केंद्र सरकार की अनलॉक 5 की गाइडलाइंस के बाद देशभर में स्कूल-कॉलेजों को खोलने की अनुमति दे दी गई है. लेकिन ये फैसला राज्य सरकारों पर छोड़ दिया गया है कि वो अपने राज्य में कोरोना की स्थिति को देखते हुए फैसला लें कि वो स्कूल कॉलेज किन नियमों के तहत कब खोलना चाहते हैं.
इसी कड़ी में कर्नाटक सरकार ने फैसला लिया है कि राज्य में 17 नवंबर से डिग्री कॉलेज खोले जाएंगे. इसके अलावा सरकार ने ये व्यवस्था भी की है कि स्टूडेंट्स को ऑनलाइन लर्निंग के विकल्प भी खुले रखे जाएंगे.
बता दें कि उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा, असम सहित तमाम राज्यों में 15 अक्टूबर से स्कूल-कॉलेज खोले जा चुके हैं. इसे लेकर स्टैंटर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर यानी SOP पहले ही जारी किया जा चुका है. इसमें कोविड से जुड़ी सावधानियों के बारे में बताया गया था. शिक्षा मंत्रालय ने भी इसे लेकर गाइडलाइन जारी की है.
सरकार ने 15 अक्टूबर से स्कूल खोलने की अनुमति दी है. यह छूट नॉन-कंटेनमेंट जोन में आने वाले इलाकों के लिए है. राज्यों के लिए ये खुली छूट है कि वो अपने हिसाब से तय करें कि स्कूल कब से खोले जाएं, इसी को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने अपने राज्य की स्थिति के हिसाब से फैसला लिया है. शिक्षा मंत्रालय के अनुसार स्कूल खोलने का फैसला स्कूल प्रबंधन से बातचीत के बाद लिया जाएगा. इसके अलावा ऑनलाइन / डिस्टेंस लर्निंग एजुकेशन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
अगर स्टूडेंट, स्कूलों के बजाय ऑनलाइन क्लास करना पसंद करते हैं, उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जाए. यही नहीं सभी स्टूडेंट्स, अभिभावकों की लिखित सहमति से ही स्कूल जा सकते हैं. इसके अलावा स्टूडेंट्स पर अटेंडेंस को लेकर कोई दबाव नहीं डाला जाएगा. हायर एजुकेशन में सिर्फ रिसर्च स्कॉलर्स (Ph.D) और पीजी के वो स्टूडेंट्स जिन्हें लैब में काम करना पड़ता है, उनके लिए ही संस्थान खोले जाएंगे.
इसमें भी केंद्र से एफिलेटेड संस्थानों में, हेड की सहमति जरूरी होगी. स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए शिक्षा विभाग के SOP के आधार पर राज्यों को अपना SOP तैयार करना होगा. राज्यों के विश्वविद्यालय या प्राइवेट विश्वविद्यालय, अपने यहां की स्थानीय गाइडलाइंस के हिसाब से खुलेंगे.
सेफ्टी के लिए ये हैं नियम
एक क्लास में सिर्फ 12 बच्चे ही बैठ सकते हैं. बता दें कि कोरोना संकट के चलते मार्च से स्कूल बंद हैं. अब पेरेंट्स की अनुमति पर ही बच्चे बुलाए जाएंगे. नई गाइडलाइन के अनुसार छोटे बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने की जिम्मेदारी अभिभावकों की ही होगी. सरकार के नये नियम के अनुसार हर कक्षा के बच्चे हफ्ते में दो से तीन दिन ही बुलाए जाएंगे. क्लासरूम में बच्चों के लिए मास्क और सैनिटाइजर जरूरी किया गया है. बच्चों की हेल्थ का ध्यान रखते हुए उनके लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी किया गया है.
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