेट रेसिस्टेंट जैकेट बनाई है. इसे प्रोफेसर नरेश भटनागर और उनकी टीम ने विकसित किया है. यह जैकेट दुनिया की सबसे हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट्स में से एक है और भारतीय मानक (BIS) V और VI के अनुसार यह एक से अधिक शॉट्स को रोकने में सक्षम है. इस हल्के वजन वाली जैकेट से भारतीय रक्षा बल सीमा पर दुश्मनों के खतरों से अधिक गति और दक्षता के साथ सुरक्षा प्रदान कर सकेंगे.

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इस केंद्र ने कई अन्य महत्वपूर्ण तकनीकों का विकास भी किया है, जिनमें हाई पावर डिफ्रैक्टिव ऑप्टिकल एलिमेंट, क्वांटम कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी, टेराहर्ट्ज़ टेक्नोलॉजी फॉर स्पेक्ट्रोस्कोपी और इमेजिंग, ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस टेक्नोलॉजी के दिशा में कॉग्निटिव रोबोटिक्स और एक्सोस्केलेटन शामिल हैं.

देश के सुरक्षा तकनीकों पर काम करेगा IIT दिल्ली

आईआईटी दिल्ली एक ऐसा सिस्टम बना रहा है जिसमें आईआईटी दिल्ली, भारत की इंडस्ट्री और डीआरडीओ के लैब्स मिलकर काम कर रहे हैं. इनका मुख्य उद्देश्य देश की सुरक्षा के लिए जरूरी रक्षा तकनीकों पर काम करना है. इसके लिए लगभग 50 शोध परियोजनाएं पांच अलग-अलग तकनीकी क्षेत्रों में शुरू की गई हैं.

आईआईटी दिल्ली के विभिन्न फैकल्टी और डीआरडीओ लैब्स के साथ मिलकर, DIA-CoE 'फील्ड में सैनिकों' के लिए कुछ खास तकनीकों पर काम कर रहा है. इसमें हल्के और मजबूत बॉडी आर्मर का डिजाइन और स्वदेशीकरण, उच्च प्रदर्शन वाले एयरोस्टैट और एयरशिप सामग्री, स्मार्ट सोल्जर जैकेट और टेराहर्ट्ज़ तकनीकी जैसी परियोजनाएं शामिल हैं. आईआईटी दिल्ली में लगभग 100 फैकल्टी सदस्य, 200 शोधकर्ता और स्टाफ़ राष्ट्रीय रक्षा सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं. अब विभिन्न उद्योग साझेदारों के साथ तकनीकी हस्तांतरण और समझौते किए जा रहे हैं, जिससे सफलता अब दिखाई देने लगी है.

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